Sunday, December 22, 2024
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पाकिस्तान के जिस होटल में थे चीनी राजदूत उसे उड़ाया, बीजिंग के ‘बेल्ट एंड रोड’ प्रोजेक्ट से ऑस्ट्रेलिया ने किया किनारा

ऑस्ट्रेलिया द्वारा चीन के साथ समझौतों को रद्द किया जाना हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में नए सामरिक समीकरणों का निर्माण करेगा, जिसमें भारत और ऑस्ट्रेलिया बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं।

चीन को बुधवार (21 अप्रैल 2021) को दो बड़े झटके लगे। एक पाकिस्तान में जहाँ वह लगातार दखल बढ़ा रहा है। दूसरा झटका वैश्विक प्रभाव बढ़ाने के उसके मॅंसूबों को ऑस्ट्रेलिया ने दिया है।

पाकिस्तान के क्वेटा में कार बम विस्फोट में पाकिस्तानी तालिबान ने उस होटल को उड़ा दिया, जिसमें चीन के राजदूत ठहरे थे। हमले में 5 लोगों की मौत हो गई जबकि 12 अन्य जख्मी हो गए। वहीं, ऑस्ट्रेलिया की स्कॉट मॉरिसन सरकार ने चीन के साथ हुए ‘बेल्ट एण्ड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई)’ से संबंधित समझौतों को रद्द कर दिया है।

ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है। ये समझौते ऑस्ट्रेलिया की प्रांतीय विक्टोरिया सरकार और चीन के नेशनल डेवलपमेंट एण्ड रिफॉर्म कमीशन के मध्य अक्टूबर 2018 और अक्टूबर 2019 में हुए थे। चीन ने ऑस्ट्रेलिया के इस कदम को दुर्भावनापूर्ण और अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक बताया है।

बुधवार (21 अप्रैल 2021) को ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मेराइस पेन ने चीन के साथ हुए चार समझौतों को रद्द करने की घोषणा की। इन चार समझौतों में से दो समझौते ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरिया प्रांत की सरकार ने किए थे, जो चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआई से जुड़े थे। ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री ने कहा कि ये समझौते ऑस्ट्रेलिया की विदेश नीति और विदेशी संबंधों के प्रतिकूल थे। उन्होंने विदेशी संबंधों में स्थिरता को प्रमुख स्थान देते हुए कहा कि यह निर्णय ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय हितों पर आधारित है और देश के विदेशी संबंधों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए है।

बीआरआई के तहत समझौतों को रद्द करने के ऑस्ट्रेलिया के निर्णय के बाद चीन नाराज हो गया है। ग्लोबल टाइम्स के हवाले से चीनी एक्सपर्ट्स ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया का यह निर्णय चीन और ऑस्ट्रेलिया के मध्य संभावित ट्रेड वॉर का कारण बन सकता है। वहीं ऑस्ट्रेलिया के चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि का यह निर्णय बताता है कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार चीन के साथ संबंधों को सुधारने के प्रति बिल्कुल भी ईमानदार नहीं है।

पिछले कुछ समय से ऑस्ट्रेलिया ने चीन को लेकर अपना रवैया अधिक स्पष्ट किया है। फिर चाहे वह चाइनीज कंपनी हुआवे को बैन करने की बात हो या फिर शिनजियांग और हॉन्गकॉन्ग में मानवाधिकारों पर आवाज उठाने की। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया ने ताइवान समेत चीन के आंतरिक मुद्दों पर चर्चा करने की माँग भी की थी। हालाँकि चीन से ऑस्ट्रेलिया के रिश्ते तब से ही खराब हैं जब ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस महामारी के विषय में चीन की स्वतंत्र रूप से जाँच की माँग की थी।

जिस प्रकार से ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मेराइस पेन ने चीन के बीआरआई से जुड़े समझौतों को रद्द करने के लिए अपने विदेशी संबंधों की स्थिरता की दुहाई दी, उसे भारत के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। भारत ने शुरू से ही चीन की इस महत्वाकांक्षी परियोजना से अपनी दूरी बनाकर रखी। हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत ही एकमात्र ऐसा बड़ा देश रहा है जिसने मुखरता से चीन की विस्तारवादी नीतियों की आलोचना की और इसके लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास किए।

भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का ‘क्वाड’ समूह हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीतियों का सबसे बड़ा अवरोध बन सकता है। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया द्वारा चीन के साथ समझौतों को रद्द किया जाना हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में नए सामरिक समीकरणों का निर्माण करेगा, जिसमें भारत और ऑस्ट्रेलिया बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं।

क्या है बेल्ट एण्ड रोड इनिशिएटिव?

बेल्ट एण्ड रोड इनिशिएटिव अथवा वन बेल्ट-वन रोड चीन की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। इस परियोजना के माध्यम से चीन अपने देश को एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कई देशों से रोड और रेलवे लाइन के माध्यम से जोड़ना चाहता है। उसकी यह परियोजना प्राचीन सिल्क रूट का ही आधुनिक संस्करण है। हालाँकि चीन इसे व्यापार सुगमता और वैश्विक व्यापार के अवसरों की वृद्धि की एक पहल के रूप में प्रचारित करता है, किन्तु भारत समेत कई देश इसे चीन की एक गहरी साजिश बताते हैं। एक ऐसी साजिश जिसके तहत चीन अल्पविकसित और विकासशील देशों में विकास के नाम पर उन्हें भारी कर्ज में लाद देता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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