Friday, October 18, 2024
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भारत में शरिया लागू करना चाहता था जो आतंकी लतीफ़, उसे मार गिराने वाले राजेंद्र प्रसाद जाट को ‘शौर्य चक्र’: कश्मीरी हिन्दू राहुल और TikToker आमरीन की कर दी थी हत्या

रात लगभग 10 बजे से शुरू हुई मुठभेड़ अगले दिन शाम लगभग 8 बजे खत्म हुई। तीनों आतंकियों के शव घर और उसके आसपास अलग-अलग लोकेशन पर पड़े पाए गए थे। इन सभी के पास घातक हथियार और गोला-बारूद बरामद हुए थे।

राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार (5 जुलाई, 2024) को रक्षा अलंकरण समारोह-2024 का आयोजन हुआ। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश की रक्षा के लिए अदम्य साहस दिखाने वाले वीरों अथवा उनके परिजनों को वीरता पुरस्कार प्रदान किए। ऑपइंडिया ने इस अवसर पर शौर्य चक्र पाए भारतीय सेना के मेजर राजेंद्र प्रसाद जाट से बातचीत की। मेजर राजेंद्र ने कश्मीर में लश्कर-ए-तैय्यबा के मोस्ट वॉन्टेड 10 लाख रुपए के इनामी आतंकी लतीफ़ राठर को उसके साथियों सहित मुठभेड़ में मार गिराया था।

भारत में शरिया कानून लागू करने की सोच वाले आतंकी राठर ने ही कश्मीर में रील बनाने वाली लड़की आमरीन की हत्या की थी।

मेजर राजेंद्र प्रसाद मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं। उनके परिवार और रिश्तेदारियों में कई लोग सेना में शामिल हो कर देश की सेवा कर रहे हैं अथवा पूर्व सैनिक हैं। मेजर राजेंद्र के मुताबिक, बचपन से ही उन्होंने अपने घर-परिवार में देश के लिए मरने-मिटने का जज्बा देखा जो उनको भी सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित कर गया। भारतीय सेना की डोगरा रेजिमेंट के मेजर राजेंद्र प्रसाद ने हमें बताया कि शौर्य चक्र मिलने से उनका परिवार, गाँव और पूरा देश गौरवान्वित है, ऐसे में उनको ख़ुशी होना स्वाभाविक है। फिलहाल मेजर राजेंद्र की तैनाती हैदराबाद में है।

सरेंडर के लिए कहा तो आतंकी बरसाने लगे थे गोलियाँ

जिस वीरता के लिए मेजर राजेंद्र को शौर्य चक्र मिला तो मुठभेड़ अगस्त 2022 में कश्मीर के बडगाम इलाके में हुई थी। तब रात लगभग 10 बजे सुरक्षा बलों को खानसाहिब इलाके के वाटरहेल में कुछ आतंकियों की मौजूदगी के इनपुट मिले थे। सूचना मिलते ही राष्ट्रीय रायफल्स की 62वीं बटालियन में तैनात मेजर राजेंद्र प्रसाद अपनी टुकड़ी के साथ निकल पड़े। घटनास्थल पर पहुँच कर सूचना सही मिली। आतंकियों को घेर लिया गया और सरेंडर के लिए चेताया गया।

जवाब में आतंकियों ने गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी। आखिरकार सुरक्षा बलों को जवाबी फायरिंग करनी पड़ी।

अँधेरी रात और जंगली क्षेत्र में हुई थी मुठभेड़

ऑपइंडिया ने मेजर राजेंद्र प्रसाद से उस मुठभेड़ के बारे में बात की। उन्होंने हमें बताया कि अँधेरी रात में दृश्यता न के बराबर थी। मुठभेड़ स्थल भी गाँव के बाहरी हिस्से में था जहाँ से जंगल शुरू होता था। घने पेड़ों के बीच एक घर में आतंकी छिपे हुए थे। छिपते और सँभाल कर सुरक्षा बलों ने घर को चारों तरफ से घेर लिया। कुछ ही देर में आतंकियों को अपने घिरे होने की जानकारी मिल गई। उन्होंने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। जवानों ने पेड़ की ओट में खुद को बचाया और जवाबी गोलीबारी करने लगे।

आतंकी भी मारने थे और नागरिक भी बचाने थे

मेजर राजेंद्र प्रसाद ने हमें आगे बताया कि चूँकि आतंकी एक घर में छिपे थे इसलिए उनकी टुकड़ी को बहुत सँभल कर लड़ना पड़ रहा था। जवानों को ये नहीं पता था कि घर में कितने आतंकी छिपे हैं। साथ ही इस बात की भी पुष्टि नहीं हो पा रही थी कि कहीं आतंकियों ने किसी को बंधक तो नहीं बना लिया है। ऐसे में बेहद संभल कर लड़ते हुए सुबह हो गई। पूरी रात आतंकियों की तरफ से गोलियाँ बरसती रहीं। हालाँकि, इस दौरान मेजर राजेंद्र की टुकड़ी ने घेराबंदी कमजोर नहीं होने दी जिसकी वजह से आतंकी घर से निकल कर भाग नहीं पाए।

20 घंटे से अधिक चली थी मुठभेड़, 3 आतंकी ढेर

बकौल मेजर राजेंद्र प्रसाद अगले दिन सुबह होने पर सुरक्षा बलों को लगभग सटीक जानकारी हुई कि घर में छिपे आतंकियों की तादाद 3 थी। उनके पास भारी मात्रा में गोला-बारूद था। वो सभी घर की अलग-अलग लोकेशन से गोलियाँ बरसा रहे थे। आखिरकार मेजर रजेन्द्र ने खुद को आगे रखते हुए घर की तरफ मूव किया। गोलियों की बौछार से खुद और अपने साथियों को बचाते हुए वो घर के पास पहुँच गए। इस बीच कई गोलियाँ उन्हें और उनके साथियों को छू कर निकल गईं। घेराबंदी कड़ी होती देख कर तीनों आतंकियों ने हमला तेज कर दिया।

इन तमाम खतरों को उठाते हुए आखिरकार एक-एक कर के मेजर राजेंद्र के नेतृत्व में तीनों आतंकियों का खात्मा हुआ। रात लगभग 10 बजे से शुरू हुई मुठभेड़ अगले दिन शाम लगभग 8 बजे खत्म हुई। तीनों आतंकियों के शव घर और उसके आसपास अलग-अलग लोकेशन पर पड़े पाए गए थे। इन सभी के पास घातक हथियार और गोला-बारूद बरामद हुए थे। तीनों आतंकी लश्कर ए तैयबा के सदस्य थे। ये सभी सेना और आम नागरिकों पर हुए कई आतंकी हमलों में शामिल थे।

साथ ही इनकी तैयारी बड़े हमले की भी थी लेकिन उस से पहले ये मेजर राजेंद्र प्रसाद और उनकी टीम द्वारा ढेर कर दिए गए।

आतंकियों में आमरीन का कातिल लतीफ राठर भी

मेजर राजेंद्र प्रसाद जाट और उनकी टीम द्वारा जिन 3 आतंकियों को ढेर किया गया था उसमें कश्मीर का मोस्ट वॉन्टेड लतीफ़ राठर भी शामिल था। लतीफ़ राठर लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय आतंकी था जिसने मई 2022 में आमरीन नाम की कश्मीरी लड़की की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी थी क्योंकि वो सोशल मीडिया पर रील बनाती थी। लतीफ़ भारत में शरिया कानून लागू करने की विचारधारा रखता था और आमरीन के काम को गैर इस्लामिक मानता था।

इसके अलावा लतीफ़ राठर ने कई सैन्य शिविरों और कश्मीरी हिन्दुओं पर आतंकी हमलों को लीड किया था। इन घटनाओं में चर्चित राहुल भट हत्याकांड भी शामिल है।

देश की बेहतरी के लिए काम करें युवा

मेजर राजेंद्र प्रसाद जाट ने ऑपइंडिया के माध्यम से देश के युवाओं को संदेश दिया है। उनका कहना है कि आज का युवा भले ही किसी भी क्षेत्र में कैरियर बनाए, पर वो देश की बेहतरी के लिए प्रयासरत रहे। मेजर राजेंद्र के मुताबिक सशस्त्र बलों के तौर पर सेना के अलावा अर्धसैनिक बल और पुलिस विभाग भी दिन-रात राष्ट्र की सुरक्षा के लिए प्रयासरत है। भारत की अभेद्य सीमाओं के साथ मजबूत आंतरिक तंत्र का श्रेय मेजर राजेंद्र ने इन सभी के सामूहिक प्रयासों को दिया।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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