भारत की नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने पिछले कुछ महीनों में ड्रग्स के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया है, जिसका नाम ‘ऑपरेशन सागर मंथन’ रखा गया है। इस ऑपरेशन का मकसद पाकिस्तान में स्थित कुख्यात ड्रग्स तस्कर हाजी सलीम, जिसे ‘ड्रग्स का सरगना’ या ‘रक्तबीज’ भी कहा जाता है, के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को ध्वस्त करना है। हाजी सलीम का नाम सबसे पहले 2015 में तब सुर्खियों में आया था, जब केरल के पास समुद्र में उसकी बड़ी मात्रा में ड्रग्स की खेप पकड़ी गई थी।
हाजी सलीम का पूरा साम्राज्य पाकिस्तान के बलूचिस्तान से संचालित होता है और यह तस्करी नेटवर्क पाकिस्तान, भारत, श्रीलंका, मॉरीशस, मालदीव्स से लेकर अमेरिका तक फैला हुआ है। उसके ड्रग्स तस्करी के साम्राज्य का फैलाव इतना बड़ा है कि अमेरिका, न्यूजीलैंड और अफगानिस्तान जैसे देशों की जाँच एजेंसियाँ भी उसे पकड़ने की कोशिश में हैं।
हाजी सलीम बड़े पैमाने पर हेरोइन, मेथामफेटामाइन और अन्य अवैध नशीले पदार्थों की खेप एशिया, अफ्रीका और पश्चिमी देशों में पहुँचाता है। भारतीय जाँच एजेंसियों के अनुसार, वह समुद्री मार्ग से अपनी तस्करी करता है और उसकी खेपों पर विशेष निशान जैसे 777, 555, 999, उड़ते घोड़े और बिच्छू अंकित होते हैं।
इस ऑपरेशन के दौरान हाल ही में गुजरात तट से 4,000 किलोग्राम अवैध ड्रग्स जब्त किए गए, जिसमें कई पाकिस्तानी और ईरानी नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया। भारत के गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर यह अभियान शुरू किया गया है, जिससे NCB ने पिछले ढाई वर्षों में कुल 40,000 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की हैं।
हाजी सलीम के बारे में जानकारी सीमित है। जाँच एजेंसियों के पास उसकी एक पुरानी तस्वीर और कुछ व्यक्तिगत विवरण हैं। माना जाता है कि वह कराची में रहता है, और उसकी गतिविधियां वहाँ से संचालित होती हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, सलीम का संबंध कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से भी है। कुछ समय पहले उसे दाऊद के घर में जाते और बाहर आते हुए कैमरे में कैद किया गया था।
सलीम का नेटवर्क केवल ड्रग्स तस्करी तक सीमित नहीं है, बल्कि उसकी गतिविधियाँ नार्को-आतंकवाद को भी बढ़ावा देती हैं। जाँच एजेंसियों ने बताया कि वह बेरोजगार युवाओं को अपने तस्करी नेटवर्क में शामिल करता है और आईएसआई से उसे समर्थन मिलता है। सलीम के पास सैटेलाइट फोन जैसी सुविधाएँ हैं, जिनका उपयोग वह समुद्र में अपने एजेंट्स से संपर्क बनाए रखने के लिए करता है।
NCB के डिप्टी डायरेक्टर जनरल, ज्ञानेश्वर सिंह के अनुसार, “हाजी सलीम दुनिया के सबसे बड़े ड्रग तस्करों में से एक है। उसके तस्करी नेटवर्क का पैमाना अद्वितीय है।” उसकी पहचान ‘रक्तबीज’ के रूप में इसलिए हुई है क्योंकि उसके ऑपरेशन पर कितनी भी बार प्रहार किया जाए, वह फिर से अपने तस्करी नेटवर्क को सक्रिय कर लेता है।
उसके तस्करी के मुख्य मार्ग ईरान से शुरू होते हैं, जो अफगानिस्तान और मलेशिया से होते हुए श्रीलंका पहुँचते हैं। वहाँ से छोटे जहाजों के जरिए रात में भारतीय तटों पर लाया जाता है, जहाँ वे कम चर्चित बंदरगाहों और तटीय स्थानों पर उतरते हैं।
हाजी सलीम की तस्करी गतिविधियों का पहला बड़ा सबूत 2015 में मिला था जब केरल तट के पास उसकी करोड़ों की ड्रग्स की खेप पकड़ी गई थी। तब से NCB ने उसकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी हुई है, लेकिन वह अब तक गिरफ्त से बाहर है और कराची में छिपा हुआ है।