पिछले साल (2018) जून में कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों द्वारा राइफ़लमैन औरंगज़ेब के अपहरण और हत्या करने की घटना के संबंध में सेना ने सुरक्षा बलों के तीन जवानों को संदिग्ध माना है और उनसे पूछताछ कर रही है।
जानकारी के मुताबिक, 44 राष्ट्रीय राइफ़ल्स के तीन जवानों को हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। सेना को संदेह है कि राष्ट्रीय राइफ़ल्स के जवानों ने राइफ़लमैन औरंगजेब से जुड़ी जानकारी आतंकवादियों से साझा की थी।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर के अनुसार, जिन तीन जवानों से पूछताछ की जा रही है, वो सभी दक्षिण कश्मीर से हैं। आबिद वानी, तजामुल अहमद और आदिल वानी – ये उन तीन जवानों के नाम हैं। रक्षा प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया के अनुसार सेना उन परिस्थितियों की जाँच कर रही है, जिनके कारण औरंगज़ेब का अपहरण और फिर हत्या की गई।
बता दें कि राष्ट्रीय राइफ़ल्स के जवानों से पूछताछ संबंधी जानकारी तब उजागर हुई, जब बीते सोमवार (4 फ़रवरी 2019) को पुलवामा के जवान आबिद वानी (तीनों संदिग्ध जवानों में से एक) के भाई तौसीफ़ अहमद वानी को राष्ट्रीय राइफ़ल्स के द्वारा पूछताछ के लिए बुलाया गया।
औरंगज़ेब 4 जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के साथ थे लेकिन उन्हें 44 राष्ट्रीय राइफ़ल्स में तैनात किया गया था। वह सैन्य अधिकारी मेजर शुक्ला के निजी गार्ड थे, जिन्होंने आतंकवादी समीर टाइगर को मारा था। मेजर शुक्ला 30 अप्रैल, 2018 को पुलवामा ज़िले के द्रुबगम गाँव में समीर टाइगर से हुई मुठभेड़ में घायल हो गए थे।
मारे गए राइफ़लमैन औरंगज़ेब ने पिछले साल जून में अपने परिवार के साथ ईद मनाने की योजना बनाई थी। घर जाने के लिए वह बस पकड़ने को कार से पुलवामा बस स्टैंड की ओर जा रहे थे। तभी आतंकवादियों ने उनकी कार को कुछ किलोमीटर पहले ही रोक लिया और अपहरण कर उन्हें मार डाला। उनका शव पुलवामा ज़िले के कलामपोरा में अपहरण के स्थल से लगभग 10 किलोमीटर दूर बरामद किया गया था। पोस्टमॉर्टम से पता चला था कि उनकी गर्दन और सिर पर गोलियाँ दागी गईं थी।
औरंगज़ेब जिस कार से जा रहे थे, उसके ड्राइवर की पहचान एक स्थानीय सरकारी स्वास्थ्य केंद्र के फार्मासिस्ट फ़ारूक अहमद अल्लई के रूप में हुई है। अल्लई के अनुसार, पुलवामा ज़िले के कलामपोरा इलाक़े में आतंकवादियों द्वारा उनकी कार रोक ली गई थी। अल्लाई ने बताया कि आतंकवादियों ने उन्हें भी पीटा था। बाद में अल्लई ने घटना की विस्तृत जानकारी पुलवामा के राजपोरा पुलिस स्टेशन में दी थी।