मायावती के कार्यकाल में 7 बंद चीनी मिलों को बेचने में हुए घोटाले के संबंध में सीबीआई लखनऊ की ऐंटी करप्शन ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की है। इसके अलावा 14 अन्य चीनी मिलों की बिक्री को लेकर 6 अलग जगहों पर भी आरंभिक जाँच करने के निर्देश दिए गए हैं।
साल 2010-11 में इन मिलों को बेचने में हुए घोटाले के कारण प्रदेश सरकार को ₹1,179 करोड़ का राजस्व घाटा हुआ था। जिसके मद्देनज़र गत वर्ष 12 अप्रैल को यूपी सरकार ने 21 (14+7) चीनी मिलों की बिक्री में हुई गड़बड़ियों में सीबीआई जाँच की माँग की थी।
Mayawati may feel heat as CBI files FIR in sugar mills case | India News – Times of India https://t.co/GC0aY9CXBM. THROW THIS BITCH IN JAIL FOR TWENTY YEARS. A CORRUPT FILTH IN LUCKNOW.
— keith walia (@keithsi65626959) April 27, 2019
सीबीआई ने इस मामले में गाजियाबाद के इंदिरापुरम निवासी धर्मेंद्र गुप्ता, दिल्ली के रोहिणी निवासी राकेश शर्मा, सुमन शर्मा, बेहट के निवासी मोहम्मद नसीम अहमद और मोहम्मद वाजिद का नाम दर्ज़ किया है। इन लोगों के ख़िलाफ़ सीबीआई ने धोखाधड़ी, जालसाजी और कंपनी एक्ट 1956 की धारा 629 (ए) के तहत मामला दर्ज किया है।
इससे पूर्व साल 2017 में 9 नवंबर को राज्य चीनी निगम लिमिटेड ने चीनी मिल खरीदने वाली दो फर्जी कंपनियों के ख़िलाफ़ गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। इसे सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन विंग की जाँच के पश्चात दर्ज किया गया था।
That poor Dalit kei beti and leader of Dalits should get proper justice – https://t.co/KGrqLw90Ea
— YK GUPTA (@YKGUPTA1) April 27, 2019
चूँकि लोकसभा चुनावों का दौर जारी है तो इस जाँच के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में अभी 4 चरण के चुनाव होने बाकी हैं ऐसे में जाँच का असर सपा-बसपा के गठबंधन पर पड़ सकता है। बता दें कि इस मामले की लोकायुक्त जाँच रिपोर्ट अखिलेश सरकार को सौंपी गई थी, लेकिन तब इस मामले पर ज्यादा गौर नहीं किया गया था।