लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बारे में अभी तक मीडिया और सरकार के माध्यम से बहुत कुछ लोगों के सामने आया है, लेकिन दोनों सेनाओं के बीच हुए खूनी रक्तपात की पूरी जानकारी अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी थी। आज हम आपको बताते हैं कि आखिर उस दिन गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच क्या हुआ था।
जैसा कि सभी को जानकारी है कि दस दिन पहले दोनों सेनाओं के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता हुई थी, लेकिन दोनों पक्षों के बीच पट्रोलिंग पॉइंट 14 को लेकर विवाद शुरू हो गया था, क्योंकि दोनों सेनाएँ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के बहुत करीब पहुँच गई थीं।
यह साबित हो गया था कि चीनी सेना ने गलवान नदी के किनारे अपनी एक पोस्ट का निर्माण कर लिया था, जो कि भारतीय सीमा में आती है, जिसे हटाने को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बन गई थी। वार्ता के कुछ दिन बाद चीनी सेना द्वारा पोस्ट को हटा दिया गया था।
पोस्ट हटने के बाद उसी दिन 16 बिहार रेजीमेंट बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी संतोष बाबू की एक समकक्ष चीनी अधिकारी के साथ बातचीत हुई थी, लेकिन 14 जून, 2020 को अचानक चीनी सेना ने रातों रात उसी पोस्ट को फिर से खड़ा कर दिया।
इसके बाद 15 जून को जब इसकी जानकारी भारतीय सैनिकों को हुई तो शाम करीब 5 बजे कर्नल संतोष बाबू ने अपनी 35 जवानों की टीम के साथ उस पोस्ट का स्वयं जाँच पड़ताल के लिए दौरा किया। जिस स्थान पर कर्नल बाबू अपनी टीम के साथ गए थे, वह स्थान कोई विवादित नहीं है। इसलिए जाँच टीम की कोई विशेष तैयारी भी नहीं थी।
भारतीय सेना जब उस पोस्ट पर पहुँची तो उन्होंने देखा कि पोस्ट पर नए चीनी सैनिक तैनात किए गए हैं और आम तौर पर उस क्षेत्र में PLA के इस तरह के सैनिक तैनात नहीं किए जाते हैं, यह एक चौंकाने वाली बात थी। बाद में सेना को पता चला कि विवादित पोस्ट पर वह सैनिक तैनात किए गए थे, जो तिब्बत में तैनात किए जाते हैं।
भारतीय सेना की टुकड़ी के पोस्ट पर पहुँचते ही चीनी सेना के जवान उग्र हो गए। जब कर्नल बाबू ने उस पोस्ट पर चीनी सेना की मौजूदगी का कारण पूछा तो एक चीनी सैनिक ने आगे बढ़कर गुस्से में चीनी भाषा में जोर से चिल्लाते हुए कर्नल बाबू को धक्का देकर पीछे की ओर धकेल दिया।
इसके बाद दोनों सेनाओं के बीच धक्का-मुक्की के साथ हाथापाई शुरू हो गई। यह पहला विवाद था, जो करीब 30 मिनट बाद शांत हो गया। इसमें दोनों ओर से कई सैनिक चोटिल हो गए, लेकिन भारतीय सैनिकों की टुकड़ी चीनी सैनिकों पर हावी रही। इसके बाद भारतीय सेना ने पोस्ट को तहस-नहस करके उसे आग के हवाले कर दिया।
इस दौरान भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को एलएसी के उस पार तक ढकेल दिया था। चीनी सैनिकों के इस तरह अचानक किए गए दुर्व्यवहार से कर्नल बाबू को आभास हो गया था कि कुछ बड़ा होने वाला है। इसी को ध्यान में रखते हुए कर्नल ने सभी घायलों को नीचे भेज दिया और पोस्ट पर अधिक संख्या में सैनिकों को बैकअप के लिए भेजने को कहा और अपने साथ मौजूद सैनिकों को कुछ समय के लिए शांत होने के लिए कहा।
इंडिया टुडे के शिव अरूर से बात करते हुए श्योक-गलवान पॉइंट पर तैनात सेना के एक अधिकारी ने कहा कि हमारे जवान बहुत अधिक गुस्से और जोश में थे और वह चीनी सेना को सबक सिखाना चाहते थे।
कर्नल बाबू को जिस बात का शक था, वह सही निकला और गलवान घाटी के किनारे बड़ी संख्या में घात लगाए चीनी सैनिकों ने भारतीय सेना के पहुँचते ही बड़े-बड़े पत्थरों से उन पर हमला कर दिया। यह दूसरी झड़प 300 सैनिकों के बीच करीब 45 मिनट तक चली। इसका परिणाम यह रहा कि दोनों ओर से कई सैनिक नदी में जा गिरे। इन्हीं में से एक कर्नल संतोष बाबू भी थे।
इस बीच दोनों देशों की सेनाओं ने अपने-अपने सैनिकों के शवों को उठाया। इस दौरान भारतीय सैनिकों ने नदी के ऊपर उड़ते एक चीनी ड्रोन को देखा। वह ड्रोन भारत के घायल सैनिकों के साथ-साथ शवों को देखकर नुकसान का अनुमान लगा रहा था। इसके बाद भारतीय सेना को आभास हुआ कि चीनी सेना इसके बाद भी शांत नहीं बैठेगी और वह तीसरी लड़ाई की तैयारी कर रही है।
इसके बाद बड़ी संख्या में सेना को बुलाया गया, जिसमें बैकअप के लिए 16 बिहार और साथ ही 3 पंजाब रेजिमेंट की प्लाटून भी शामिल थी। बैकअप आते ही भारतीय सेना ने एलएसी के उस पार कदम रखा और यह सुनिश्चित किया कि चीनी सेना एलएसी को पार नहीं कर सके।
11 बजे के बाद तीसरी बार दोनों देशों की सेनाओं के बीच लड़ाई शुरू हो गई। आपस में चट्टानों पर लड़ते हुए दोनों तरफ के कई जवान घायल होकर गलवान नदी में गिर गए। 5 घंटे की झड़प के बाद दोनों ओर से लड़ाई शांत हो गई। इसके बाद दोनों ओर से सैनिकों के शवों और घायलों का आदान-प्रदान किया गया।
इस झड़प में 10 भारतीय सैनिक चीनी की ओर रह गए (कुछ मीडिया ने इसे बंदी बताया, जबकि ऐसा कुछ नहीं था), जहाँ उनका इलाज किया जा रहा था। इनमें 2 मेजर, 2 कप्तान और 6 जवान शामिल थे। इस बीच पूर्व सेना प्रमुख और वर्तमान मंत्री जनरल वीके सिंह ने मीडिया को बताया कि चीन को हमसे दो गुनी क्षति हुई है। वहीं इंडिया टुडे टीवी को मिली जानकारी के मुताबिक तीसरी झड़प के बाद भारतीय सेना ने 16 चीनी सैनिकों के शवों को वापस किया था, जिनमें 5 चीनी सेना के अफसर थे।
16 जून की सुबह होते-होते भारतीय सैनिक एलएसी के इस पार आ गए और इस दौरान दोनों ओर से मेजर जनरलों ने स्थिति को अपने हाथों में लिया और आपस में वार्ता शुरू कर दी।
सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने इंडिया टुडे को बताया कि यह कोई बंदी वाली स्थित नहीं थी। हम उनके सैनिकों को और वह हमारे सैनिकों को इलाज दे रहे थे। 16 बिहार रेजीमेंट का चीनी सेना के साथ 2017 में हुए डोकलाम विवाद के दौरान भी सामना हो चुका है। रेजीमेंट ने आपनी आकलन रिपोर्ट में निश्चित किया है कि इस बार चीनी सेना ने गलवान पोस्ट पर कोई आम चीनी सेना को तैनात नहीं किया था।
यही कारण रहा कि इस बार चीनी सेना की नीयत बुरी थी और उनका मकसद गलवान वेली पर कब्जा करने का था। कर्नल बाबू का जाना यूनिट के लिए एक बड़ा झटका था। अब पट्रोलिंग पॉइंट 14 पर स्थिति सामान्य है।