Monday, December 23, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयइस्तीफे के डर से नेपाल के PM ओली ने पार्टी बैठक से किया किनारा,...

इस्तीफे के डर से नेपाल के PM ओली ने पार्टी बैठक से किया किनारा, चीन से साँठगाँठ पर घर में ही घिरे

बताया जाता है कि शर्मिंदगी से बचने के लिए ओली ने प्रचंड को अपने आवास पर बुलाया था। समझौता करने की कोशिश की। लेकिन, प्रचंड ने अपने स्टैंड में किसी तरह के बदलाव से इनकार कर दिया।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली अपने घर में ही घिर गए हैं। हालत यह हो गई है कि उन्होंने अपनी ही पार्टी की बैठक से शुक्रवार को किनारा कर लिया।

काठमांडू पोस्ट के अनुसार ओली ने शुक्रवार को सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। माना जा रहा था कि आज पार्टी उनसे इस्तीफा देने को कह सकती है।

हालॉंकि ओली के मीडिया सलाहकार सूर्या थापा ने दावा किया है कि पहले से कार्यक्रम तय होने के कारण प्रधानमंत्री बैठक में नहीं गए। उन्होंने इसके बारे में पार्टी को सूचित किया था।

हाल ही में देश को विवादित नक्शा देकर उसमें भारतीय इलाकों को शामिल करने वाले ओपी पर चीन से सॉंठगॉंठ करने के आरोप हैं। इसको लेकर उनके पार्टी के भीतर भी काफी नाराजगी है। यहॉं तक कि कई नेपाली इलाकों पर चीन के कब्जा कर लेने की खबरें भी हाल में सामने आई है।

अरसे बाद बुधवार से शुरू हुई तो नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्टैंडिंग कमिटी की बैठक में इसका असर भी दिखा। ओली की पार्टी के सह अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड से इस मसले पर तीखी तकरार हुई।

प्रचंड ने साफ़ शब्दों में ओली से ‘त्याग’ के लिए तैयार रहने को कहा। रिपोर्ट के मुताबिक दहल ने ओली पर आरोप लगाया कि वह पार्टी को अपनी मर्जी के मुताबिक चला रहे हैं, जबकि उन्होंने पार्टी कामकाज में उन्हें (दहल) अधिक अधिकार दिए जाने की बात स्वीकार की थी।

पार्टी के एक नेता के मुताबिक प्रचंड ने ओली से कहा, ”या तो हमें रास्ते अलग करने होंगे या हमें सुधार करने की जरूरत है। चूँकि अलग होना संभव नहीं है, इसलिए हमें अपने तरीके में बदलाव करना होगा, जिसके लिए हमें ‘त्याग’ करने के लिए तैयार रहना चाहिए।”

दहल ने यह भी कहा था कि अगर सरकार समाजवाद हासिल करने के अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाती है, तो पार्टी को अगले चुनावों में असफलता देखनी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार और पार्टी दोनों संकट में हैं। दूसरी ओर ओली ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि प्रशासन देशहित में जुटा हुआ है और सत्ताधारी पार्टी के नेता ही विपक्ष की तरह बर्ताव कर रहे हैं।

रिपोर्ट्स की मानें तो प्रचंड ने दो टूक कहा है कि वे नेपाल को पाकिस्तान नहीं बनने देंगे। उन्होंने कहा, “हमने सुना है कि सत्ता में बने रहने के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश मॉडल पर काम चल रहा है। लेकिन इस तरह के प्रयास सफल नहीं होंगे। भ्रष्टाचार के नाम पर कोई हमें जेल में नहीं डाल सकता है। देश को सेना की मदद से चलाना आसान नहीं है और ना ही पार्टी को तोड़कर विपक्ष के साथ सरकार चलाना संभव है।”

खबरें इस ओर इशारा भी कर रही हैं कि ओली अपनी ही पार्टी में पूरी तरह अलग-थलग हो गए हैं। 44 सदस्यीय स्थायी समिति में ओली के पक्ष में केवल 13 सदस्य हैं।

यहाँ बता दें, इससे पहले खबर आई थी कि प्रधानमंत्री ओली ने गुरुवार को प्रचंड को अपने निवास पर बुलाया था। साथ ही शर्मिंदगी से बचने के लिए उनके साथ समझौता करने की कोशिश की। पर प्रचंड ने इसके लिए साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा कि वह या उनके पक्ष के लोग अपने मत में कोई बदलाव नहीं करेंगे।

कहाँ से शुरु हुआ भारत-नेपाल विवाद

अभी हाल में भारत ने लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनाई थी। इसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया। इसके बाद ही नेपाल की सरकार ने विरोध जताते हुए 18 मई को नया नक्शा जारी किया था। भारत ने इस पर आपत्ति जताई थी।

पिछले महीने नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने संसद में घोषणा की कि भारत के कब्जे वाले कालापानी क्षेत्र (पिथौरागढ़ जिला) पर नेपाल का ‘निर्विवाद रूप से’ हक है। इसलिए इस क्षेत्र को पाने के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक कदम उठाने जा रही है। 

ओली की कैबिनेट ने नेपाल का एक नया राजनीतिक मानचित्र पेश किया है, जिसमें कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल के क्षेत्र के रूप में दिखाया गया। 13 जून को नक्शे में बदलाव से जुड़ा बिल पास कर दिया गया। 

नेपाली नेताओं ने भी किया विरोध

पीएम ओली द्वारा नक्शा लाए जाने का नेपाल के विधायकों और कुछ नेताओं ने खुलकर विरोध किया था। नेपाल के मर्चवार क्षेत्र से कॉन्ग्रेसी विधायक अष्टभुजा पाठक, भैरहवां के विधायक संतोष पांडेय व राष्ट्रीय जनता समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता महेंद्र यादव ने कहा कि नेपाल की संसद ने नक्शे में बदलाव के लिए पहाड़ पर खींची जिस नई लकीर पर मुहर लगाई है, वह देश के मैदानी इलाकों में दरार का कारण बन रही है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जनसंख्या 13.8 लाख, आधार कार्ड बने 14.53 लाख… बांग्लादेशियों की घुसपैठ के लिए बदनाम झारखंड में एक और ‘कमाल’, रिपोर्ट में दावा- 5 जिलों...

भाजपा की रिपोर्ट में सामने आया था कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में वोटरों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़त 20% से 123% तक हुई है।

केरल के सरकारी स्कूल में मन रहा था क्रिसमस, हिंदू कार्यकर्ताओं ने पूछा- जन्माष्टमी क्यों नहीं मनाते: टीचरों ने लगाया अभद्रता का आरोप, पुलिस...

केरल के एक सरकारी स्कूल में क्रिसमस मनाए जाने पर कुछ हिन्दू कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाए। इसके बाद उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
- विज्ञापन -