Sunday, November 17, 2024
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CDS बिपिन रावत के लिए जिन सैनिकों (रिटायर्ड) ने दिखाई नफरत… पढ़ें आर्मी वाले शाहबेग सिंह को, जो बन गया था खालिस्तानी

वर्दी पहन देश की सेवा कर चुके इन रिटायर लोगों के अविवेकपूर्ण कथन भारतीय सेना के एक अधिकारी शाहबेग सिंह की याद दिलाते हैं, जिसने बाद में खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के सैन्य सलाहकार के रूप में काम किया था।

भारतीय वायु सेना का Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर बुधवार (8 दिसंबर 2021) को तमिलनाडु के नीलगिरी जिले के कुन्नूर इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में भारत ने अपने पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत के अलावा अन्य 11 सैनिकों को खो दिया।

हेलीकॉप्टर सुलूर से वेलिंगटन के लिए उड़ान भर रहा था। उस पर 14 लोग सवार थे। यात्रियों में सीडीएस रावत के साथ उनकी पत्नी मधुलिका रावत, ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, एनके गुरसेवक सिंह, एनके जितेंद्र, लांस नायक विवेक कुमार, लांस नायक बी साई तेजा और हवलदार सतपाल शामिल थे।

हालाँकि, जब बिपिन रावत की मौत की कोई पुष्टि नहीं हुई थी, तब भी वर्दी पहन चुके (अब रिटायर हो चुके) कुछ लोग देश के पहले सीडीएस के लिए अपनी नफरत नहीं छिपा सके। ऐसे समय में जब पूरा देश जनरल बिपिन रावत की सुरक्षा और भलाई के लिए प्रार्थना कर रहा था, कुछ सेना के जवान (रिटायर्ड) ऐसे भी थे, जिन्होंने उनकी मृत्यु की बात ट्वीट कर दी। कुछ अन्य लोगों ने तो यहाँ तक कह दिया कि बिपिन रावत के साथ वही हुआ, जिसके वह हकदार थे।

लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एचएस पनाग ने ट्वीट किया था, ‘RIP General Bipin Rawat’ ट्वीट कर दिया, जबकि उस समय सेना या केंद्र सरकार की तरफ से उनकी मौत की पुष्टि नहीं की गई थी।

एक अन्य रिटायर्ड कर्नल बलजीत बख्शी ने ट्वीट किया, “लोगों के साथ डील करने का कर्म (Karma) का अपना तरीका होता है।” उनके ट्वीट ने सोशल मीडिया पर आक्रोश फैला दिया। नेटिज़न्स ने जनरल बिपिन रावत पर निंदनीय कमेंट करने के लिए उन पर हमला किया।

Retired armymen hating on CDS reminds one of army officer turned Khalistan Shahbeg Singh

बख्शी ने बाद में ट्वीट को डिलीट कर दिया और माफी माँगते हुए कहा कि उनके ट्वीट को कई लोगों ने पसंद नहीं किया। उनका किसी के प्रति कोई बुरा इरादा नहीं था। हालाँकि कुछ ही मिनट बाद उन्होंने अपनी माफी वाली ट्वीट भी डिलीट कर दी।

As retired armymen express their hate for country's CDS, read who was Shahbeg Singh

उल्लेखनीय है कि रिटायर्ड कर्नल बलजीत बख्शी ने खालिस्तानियों के समर्थन वाले प्रतिबंधित ‘सिख फॉर जस्टिस’ जैसे संगठनों के लिए अपना पुरजोर समर्थन दिखाया था, जिन्होंने तथाकथित किसानों के आंदोलन को हाइजैक कर लिया था।

19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी, जिसके बाद रिटायर्ड कर्नल बलजीत बख्शीत ने एक व्यक्ति की तस्वीर पोस्ट की थी, जिसका चेहरा खून से लथपथ था और लिखा था, “आखिरकार, खून रंग लाया। अभी तो मोदी ने जुर्म कबूल किया है, सजा मिलना तो बाकी है।

शाहबेग सिंह कौन थे?

वर्दी पहनने वाले और देश के प्रतिष्ठित और सम्माननीय सशस्त्र बलों में सेवा करने वाले लोगों के ये अविवेकपूर्ण कथन भारतीय सेना के एक अधिकारी शाहबेग सिंह की याद दिलाते हैं, जिन्होंने बाद में खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के सैन्य सलाहकार के रूप में काम किया।

खालिस्तानी आंदोलन शुरू होने से पहले शाहबेग सिंह भारतीय सेना में कार्यरत थे और बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान पाकिस्तान समर्थित इस्लामवादियों द्वारा उत्पन्न खतरों को दूर करने के लिए मुक्ति वाहिनी स्वयंसेवकों की ट्रेनिंग में शामिल थे। उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में सेना से बर्खास्त कर दिया गया था और उनके रिटायर होने से ठीक एक दिन पहले उनकी पेंशन रोक दी गई थी।

शाहबेग और जरनैल सिंह भिंडरावाले

सशस्त्र बलों से बर्खास्त होने के बाद, शाहबेग सिंह खालिस्तान आंदोलन में शामिल हो गए और समूह के आतंकवादियों के लिए एक सैन्य सलाहकार और ट्रेनर के रूप में कार्य किया। रॉ की काउंटर-खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, खालिस्तान सेना के तीन प्रमुख व्यक्ति मेजर जनरल शाहबेग सिंह, बलबीर सिंह और अमरीक सिंह थे।

दिसंबर 1983 में, सिख राजनीतिक दल अकाली दल के अध्यक्ष हरचरण सिंह लोंगोवाल ने जरनैल सिंह भिंडरावाले को स्वर्ण मंदिर परिसर में रहने के लिए आमंत्रित किया था। शाहबेग सिंह को व्यापक रूप से मंदिर परिसर की सुरक्षा को मजबूत करने का श्रेय दिया जाता है, जिसने पैदल कमांडो ऑपरेशन की संभावना को असंभव बना दिया था।

कहा जाता है कि शाहबेग सिंह ने जून 1984 में अमृतसर के हरमंदिर साहिब में मौजूद सिख आतंकवादियों को संगठित किया था। उसी महीने भारत सरकार ने खालिस्तानी आतंकवाद के खतरे को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू किया था। सिंह ऑपरेशन के शुरुआती चरणों के दौरान अकाल तख्त और दर्शिनी देवरी के बीच गोलीबारी के दौरान मारे गए थे। बाद में उसका शव मिला और ऑपरेशन खत्म होने पर उसकी पहचान की गई। देश के साथ विश्वासघात के बावजूद, सिंह का अंतिम संस्कार सिख रीति-रिवाजों और पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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