Sunday, December 22, 2024
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पाकिस्तानी जासूसों के लिए जुटाता था पैसे, इनामी ISI एजेंट जियाउल हक को यूपी ATS ने दबोचा: ISI को भेज रहा था भारतीय सेना की ख़ुफ़िया सूचनाएँ

बताते चलें कि उत्तर प्रदेश ATS ने शुक्रवार (10 नवम्बर, 2023) को इजहारुल हुसैन और रियाजुद्दीन नाम के 2 ISI एजेंटों के खिलाफ FIR दर्ज की थी। तब ATS ने पता लगाया था कि...

उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने भारतीय सेना की सूचनाएँ पाकिस्तान को भेज रहे एक ISI एजेंट को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार एजेंट का नाम जियाउल हक है। जियाउल पर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित था। मूल रूप से बिहार के निवासी जियाउल हक को शनिवार (4 मई, 2024) को उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले से पकड़ा गया है। जियाउल हक से पूछताछ के बाद उसके नेटवर्क से जुड़े अन्य संदिग्धों का खुलासा होने की उम्मीद जताई जा रही है। ATS मामले की जाँच कर रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शनिवार को UP ATS को फरार चल रहे जियाउल हक के संतकबीरनगर जिले में होने की सूचना मिली थी। इस सूचना पर ATS ने जिले में अपना जाल बिछाया। सूचना सही पाई गई और जियाउल हक खलीलाबाद रेलवे स्टेशन के पास पुलिस को मिल गया। ATS ने जियाउल हक को दबोच लिया और विस्तृत पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई। आरोपित मूल रूप से बिहार के पश्चिम चम्पारण का निवासी बताया जा रहा है। वह भारतीय सेना की ख़ुफ़िया जानकारियाँ पाकिस्तान को भेजने वाली ISI टीम का सदस्य है।

क्या था मामला

बताते चलें कि उत्तर प्रदेश ATS ने शुक्रवार (10 नवम्बर, 2023) को इजहारुल हुसैन और रियाजुद्दीन नाम के 2 ISI एजेंटों के खिलाफ FIR दर्ज की थी। तब ATS ने पता लगाया था कि मार्च से अप्रैल 2022 के बीच गाजियाबाद के रियाजुद्दीन के खाते में संदिग्ध तौर पर 60 से 70 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे। इन खातों में बिहार के पश्चिम चम्पारण निवासी इजहारुल हुसैन का मोबाइल नंबर ऑपरेट हो रहा था। तब ATS ने गहराई से जाँच में पाया था कि ये पैसे भारत की सेना के साथ अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की जानकारियाँ हासिल करने के मकसद से भेजे जा रहे थे।

इसके अलावा यह फंडिंग भारत सरकार को अस्थिर करने और सुरक्षा तंत्र को प्रभावित करने के भी काम आने वाले थे। जानकारी में यह भी सामने आया था कि पाकिस्तान के इशारे पर देश के महत्वपूर्ण ठिकानों की रेकी कर रहे इस गिरोह में रियाजुद्दीन और इजहारुल के अलावा अन्य मेंबर भी मौजूद थे। इसी केस की जाँच में बिहार के जियाउल हक का भी नाम सामने आया था। बताया जा रहा है कि जियाउल न सिर्फ खुद सैन्य प्रतिष्ठानों की ख़ुफ़िया जानकारियाँ पाकिस्तान को भेज रहा था बल्कि ISI एजेंटों के लिए फंड भी जुटा रहा था।

सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए जियाउल नेपाल की सिम का प्रयोग करता था। वह इसी सिम से अपने सोशल हैंडल भी बना रखा था। जियाउल ISI एजेंटों के लिए पैसे पहुँचाने के लिए कई बैंक खातों का प्रयोग भी करता था। जाँच में नाम आने के बाद से जियाउल हक फरार हो गया था। ATS ने उसकी गिरफ्तारी पर 50 हजार का इनाम घोषित कर रखा था। आखिरकार 4 मई, 2024 को जियाउल हक को गिरफ्तार कर लिया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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