बिहार में विपक्षी महागठबंधन के सभी बड़े नेता राँची स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में हाजिरी दे रहे हैं। चारा घोटाले में सज़ायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव उसी जेल में बंद हैं। बता दें कि बिहार में भाजपा-जदयू-लोजपा गठबंधन के मुक़ाबले राजद महागठबंधन का नेतृत्व करेगा जिसमें उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा भी शामिल है। कॉन्ग्रेस के इसमें शामिल होने को लेकर अभी तक पेंच बरकरार है। हालाँकि,दोनों दलों के नेताओं का कहना है कि कॉन्ग्रेस इस गठबंधन का हिस्सा बनेगी। लेकिन, ये सारी रणनीति एक व्यक्ति के इशारे पर तय हो रही है और वो हैं लालू यादव। लालू जेल से ही अपने पत्ते खेल रहे हैं और उनके इशारे पर महागठबंधन में बाजी बन और पलट रही है।
ANALYSIS: जेल में बंद लालू के आगे कांग्रेस ने किया ‘सरेंडर’, महागठबंधन का ये बना फॉर्मूला #ElectionsWithNews18 #BattleOf2019https://t.co/FqnjIPdQx7
— News18 India (@News18India) March 13, 2019
फिलहाल लालू यादव स्वास्थ्य कारणों से राजेंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (RIMS) में दाखिल हैं। वहाँ उनका इलाज़ चल रहा है। उनसे मिलने आने वाले लोगों से भी वह हॉस्पिटल में ही मुलाक़ात कर रहे हैं। झारखण्ड के उस अस्पताल के बाहर बिहारी नेताओं की लम्बी लाइन लगी हुई है। जनवरी में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी लालू से मिलने पहुँचे थे। जदयू के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा से अयोग्य करार दिए गए शरद यादव भी लालू से मिले। फरवरी में पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश साहनी ने लालू के साथ बैठक की। लालू यादव को इस स्थिति में बिहार की राजनीति का ‘हैंड ऑफ गॉड’ कहा जा रहा है।
लालू यादव उम्मीदवार चुनने से लेकर पार्टी के आंतरिक निर्णयों तक, सभी चीजों पर नेताओं से मिलकर अपनी सलाह दे रहे हैं। पिछले कुछ सप्ताह में विधायक भोला यादव और वामपंथी नेता सीताराम येचुरी, डी राजा ने भी लालू से मुलाक़ात की। भोला यादव ने इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए कहा:
“उनसे मिलने के अनुरोध के साथ हर हफ्ते सैकड़ों आवेदन आते हैं। विपक्षी दलों के राजनीतिक नेताओं, उनके अपने विधायकों और नेताओं, टिकट चाहने वालों और यहाँ तक कि उन लोगों से जो बिहार के विभिन्न हिस्सों से सिर्फ उनसे मिलने के लिए आना चाहते हैं।”
नियमानुसार आगुन्तकों में से लालू यादव को किसी तीन को चुनने को कहा जाता है। उन्हें मिलने आए लोगों के नाम दिए जाते हैं, जिसमे से वह किसी तीन से मिलते हैं। झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने कहा है कि इस मामले में जेल नियमों में कोई ढील नहीं दी जाएगी। फरवरी के पहले सप्ताह में पटना में हुई राहुल गाँधी की रैली में तेजस्वी यादव लालू के कहने पर ही शामिल हुए थे। लालू जानते थे कि विपक्षी एकता दिखने के लिए राजद की मौजूदगी उस मंच पर ज़रूरी है। लालू यादव की पार्टी बिहार में उनके पुराने माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण के भरोसे है। नितीश कुमार और नरेंद्र मोदी के रूप में राज्य में राजग के पास वोट बटोरने के लिए दो बड़े चेहरे हैं। पासवान के रहते एक बड़ा दलित चेहरा भी है। ऐसे में, महागठगबंधन की स्थिति अभी वहाँ कमजोर लग रही है।