प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (फरवरी 24, 2019) सुबह 11 बजे ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के 53वें एपिसोड के माध्यम से देशवासियों को संबोधित किया। इसकी जानकारी पीएम मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल से दी थी। उन्होंने लिखा, ‘‘आज मन की बात कार्यक्रम स्पेशल होगा। आप बाद में मत कहना है कि पहले नहीं बताया।’’
Today’s #MannKiBaat is special! Do tune in at 11 AM.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 24, 2019
Later on don’t say I didn’t tell you in advance 🙂 pic.twitter.com/LT8N5Mkyev
53वें ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने सबसे पहले पुलवामा हमले का जिक्र किया। पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले के बाद यह पहला ‘मन की बात’ कार्यक्रम था। नरेंद्र मोदी ने कहा, “मन की बात शुरू करते हुए आज मन भरा हुआ है, 10 दिन पूर्व, भारत-माता ने अपने वीर सपूतों को खो दिया। इन पराक्रमी वीरों ने, हम सवा-सौ करोड़ भारतीयों की रक्षा में ख़ुद को खपा दिया। देशवासी चैन की नींद सो सकें, इसलिए, इन हमारे वीर सपूतों ने, रात-दिन एक करके रखा था।
‘मन की बात’ शुरू करते हुए आज मन भरा हुआ है.10 दिन पूर्व, भारत-माता ने अपने वीर सपूतों को खो दिया. इन पराक्रमी वीरों ने, हम सवा-सौ करोड़ भारतीयों की रक्षा में ख़ुद को खपा दिया. देशवासी चैन की नींद सो सकें, इसलिए, इन हमारे वीर सपूतों ने, रात-दिन एक करके रखा था. PM in #MannKiBaat pic.twitter.com/zpqUZKutqF
— ALL INDIA RADIO (@AkashvaniAIR) February 24, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आज के ‘मन की बात’ कार्यक्रम की प्रमुख बातें:
- इस आतंकी हिंसा के विरोध में जो आवेग आपके और मेरे मन में है, वही भाव हर देशवासी के अंतर्मन में है और मानवता में विश्वास करने वाले विश्व के मानवतावादी समुदायों में भी है। भारत-माता की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले देश के सभी वीर सपूतों को मैं नमन करता हूँ।
- यह बलिदान आतंक को समूल नष्ट करने के लिए हमें निरन्तर प्रेरित करेगी। देश के सामने आई इस चुनौती का सामना हम सबको जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद और बाकि सभी मतभेदों को भुलाकर करना है, ताकि आतंक के खिलाफ हमारे कदम पहले से कहीं अधिक दृढ़ हों, सशक्त हों और निर्णायक हों।
- हमारे सशस्त्र बल हमेशा ही अद्वितीय साहस और पराक्रम का परिचय देते आये हैं। शांति की स्थापना के लिए जहाँ उन्होंने अद्भुत क्षमता दिखायी है, वहीं हमलावरों को भी उन्हीं की भाषा में जबाव देने का काम किया है।
- बिहार के भागलपुर के बलिदानी रतन ठाकुर के पिता रामनिरंजन जी ने दुख की इस घड़ी में भी जिस ज़ज्बे का परिचय दिया है, वह हम सबको प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि वे अपने दूसरे बेटे को भी दुश्मनों से लड़ने के लिए भेजेंगे और जरुरत पड़ी तो ख़ुद भी लड़ने जाएँगे।
- ओडिशा के जगतसिंह पुर के बलिदानी प्रसन्ना साहू की पत्नी मीना जी के अदम्य साहस को पूरा देश सलाम कर रहा है। उन्होंने अपने इकलौते बेटे को भी सीआरपीएफ ज्वाइन कराने का प्रण लिया है। जब तिरंगे में लिपटे वीर बलिदानी विजय शोरेन का शव झारखण्ड के गुमला पहुँचा तो मासूम बेटे ने यही कहा कि मैं भी फौज़ में जाऊँगा। इस मासूम का जज़्बा आज भारतवर्ष के बच्चे-बच्चे की भावना को व्यक्त करता है।
- ऐसी ही भावनाएँ हमारे वीर, पराक्रमी बलिदानियों के घर-घर में देखने को मिल रही हैं। हमारा एक भी वीर इस में अपवाद नहीं है, उनका परिवार अपवाद नहीं है।
- चाहे वो देवरिया के पराक्रमी विजय मौर्य का परिवार हो, कांगड़ा के शहीद तिलकराज के माता-पिता हों या फिर कोटा के हुतात्मा वीर हेमराज का 6 साल का बेटा हो – बलिदानियों के हर परिवार की कहानी, प्रेरणा से भरी हुई हैं।
- देशभक्ति क्या होती है, त्याग-तपस्या क्या होती है, उसके लिए हमें इतिहास की पुरानी घटनाओं की ओर जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। हमारी आँखों के सामने, ये जीते-जागते उदाहरण हैं और यही उज्ज्वल भारत के भविष्य के लिए प्रेरणा का कारण हैं।
- हम सबको जिस वार मेमोरियल का इन्तजार था, वह अब ख़त्म होने जा रहा है। इसके बारे में देशवासियों की जिज्ञासा, उत्सुकता बहुत स्वाभाविक है। एक ऐसा मेमोरियल, जहाँ राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर जवानों की शौर्य-गाथाओं को संजो कर रखा जा सके।
- हमने नेशनल वार मेमोरियल के निर्माण का निर्णय लिया और मुझे खुशी है कि यह स्मारक इतने कम समय में बनकर तैयार हो चुका है। 25 फरवरी को हम करोड़ों देशवासी इस राष्ट्रीय सैनिक स्मारक को, हमारी सेना को सुपुर्द करेंगे। देश अपना कर्ज चुकाने का एक छोटा सा प्रयास करेगा।
- इंडिया गेट और अमर जवान ज्योति के पास ही ये नया स्मारक बनाया गया है। मुझे विश्वास है, ये देशवासियों के लिए राष्ट्रीय सैनिक स्मारक जाना किसी तीर्थ स्थल जाने के समान होगा। यह स्मारक स्वतंत्रता के बाद सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों के प्रति राष्ट्र की कृतज्ञता का प्रतीक है।
- राष्ट्रीय सैनिक स्मारक ‘Four Concentric Circles यानी 4 चक्रों पर केंद्रित है, जहाँ पर सैनिकों के जन्म से लेकर शहादत तक की यात्रा का चित्रण है।
- अमर चक्र की लौ, शहीद सैनिक की अमरता का प्रतीक है। दूसरा सर्कल वीरता चक्र का है, जो सैनिकों के साहस और बहादुरी को प्रदर्शित करता है। इसके बाद, त्याग चक्र है। यह सर्कल सैनिकों के बलिदान को प्रदर्शित करता है। इसके बाद रक्षक चक्र, यह सुरक्षा को प्रदर्शित करता है। इस सर्कल में घने पेड़ों की पंक्ति है। ये पेड़ सैनिकों के प्रतीक हैं और देश के नागरिकों को यह विश्वास दिलाते हुए सन्देश दे रहे हैं कि हर पहर सैनिक सीमा पर तैनात है और देशवासी सुरक्षित है।
अंत में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, “चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव होता है। मार्च, अप्रैल और पूरा मई, ये 3 महीने की सारी हमारी जो भावनाएँ हैं, उन सबको मैं चुनाव के बाद एक नए विश्वास के साथ आपके आशीर्वाद की ताकत के साथ फिर एक बार ‘मन की बात’ के माध्यम से हमारी बातचीत के सिलसिले का आरम्भ करूँगा और सालों तक आपसे ‘मन की बात’ करता रहूँगा।
मार्च, अप्रैल और पूरा मई; ये तीन महीने की सारी हमारी जो भावनाएँ हैं उन सबको मैं चुनाव के बाद एक नए विश्वास के साथ आपके आशीर्वाद की ताकत के साथ फिर एक बार ‘मन की बात’ के माध्यम से हमारी बातचीत के सिलसिले का आरम्भ करूँगा और सालों तक आपसे ‘मन की बात’ करता रहूँगा: PM#MannKiBaat
— PMO India (@PMOIndia) February 24, 2019
आज के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान नरेंद्र मोदी ने जमशेद जी टाटा, बिरसा मुंडा और देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का भी स्मरण किया। मोदी ने कहा, “मोरारजी भाई देसाई का जन्म 29 फरवरी को हुआ था। सहज, शांतिपूर्ण व्यक्तित्व के धनी, मोरारजी भाई देश के सबसे अनुशासित नेताओं में से थे। मोरारजी भाई देसाई के कार्यकाल के दौरान ही 44वाँ संविधान संशोधन लाया गया, यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इमरजेंसी के दौरान जो 42वाँ संशोधन लाया गया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कम करने और दूसरे ऐसे प्रावधान थे, उनको वापिस किया गया।”
मोरारजी भाई देसाई के कार्यकाल के दौरान ही 44वाँ संविधान संशोधन लाया गया |
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यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि emergency के दौरान जो 42वाँ संशोधन लाया गया था, जिसमें सुप्रीमकोर्ट की शक्तियों को कम करने और दूसरे ऐसे प्रावधान थे, उनको वापिस किया गया: PM#MannKiBaat pic.twitter.com/UvbjjIRtBz