सेना के अधिकारियों और पूर्व सैनिकों को हनी-ट्रैप में फँसा कर उनसे गुप्त सैन्य जानकारी निकलवाने वाला एक गिरोह उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंक-निरोधक दस्ते (एटीएस) के निशाने पर है। संख्या में कुल 125 इन अकाउंटों को लेकर शक जताया जा रहा है कि ये पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI द्वारा भारतीय सैन्यकर्मियों को फ़ँसा कर उनसे जानकारी निकलवाने के लिए चलाए जा रहे हैं।
आईबी, सैन्य इंटेलिजेंस के साथ जानकारी साझा
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर के मुताबिक एटीएस ने इस मामले से जुड़ा डाटा ख़ुफ़िया ब्यूरो (आईबी) और सैन्य गुप्तचर महानिदेशालय (डीएमआई) के साथ भी साझा किया है। इन सभी अकाउंटों की फ्रेंड-लिस्ट में कम-से-कम एक फ्रेंड सेना या फिर किसी अर्धसैनिक बल का है। सभी 125 अकाउंटों में करीब 1,000 के आस-पास फेसबुक फ्रेंड हैं, जिनमें कई जवानों और सेना में नौकरी के इच्छुक अभ्यर्थियों से लेकर के गैर कमीशन-प्राप्त अफसर भी शामिल हैं।
ब्रह्मोस इंजीनियर की गिरफ़्तारी के बाद से पुलिस चौकन्नी
पिछले साल ब्रह्मोस मिसाइल के एयरोस्पेस इंजीनियर निशांत अग्रवाल और बीएसएफ के जवान अच्युतानंद मिश्रा की अक्टूबर में गिरफ़्तारी के बाद से उत्तर प्रदेश पुलिस सोशल मीडिया पर कड़ी निगहबानी किए हुए हैं। दोनों ही लोगों को आईएसआई ने फेसबुक के ज़रिए हनी-ट्रैप किया था। अग्रवाल ने तो यहाँ तक कबूल किया कि उसने ट्रेनिंग के दौरान अपने सीनियर के कम्प्यूटर से भी डाटा चुराया। वह डाटा सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल से जुड़ा था।
फेसबुक पेज बन रहा ‘शिकारगाह’, सिविलियन्स भी रहे सतर्क
निकल के यह भी सामने आ रहा है कि ‘जॉइन इंडियन आर्मी’ नामक एक फेसबुक पेज को लाइक करने वालों में से ही हनी-ट्रैप हो सकने वाले शिकारों का ‘चयन’ हो रहा है। एटीएस के अतिरिक्त महानिदेशक असीम अरुण ने यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि हनी-ट्रैप करने वाले केवल सैन्यकर्मियों और सेना में रिश्ते रखने वालों ही नहीं, आम नागरिकों (‘सिविलियन्स’) के भी निशाना बनने से इंकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे एक भोले-भाले नागरिक युवक को कनाडा में नौकरी का लालच दे कर उससे सेना के जवानों की चौकियों और सैन्य आयुधागारों की फोटो खिंचवाईं गईं। उसे अपने आपको ‘साबित’ करने की चुनौती दी गई थी।