भारतीय रेलवे ने गुरुवार को अपने सभी मण्डलों को एक सात पन्ने की एडवाइजरी जारी करते हुए सभी स्टेशनों की सुरक्षा कड़ी करने की सलाह दी है। आरपीएफ के जवानों की छुट्टियाँ भी रद्द कर दी गईं है। बता दें कि रेलवे की ओर से यह फैसला अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आने वाले निर्णय से ठीक पहले आया है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पाँच सदस्यीय बेंच ने लगातार चालीस दिन तक चली सुनवाई के बाद इस मामले में 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवम्बर को रिटायर होने वाले हैं। इससे पहले फैसला आने की उम्मीद है।
रेलवे द्वारा जारी एडवाइजरी के तहत अधिकारियों को यह निर्देश दिए गए हैं कि रेलवे प्लेटफॉर्म से लेकर पार्किंग, पुल, टनल, प्रोडक्शन यूनिट से लेकर हर उस जगह की सुरक्षा बढ़ा दी जाए जहाँ हिंसा की आशंका हो सकती है या किसी भी तरीके से हथियार या बम रखने की कोई गुंजाइश हो।
रेलवे सुरक्षाबलों को भी इस सम्बन्ध में निर्देश दिए गए हैं कि रेलवे परिसर की निकटता वाली सभी धार्मिक या मज़हबी प्रकृति की इमारतों पर ध्यान रखा जाए– वे किसी भी तरीके से साम्प्रदयिक उन्माद या दंगे का संभावित केंद्र सकती हैं। देश में 78 ऐसे बड़े स्टेशनों को चिन्हित कर लिया गया है जहाँ से यात्रा करने वाले लोगों की संख्या अधिक है। विशेष सिक्योरिटी प्रदान किए जाने वाले इन स्टेशनों में दिल्ली, मुंबई समेत कई बड़े स्टेशन शामिल हैं।
राम जन्मभूमि पर आने वाले अदालत के फैसले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने रेलवे को दिया बिजली बचाने का आदेश वापस लेते हुए अपने हालिया निर्देश में सभी स्टेशनों को 100 प्रतिशत बिजली खर्च कर उन्हें हर वक़्त रोशनी से भरपूर रखने को कहा है। गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश में पहले ही 4,000 अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों के जवानों को सुरक्षा के लिए तैनात कर दिया है। बता दें कि अयोध्या में पहले से ही धारा 144 लागू है।