इम्फाल के तुलीहाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से शनिवार (10 अगस्त) को रोहिंग्या समुदाय के छ: लोगों की गिरफ़्तारी पर मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने जानकारी दी कि यह लोग फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के ज़रिए नई दिल्ली से यहाँ पहुँचे थे। मुख्यमंत्री ने चिंता जताते हुए कहा कि उन लोगों की पहचान की जानी चाहिए जो रोहिंग्याओं को राज्य में प्रवेश करने में उनकी मदद कर रहे हैं और उन्हें आश्रय दे रहे हैं।
यह जानकारी उन्होंने ‘देशभक्ति दिवस’ पर लोगों को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने कहा, ‘‘यह संकेत है कि उनमें से बहुत से लोग राज्य में पनाह ले रहे हैं और हमें उन लोगों की पहचान करनी होगी जो विभिन्न जगहों से रोहिंग्याओं के अवैध प्रवेश में मदद कर रहे हैं।’’
मुख्यमंत्री ने लोगों से रोहिंग्याओं का पता लगाने और उन्हें मणिपुर लाने वाले एजेंटों की पहचान करने की अपील करते हुए कहा कि अगर उन्होंने पहल नहीं की तो पहले से ही कम मणिपुर की आबादी आने वाले समय में गायब हो जाएगी।
ग़ौरतलब है कि डीआईजी टी नगासंगवा ने रविवार (11 अगस्त) को संवाददाताओं से बातचीत में बताया था कि पुलिस जाँच से पता चला है कि छ: रोहिंग्याओं को दिल्ली में एक मदरसे में प्रशिक्षण दिया गया और उन्हें दिल्ली तथा मणिपुर के कुछ एजेंटों की मदद से यहाँ लाया गया था।
उन्होंने बताया कि रोहिंग्याओं ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि वे म्यांमार के यांगून और मांडले के रहने वाले हैं। उन्होंने यह भी बताया है कि भारतीय एजेंटों ने उनके लिए फ़र्ज़ी आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज़ों की व्यवस्था की थी।
दरअसल, मणिपुर पुलिस को एक इनपुट मिला था कि इंडिगो की फ्लाइट से कुछ अवैध अप्रवासी इम्फाल आ रहे हैं। इसके तुरंत बाद, फॉरेन चेक पोस्ट (FCP) और इम्फाल पश्चिम ज़िले की पुलिस टीम को सतर्क कर दिया गया, जिसने हवाई अड्डे पर छ: संदिग्ध यात्रियों को हिरासत में लिया। गिरफ़्तार किए गए छ: आरोपितों में से तीन के आधार कार्ड पर मणिपुर का पता था, जबकि बाक़ी तीन में हैदरबाद का पता था। इनमें से कोई भी मणिपुरी नहीं बोल सकता, केवल एक हिंदी बोलने में सक्षम है। पुलिस ने उनके पास से म्यांमार बैंक का ATM कार्ड भी बरामद किया है।