अगले महीने के आखिर तक भारत की वायुसेना को तेजस MK1 सौंप दिए जाएँगे। भारतीय वायुसेना ने कुल 83 तेजस MK2 का ऑर्डर दिया है। इसी के साथ मिग-21 पूरी तरह से सेना से बाहर हो जाएँगे। भारतीय वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि यह भारत का स्वदेशी निर्मित हल्का लड़ाकू विमान है।
अक्टूबर 2024 के अंत तक तेजस MK2 के भारतीय वायुसेना को सौंपे जाने की घोषणा के साथ, भारत की रक्षा क्षमताओं में एक नया अध्याय जुड़ने वाला है। तेजस MK1 कई विशेषताओं और क्षमताओं से लैस है, जो इसे पाकिस्तान और चीन के फाइटर जेट्स के मुकाबले भारतीय वायुसेना के लिए एक मजबूत बढ़त प्रदान करता है। इस लेख में हम तेजस MK1 की खासियतों, उसकी रफ्तार, वजन, उसके बनने में लगे समय और उसकी मुकाबला क्षमताओं पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
तेजस MK1 की खासियतें
हल्का वजन: तेजस MK1 का वजन लगभग 6.5 टन है, जो इसे दुनिया के सबसे हल्के लड़ाकू विमानों में से एक बनाता है। इसकी हल्की संरचना इसे हवा में तेज़ और अधिक गतिशील बनाती है। इसका हल्का वजन इसे अधिक फुर्तीला और आसानी से नियंत्रित करने योग्य बनाता है, जिससे पायलट को उच्च गति पर भी बेहतर नियंत्रण मिलता है।
स्पीड (गति): तेजस MK1 की अधिकतम गति 1.8 मैक (2222 किलोमीटर प्रति घंटा) तक हो सकती है। यह तेज गति इसे हवा में अन्य लड़ाकू विमानों के मुकाबले एक बढ़त दिलाती है, खासकर दुश्मन के विमानों के खिलाफ।
सुपर सॉनिक क्षमता: तेजस MK1 को सुपरसोनिक गति से उड़ान भरने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह तेज गति दुश्मन के विमानों से जल्दी बचने और हमला करने की क्षमता प्रदान करती है। इसकी सुपर सॉनिक क्षमता इसे दुश्मन के रडार से बचने में भी मदद करती है, जिससे यह तेजी से हमला कर सकता है और वापस सुरक्षित लौट सकता है।
स्वदेशी निर्मित: तेजस MK1 को पूरी तरह से भारत में विकसित और निर्मित किया गया है। यह भारत के आत्मनिर्भर रक्षा उद्देश्यों का एक प्रमुख हिस्सा है। इससे भारत की विदेशी विमानों पर निर्भरता कम होगी और देश के तकनीकी विकास में भी सुधार होगा।
मल्टीरोल लड़ाकू विमान: तेजस MK1 एक मल्टीरोल लड़ाकू विमान है, जिसका मतलब है कि यह हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों प्रकार के अभियानों में सक्षम है। यह इसे एक बेहद बहुमुखी लड़ाकू विमान बनाता है, जो किसी भी परिस्थिति में प्रभावी साबित हो सकता है।
हथियार ले जाने की क्षमता: तेजस MK1 की हथियार ले जाने की क्षमता लगभग 3.5 टन है। इसमें हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हवा से जमीन पर हमला करने वाली मिसाइलें, बम और रॉकेट शामिल हैं। यह इसे एक शक्तिशाली हथियार बनाता है, जो किसी भी युद्ध में दुश्मन को कड़ी टक्कर दे सकता है।
अत्याधुनिक एवियोनिक्स: तेजस MK1 में अत्याधुनिक एवियोनिक्स सिस्टम लगाया गया है, जिसमें रडार, ईसीएम (Electronic Counter Measures), फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम और अन्य अत्याधुनिक तकनीकें शामिल हैं। यह इसे अधिक सक्षम और सटीक बनाता है, जिससे यह किसी भी स्थिति में तेजी से प्रतिक्रिया कर सकता है।
लड़ाई की दूरी (रेंज): मार्क-1ए पिछले वैरिएंट से थोड़ा हल्का है, लेकिन यह आकार में उतना ही बड़ा है। यानी 43.4 फीट की लंबाई, 14.5 फीट की ऊंचाई। अधिकतम 2222 km/hr की स्पीड से उड़ान भर सकता है। कॉम्बैट रेंज 739 किलोमीटर है। वैसे इसका फेरी रेंज 3000 किलोमीटर है।
जटिल एयरोडायनामिक्स डिज़ाइन: इसका डिज़ाइन इस प्रकार किया गया है कि यह उच्च गति और गतिशीलता के बावजूद स्थिर रहता है। यह डिज़ाइन इसे दुश्मन के हमलों से बचने और हवा में लंबी दूरी तक उड़ान भरने में मदद करता है।
हर मौसम में उड़ान: तेजस MK1 किसी भी मौसम में उड़ान भरने में सक्षम है, चाहे दिन हो या रात। यह इसे हर परिस्थिति में इस्तेमाल किए जाने वाला एक विश्वसनीय लड़ाकू विमान बनाता है।
पाकिस्तान और चीन के फाइटर जेट्स से तुलना
चीन के J-10 और JF-17 से मुकाबला: तेजस MK1 की तुलना में चीन का J-10 और पाकिस्तान के साथ मिलकर बनाए गए JF-17 जैसे फाइटर जेट्स अधिक भारी हैं। JF-17 की गति लगभग 1.6 मैक है, जो तेजस के बराबर है, लेकिन तेजस MK1 की एवियोनिक्स और हथियार प्रणाली अधिक उन्नत मानी जाती है। तेजस का हल्का वजन इसे अधिक फुर्तीला बनाता है, जबकि JF-17 और J-10 थोड़े भारी होते हैं।
हथियार प्रणाली: तेजस MK1 की हथियार ले जाने की क्षमता और उसकी मारक शक्ति चीन और पाकिस्तान के विमानों के मुकाबले अधिक है। इसका रडार और ईसीएम सिस्टम इसे दुश्मन के रडार से बचने में सक्षम बनाता है, जो J-10 और JF-17 में उतनी क्षमता नहीं होती।
तकनीकी उन्नति: तेजस MK1 की तकनीकी उन्नति और स्वदेशी निर्मित होने के कारण इसकी रखरखाव की लागत भी कम होती है। इसके अलावा, इसकी स्पेयर पार्ट्स और मरम्मत की सुविधाएं भारत में ही उपलब्ध हैं, जबकि पाकिस्तान को JF-17 के लिए चीन पर निर्भर रहना पड़ता है।
मल्टीरोल क्षमता: तेजस MK1 की मल्टीरोल क्षमता इसे हवा से जमीन और हवा से हवा दोनों अभियानों में प्रभावी बनाती है। J-10 और JF-17 भी मल्टीरोल विमान हैं, लेकिन तेजस की उन्नत तकनीकी इसे युद्ध के मैदान में अधिक लाभकारी बनाती है।
तेजस के बनने में इतना समय क्यों लगा?
तेजस परियोजना की शुरुआत 1980 के दशक में की गई थी, लेकिन इसे पूरा करने में कई दशकों का समय लग गया। इसके पीछे कई कारण हैं:
तकनीकी चुनौतियाँ: भारत के लिए यह पहली बार था कि उसने पूरी तरह से स्वदेशी लड़ाकू विमान विकसित करने का प्रयास किया। इसमें कई तकनीकी चुनौतियां सामने आईं, जैसे कि एवियोनिक्स, इंजन और एयरोडायनामिक्स को संतुलित करना। इससे परियोजना में देरी हुई।
संसाधनों की कमी: तेजस परियोजना के दौरान भारत में रक्षा अनुसंधान और विकास के लिए पर्याप्त संसाधनों की कमी थी। इससे विकास की गति धीमी रही।
बजट और वित्तीय समस्याएँ: इस परियोजना के दौरान कई बार बजट में कटौती हुई, जिससे विमान के विकास में बाधा आई।
वैश्विक सहयोग की कमी: तेजस के निर्माण में शुरुआत में भारत को अन्य देशों से बहुत कम तकनीकी सहयोग मिला। भारत को अपने खुद के अनुसंधान और विकास पर अधिक निर्भर रहना पड़ा, जिससे परियोजना में देरी हुई।
इंजन की समस्या: तेजस का Kaveri इंजन विकास में विफल रहा, जिसके कारण इसे GE के इंजन से बदलना पड़ा। यह प्रक्रिया भी लंबी चली और विकास में देरी का कारण बनी।
टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन: किसी भी फाइटर जेट को विकसित करने के बाद उसकी टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन की लंबी प्रक्रिया होती है। तेजस की टेस्टिंग में कई साल लगे और इसमें कई सुधार भी किए गए, जो इसकी देरी का कारण बने।
भारत को कितनी बढ़त दिलाएगा?
स्वदेशी रक्षा क्षमता: तेजस MK1 भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा। इससे भारत को विदेशी विमानों पर निर्भरता कम करनी पड़ेगी, जिससे रक्षा बजट में भी बचत होगी।
पाकिस्तान और चीन के खिलाफ बढ़त: तेजस की उन्नत तकनीकी क्षमता और हथियार प्रणाली इसे पाकिस्तान और चीन के विमानों के मुकाबले एक मजबूत विकल्प बनाती है। इसकी हल्की संरचना और तेज गति इसे हवाई युद्ध में अधिक फुर्तीला बनाती है।
भविष्य की परियोजनाएँ: तेजस MK1 के सफल विकास के बाद, भारत अब तेजस MK2 और AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) जैसे और भी उन्नत विमान बनाने की दिशा में बढ़ रहा है। इससे भारत की रक्षा क्षमताएँ और भी मजबूत होंगी। भारत तेजस का नया वर्जन तेजस-एमके2 भी बना रहा है, जो जल्द ही तैयार हो जाएगा। तेजस एमके2 पाँचवीं पीढ़ी का शानदार लड़ाकू विमान होगा।
रणनीतिक लाभ: तेजस का स्वदेशी निर्माण भारत को एक रणनीतिक लाभ देता है, क्योंकि इसे किसी भी समय उन्नत किया जा सकता है और भारतीय वायुसेना की आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है।
तेजस MK1 भारतीय वायुसेना के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इसका हल्का वजन, तेज गति, उन्नत एवियोनिक्स और हथियार प्रणाली इसे पाकिस्तान और चीन के विमानों के मुकाबले अधिक प्रभावी बनाते हैं। हालांकि इसके विकास में समय लगा, लेकिन इसके परिणामस्वरूप भारत ने एक अत्याधुनिक लड़ाकू विमान हासिल किया है, जो आने वाले दशकों तक देश की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करेगा। तेजस MK1 भारत के लिए गर्व का प्रतीक है, जो आत्मनिर्भरता और उन्नति का संदेश देता है।