रूस ने भारत को S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी शुरू कर दी है। इस एयर डिफेंस सिस्टम के लिए भारत और रूस के बीच लगभग 35,000 करोड़ रुपए का सौदा हुआ है। सौदे के तहत 400 किलोमीटर के हवाई रेंज से निपटने के लिए भारत को पाँच स्क्वाड्रन मिलेंगे। इस साल के अंत तक पहली स्क्वाड्रन की डिलीवरी पूरी होने की उम्मीद है। भारत अगले साल जनवरी-फरवरी में इसका संचालन भी शुरू कर देगा।
Russia starts supplying S-400 air defence missile systems to India, first squadron to come up near Western front
— ANI Digital (@ani_digital) November 14, 2021
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इस बात की जानकारी रूस के फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री टेक्निकल कोऑपरेशन (FSMTC) के निदेशक दिमित्री शुगेव ने दुबई एयरशो में दी। शुगेव ने कहा, “भारत को एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति शुरू हो चुकी है और नियत समय पर पहुँचाई जा रही है।” FSMTC रूसी सरकार का मुख्य रक्षा निर्यात नियंत्रण संगठन है। सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम S-400 की सप्लाई को लेकर लिए रूस और भारत ने अक्टूबर 2018 में डील की थी और 2019 में रूस को पेमेंट की पहली किश्त के रूप लगभग 800 मिलियन अमरीकी डॉलर दी गई थी।
बढ़ेगी सेना की ताकत: दक्षिण एशिया के आसमान पर होगा भारत का नियंत्रण
जमीन से हवा में मार करने वाली इस प्रणाली के मिलने से भारत की मारक क्षमता और मजबूत हो जाएगी। जानकारी के मुताबिक, इस सिस्टम को सबसे पहले देश की पश्चिमी सीमा के करीब तैनात किया जाएगा, जहाँ से यह पाकिस्तान और चीन से लगी सीमाओं से उत्पन्न खतरों से निपट सकता है। उपकरण को समुद्री और हवाई दोनों मार्गों से भारत लाया जा रहा है। देश में पहले स्क्वाड्रान की तैनाती के बाद वायुसेना देश के भीतर अपने कर्मियों की ट्रेनिंग के लिए संसाधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ इसकी तैनाती को लेकर पूर्वी सीमाओं पर भी ध्यान देगी। भारतीय वायु सेना के कुछ अधिकारी और कर्मियों ने एस-400 को ऑपरेट करने के लिए रूस में ट्रेनिंग भी ली है।
S-400 से भारत को दक्षिण एशिया के आसमान पर बढ़त मिलेगी। इस सिस्टम से लगभग 400 किमी दूरी तक दुश्मन के विमान, बैलिस्टिक व क्रूज मिसाइलें और AWACS तकनीक से लैस विमान रोके जा सकेंगे। इसमें चार तरह की मिसाइलें तैनात हो सकती हैं, जो 400, 250, 120 और 40 किमी दूरी तक वार कर सकती हैं।
क्या अब भारत पर लग सकते हैं अमेरिकी प्रतिबंध?
S-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद को लेकर तुर्की पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद ऐसी आशंकाएँ हैं कि भारत पर भी इसी तरह का प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। हालाँकि, पिछले महीने दो अमेरिकी सीनेटरों ने राष्ट्रपति जो बाइडन से रूस से S-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए भारत के खिलाफ दंडात्मक काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CAATSA) के प्रावधानों को लागू नहीं करने का आग्रह किया था। दरअसल अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन्स एक्ट’ (पब्लिक लॉ 115-44) कानून पर साइन किए थे।
क्या है CAATSA?
CAATSA एक सख्त अमेरिकी कानून है, जिसके जरिए अमेरिकी प्रशासन उन देशों पर प्रतिबंध लगा सकता है। 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा करने और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रूस के कथित हस्तक्षेप को लेकर इसके सख्त उन देशों पर लागू किये जाते हैं, जो रूस से डिफेंस हार्डवेयर खरीदते हैं।
इसके प्रावधानों में रूस के रक्षा और खुफिया सेक्टर को टारगेट करने वाले प्रतिबंध शामिल हैं, जो दुनिया भर में रूसी हथियारों की खरीद को रोकने के लिए अमेरिकी सरकार के लिए एक अहम उपकरण के रूप में काम करते हैं। अमेरिका चाहता था कि भारत एस-400 की जगह पर उसका एयर डिफेंस सिस्टम पेट्रियाट खरीदे। हालाँकि भारत की मोदी सरकार ने अमेरिका को दो टूक बता दिया था कि वह इस सिस्टम को खरीदने से पीछे नहीं हटेगी और रूस के साथ अपनी डील पर आगे बढ़ेगी।