किसानों को गाय पालने के लिए अब शहर या गाँव से 200 मीटर दूर कोई जगह चुननी होगी। सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) ने हाल में गौशाला और डेयरी फार्म के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को यह जानकारी दी है।
नए दिशा-निर्देश के तहत शहर हो या गाँव, जहाँ आबादी होगी, उससे 200 मीटर की दूरी पर ही डेयरी फार्म और गौशाला खोलने की इजाजत मिलेगी। इनमें कहा गया है कि गौशाला और डेयरी खोलने के लिए नगर नियम व अन्य स्थानीय निकायों से वायु और जल अधिनियम के तहत मंजूरी लेनी होगी। इन दिशा निर्देशों को NGT(राष्ट्रीय हरित अधिकरण) ने भी मंजूरी दे दी है।
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, शहर हो या गाँव, आबादी वाले क्षेत्र से 200 मीटर की दूरी पर डेयरी फार्म और गौशाला खोलने की इजाजत के अलावा नदी, तालाब, झील के अलावा अस्पताल और शिक्षण संस्थानों से कम से कम 500 मीटर की दूरी पर ही कोई डेयरी फार्म या गौशाला खोल पाएगा। इसी तरह राष्ट्रीय राजमार्ग और नहरों से 200 मीटर की दूरी पर खोलने की इजाजत होगी।
एनजीटी ने गौशाला और डेयरी फार्म खोलने और इसके नियमन के लिए जारी दिशा-निर्देश को मंजूरी देते हुए इसे लागू करने की हरी झंडी दे दी है। एनजीटी प्रमुख जस्टिस एके गोयल की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष डेयरी फार्म और गौशाला के नियमन के लिए तैयार की गई दिशा-निर्देश पेश करते हुए सीपीसीबी ने यह जानकारी दी है।
“You want to rear cows? Get Pollution clearance!”
— Girish Alva (@girishalva) October 19, 2020
So unfair to farmers!
Rearing cows is part of a farmer’s life. How can we ask farmers & goushalas to get pollution certificate? Dairy farm rules cant apply here!
Dear @BSYBJP ji, you know farmers well. Kindly look into it🙏 pic.twitter.com/by2DJd5NtV
यह नए दिशा निर्देश ट्रिब्यूनल ने नुग्गेहाली जयसिम्हा की ओर से दाखिल याचिका के बाद जारी किए हैं जिनका सोशल मीडिया पर बहुत विरोध किया जा रहा है। 21 राज्यों ने नई दिशा-निर्देश को लागू करने पर सहमति दी है। जिन प्रदेशों ने इन निर्देशों को माना है उसमें कर्नाटक भी है।
ऐसे में गिरीश अल्वा जैसे सक्रिय सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि अगर ऐसा नियम होगा जहाँ गायों को पालन के लिए पॉल्यूशन क्लियरेंस लेना पड़ेगा तो इसका सीधा प्रभाव किसानों की जिंदगी और गौशालाओं पर पड़ेगा। लोग इस बाबत सीएम येदियुरप्पा को, पशुपालन मंत्री को टैग करके इस आदेश को वापस लेने की गुहार लगा रहे हैं।
This order is based on NGT guidelines & applicable to Dairy Farms & Gaushalas.
— Prashant Patil ಪ್ರಶಾಂತ प्रशांत🇮🇳 (@patil_prashanth) October 19, 2020
To some extent it’s acceptable for Dairy Farms, but not acceptable for Gaushalas.
It will increase corruption & lead to closure of Gaushalas.
I think slaughter house lobby is behind this order. pic.twitter.com/MjpGxztIcD
एक यूजर कहता है एनजीटी के दिशा निर्देश पर आधारित यह आदेश डेरी फार्म और गौशालाों पर लागू होगा। कई हद्द तक यह डेरी फार्म के लिए स्वीकार्य है मगर गौशालों के लिए यह बिलकुल स्वीकार्य नहीं है। इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा और गौशालाएँ बंद होंगी। लोगों को लग रहा है कि ऐसे आदेशों के पीछे बूचड़खाना चलाने वाली लॉबी की साजिश भी हो सकती है।
What a sad state of affairs! Goushalas/Farmers need to take permission from Pollution control board?
— Shishir Hegde #VishnugupthaVishwaVidyapeetha (@shishir_heg) October 19, 2020
If that’s so, No way a common man can rear cows or run a GouShala!
We strongly condemn this & urge to withdraw this!@SriSamsthana @ShyamAruna @Captain_Mani72 @PrabhuChavanBJP pic.twitter.com/yydczB6m1W
शिशिर हेगड़े लिखते हैं कि अगर गोशाला और किसानों को पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से इजाजत लेनी पड़ेगी तो कोई भी आम आदमी गो पालन नहीं कर पाएगा। इस फैसले की निंदा होनी चाहिए और इस ‘अवैज्ञानिक’ फैसले को वापस लिया जाना चाहिए।
शिशिर पूछते हैं कि जब यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हुआ है कि गो-पालन से वायु-जल प्रदूषण में नियंत्रण होता है तो यह बहुत दुखद है कि किसानों को अब गाय पालने से पहले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की इजाजत लेनी होगी। वह 200 मीटर दूर डेयरी फार्म और गोशाला खोलने की बात कर कहते हैं कि इससे चोरो और कसाइयों को आसानी होगी। आखिर कैसे उस समय पशुओं का ख्याल रखा जा सकेगा? कैसे पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी? और कौन गाय पालने वालों को उनके घर या गाँव से 200 किमी दूर जगह देगा? उनका कहना है कि ये सब ऐसा लग रहा है कि ये एक एजेंडा हो ताकि लोगों को गाय पालने से रोका जाए।