पाकिस्तान किस तरह भारत में अपने लिए जासूस पैदा करता है और हमारी सेना की जानकारियाँ देने के लिए उन्हें तैयार करता है, इसका ताज़ा उदाहरण राजस्थान में देखने को मिला है। एक कुल्फी विक्रेता पोर्न साइटों को सर्च करते-करते एक पाकिस्तानी ख़ुफ़िया अधिकारी से जा जुड़ा। फेसबुक और पोर्न साइटों पर मिले एक फोन नंबर के जरिए उसने इस किस्म के वीडियोज देखने के इरादे से एक व्हाट्सएप्प ग्रुप जॉइन तो कर लिया, लेकिन वो ग्रुप पाकिस्तानियों का निकला और जान-पहचान बनने के बाद कुछ पैसे की लालच में उसने उनके लिए काम करना शुरू कर दिया।
राजस्थान के भीलवाड़ा एवं पाली से दो लोगों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संपर्क होने के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इंटेलिजेंस पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा के अनुसार, इस मामले में भीलवाड़ा से बेमाली निवासी नारायण लाल गाडरी और जयपुर निवासी कुलदीप सिंह शेखावत को पाली के जैतारण से शनिवार (13 अगस्त, 2022) को गिरफ्तार किया गया। दोनों के सोशल मीडिया के माध्यम से आईएसआई से संपर्क में होने की जानकारी मिली थी। दोनों को जासूसी करने और पाकिस्तानी हैंडलरों की मदद करने के एवज में पैसे मिल रहे थे।
Rajasthan| 2 accused, Narayan Lal & Kuldeep Singh, arrested for sharing classified info related to Indian Army with Pakistani intelligence agencies by creating fake social media accounts of women & soldiers, & befriending Indian Army soldiers, for money: U Mishra DGP Intelligence pic.twitter.com/Cqbi1Gqy6u
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) August 13, 2022
नारायण लाल ने पूछताछ में बताया कि उसने 5वीं कक्षा तक पढ़ाई की है। अपनी आजीविका चलाने के लिए उसने ड्राइविंग, घर-घर कुल्फी बेचने, बकरी पालन, भजन गायक समेत कई काम किए। इस साल की शुरुआत में नारायण लाल को फेसबुक पर एक लिंक मिला था। इसके जरिए वह ऐसे व्हाट्सएप्प ग्रुप में शामिल हो गया, जिस पर अश्लील सामग्री दिखाई जाती थी। इस व्हाट्सएप्प ग्रुप में पाकिस्तान सहित कई देशों के करीब 250 से ज्यादा सदस्य थे। हालाँकि, आरोपित नारायण लाल ने दावा किया कि वह एक हफ्ते बाद ही इस ग्रुप से एग्जिट हो गया था।
पूछताछ में आरोपित ने बताया कि व्हाट्सएप ग्रुप छोड़ने के बाद एक व्यक्ति ने उससे कॉन्टेक्ट किया। उसने अपना नाम ‘अनिल’ बताया। वह ‘+92’, यानी पाकिस्तानी नंबर का इस्तेमाल कर रहा था। उसने नारायण से ग्रुप एग्जिट करने का कारण पूछा। लाल को शक हुआ कि वह पाकिस्तानी है। इसके बावजूद दोनों के बीच बातचीत जारी रही। कुछ दिनों के बाद अनिल ने नारायण लाल को एक अन्य ‘पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव (PIO)’ साहिल से मिलवाया, जो भारत के नंबर से ही व्हाट्सएप्प चला रहा था। उसने दावा किया कि वह दिल्ली में रहता है। पीआईओ साहिल ने नारायण लाल से पाकिस्तान चलने के लिए कहा। उसने कहा कि वह इस ट्रिप का पूरा खर्चा उठाएगा। साथ ही उसके डॉक्यूमेंट्स भी बनवा देगा। इसके बाद अपना पासपोर्ट और वीजा बनवाने के लिए नारायण लाल ने पीआईओ के साथ अपने आधार कार्ड, डाइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड की जानकारी भी शेयर की।
पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव अनिल और साहिल ने नारायण लाल से कहा कि उन्हें कुछ इंडियन सिम कार्ड की जरूरत है। इसके बदले उसे पैसे दिए जाएँगे। नारायण लाल ने उनके नाम पर दो सिम कार्ड खरीदे। नारायण लाल ने पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव के बताए पते पर यह सिम भेज दी। इसके बाद नारायण लाल ने पीआईओ को तीन और सिम भेजीं। इसके लिए उसे 5 हजार रुपए मिले।
एक अधिकारी ने व्हाट्सएप्प चैट का हवाला देते हुए बताया कि PIO ने उन्हें कई मौकों पर सैन्य छावनियों में प्रवेश करने, सेना के जवानों से दोस्ती करने, PIO से उनका परिचय कराने और सैन्य स्थानों के लोकेशन, फोटो और वीडियो भेजने के लिए कहा। लाल ने कथित तौर पर उदयपुर में एक सैन्य वाहन और अहमदाबाद में वर्दी में एक सैन्यकर्मी की तस्वीरें भेजीं। इतना ही नहीं, उन्होंने अहमदाबाद रेलवे स्टेशन की भी कुछ तस्वीरें भेजीं। इसके साथ ही पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव ने उससे कट्टरपंथियों द्वारा उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या के बाद जारी किए गए वीडियो देखने के लिए कहा। उन्होंने लाल को व्हाट्सएप्प ग्रुप में वीडियो भी भेजा।
इसके अलावा पीआईओ ने नारायण लाल को उदयपुर छावनी से सटे शॉपिंग स्पेस की रेकी का भी काम सौंपा था, ताकि वे वहाँ एक फोटो कॉपी का स्टॉल लगा सकें। इस काम के लिए उन्होंने नारायण लाल को तीन हजार रुपये भेजे थे और फोटोकॉपी-मशीन की दुकान के सेटअप के लिए 4-5 लाख रुपए देने का भी वादा किया था।
इसके बदले में पीआईओ उन सैन्य डॉक्यूमेंट्स की कॉपियाँ चाहते थे, जो फोटोकॉपी के लिए दुकान पर आएँगी। कथित तौर पर लाल इसके लिए तैयार हो गया। नारायण लाल ने इसके लिए उदयपुर छावनी से सटे क्षेत्र का दौरा किया। एक दुकान को शॉर्टलिस्ट भी किया। इसके बाद दुकान की लोकेशन गूगल मैप के जरिए शेयर की थी।
इसी तरह कुलदीप सिंह शेखावत पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों की महिला हैंडलिंग अफसरों के संपर्क में था। कुलदीप ने रुपए के लालच में आकर महिला पाक हैंडलिंग अफसरों के कहने पर महिला के नाम से एक फर्जी सैन्यकर्मी के नाम से सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाया और भारतीय सेना के जवानों से दोस्ती कर उनसे गोपनीय सूचना लेकर पाक महिला हैंडलरो को मुहैया करवाई। इसके बदले में कुलदीप को मोटी धनराशि मिली। दोनों ही आरोपित पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की महिला अफसरों के इशारे पर भारतीय सेना से संबंधित भेजी गई जरूरी सूचनाओं की एवज में अपने-अपने बैंक खातों में यूपीआई के जरिए रुपए ले रहे थे।
अधिकारियों के मुताबिक मोबाइल की तकनीकी जाँच में तथ्यों की पुष्टि होने पर आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। इनके खिलाफ शासकीय गुप्त अधिनियम 1923, आईटी एक्ट और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत अलग-अलग प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। जाँँच जारी है।