पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से प्रशिक्षित जिन दो संदिग्ध आतंकवादियों को दिल्ली पुलिस ने पिछले महीने गिरफ्तार किया था, उनको लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। आतंकवाद विरोधी छापेमारी में गिरफ्तार किये गए इन आतंकियों को पाकिस्तान में ना सिर्फ 15 दिनों का हथियारों और विस्फोटकों का प्रशिक्षण दिया गया था, बल्कि भारत भेजने से पहले उनका फेयरवेल भी दिया गया था। न्यूज़18 ने यह जानकारी दी है।
भारतीय खुफिया एजेंसी के सूत्रों ने न्यूज़18 को बताया कि कैसे दोनों – 22 वर्षीय ओसामा और 28 वर्षीय जीशान क़मर – ने लखनऊ से ओमान, फिर वहाँ से ईरान और अंत में पाकिस्तान गए। जिस रास्ते से वे पाकिस्तान गए थे, उसी रास्ते से वापस भारत भी पहुँचे। इस दौरान इन दोनों ने मुख्य रूप से स्पीडबोट का इस्तेमाल किया।
ओसामा और कमर को जान मोहम्मद शेख (47) उर्फ समीर, मूलचंद (47), मोहम्मद अबू बकर (23) और मोहम्मद आमिर जावेद (31) के साथ 14 सितंबर को दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान द्वारा संचालित आतंकी मॉड्यूल कथित तौर पर गणेश चतुर्थी, नवरात्रि और रामलीला के त्योहारों के दौरान दिल्ली, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सहित देश भर में कई विस्फोटों की योजना बना रहा था।
महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने दावा किया था कि जान मोहम्मद शेख के करीब 20 साल पहले डी-कंपनी के साथ संबंध थे। डी-कंपनी का मतलब उस अंडरवर्ल्ड आपराधिक सिंडिकेट से है जिसका नियंत्रण भगोड़े डॉन दाऊद इब्राहिम के हाथ में था। सूत्रों के अनुसार, ओसामा 21 अप्रैल 2021 को सलाम एयर की उड़ान में ओमान की राजधानी मस्कट के लिए लखनऊ से रवाना हुआ था। वहाँ बांग्ला बोलने वाले एक कैब चालक ने उसकी मेजबानी की, जो उसे बोशर के एक होटल में ले गया और उसे वहाँ के होटल मैनेजर को सौंप दिया जो एक पाकिस्तानी नागरिक था।
सूत्रों ने बताया कि कमर से ओसामा की मुलाकात उसी होटल में हुई। ओमान सरकार के नियमों के मुताबिक, अनिवार्य कोविड-19 क्वारंटाइन को पूरा करने के लिए दोनों सात दिनों तक होटल में ही रहे। सूत्रों ने कहा कि क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बाद दोनों को अल-खदरा ले जाया गया, जहाँ उन्हें एक बांग्लादेशी नागरिक को सौंपा गया और सुनसान इलाके में स्थित एक घर में ले जाया गया, जहाँ लगभग 15 अवैध बांग्लादेशी प्रवासी पहले से मौजूद थे।
चार दिनों के बाद उन्हें कथित तौर पर सोहर तट ले जाया गया जहाँ वे ईरान में बंदर-ए-जस्क जाने के लिए एक स्पीडबोट में सवार हुए। खुले पानी में पाँच घंटे की यात्रा ने उन्हें पूरी तरह से झुलसा दिया और डिहाइड्रेशन की परेशानी भी झेलनी पड़ी। जानकारी के मुताबिक, अपनी मंजिल पर पहुँचने के बाद एक ईरानी नागरिक दोनों को अपने घर ले गया, जहाँ से उन्होंने चाबहार बंदरगाह तक पहुंचने के लिए 10 से 12 घंटे की यात्रा की।
सूत्रों ने कहा कि दो दिन बाद वे पाकिस्तान के जियोनी तट के करीब जाने के लिए एक नाव पर सवार हुए। उन्हें समुद्र के बीच में एक पाकिस्तानी को सौंपा गया और फिर दोनों को जियोनी तट पर ले जाया गया, जहाँ एक कर्नल ने सुरक्षा गार्ड और तीन कारों के साथ उनकी अगवानी की। सूत्रों ने आगे बताया कि वहाँ से कराची के एक फार्महाउस तक पहुँचने के लिए उन्होंने नौ घंटे की सड़क यात्रा की।
फार्महाउस पर दोनों को आईईडी और विस्फोटक बनाने और उसे सँभालने के लिए 15 दिनों तक प्रशिक्षित किया गया। सूत्रों ने कहा कि उन्हें यह भी सिखाया गया था कि बिना कोई निशान छोड़े एक कमर्शियल मार्केट या बिल्डिंग में आग कैसे लगाई जाती है और एके-56 और बेरेटा पिस्टल को कैसे सँभालना है। उन दोनों को टारगेट प्रैक्टिस कराने के साथ ही मजहबी लोगों द्वारा कट्टरपंथी बनाया गया, जिन्होंने उन्हें बताया था कि वे इस्लाम के लिए जिहाद की लड़ाई कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि इस ट्रेनिंग के अंत में फार्महाउस पर उन्हें विदाई पार्टी (Farewell) दी गई।
अगले कुछ दिनों में दोनों ओमान वापस लौट गए। इस दौरान ज्यादातर उन्हीं लोगों के साथ उनलोगों की मुलाकात हो रही थी जो आगे की यात्रा में शामिल थे। सूत्रों ने कहा कि वे अंततः ओमान के उसी होटल में लौट आए और चार दिनों के बाद क़मर 19 जून को सलाम एयर की उड़ान से लखनऊ वापस लौटा, जबकि ओसामा अगले दिन उसी उड़ान से भारत आया।