असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने भोगाली बिहु नाम से आयोजित होने वाले एक त्योहार के दौरान कहा कि उनकी सरकार राज्य की जनता के समुदाय, जमीन और आधार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस कार्यक्रम के दौरान अपने बयान में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आम लोगों की सुरक्षा से किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “मिट्टी के लाल होने के नाते लोगों को आश्वस्त करता हूँ कि लोगों को डरने की कोई ज़रूरत नहीं है।” जानकारी के लिए बता दें कि घुसपैठियों को देश से बाहर करने के लिए संसद में भाजपा सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन बिल के ख़िलाफ़ कई सारे समाजिक संगठन असम में विरोध कर रहे हैं।
नागरिकता बिल 2016 क्या है?
2016 में नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव किया गया है। इस विधेयक का नाम नागरिकता अधिनियम 2016 दिया गया है। इस बिल के मुताबिक भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके साथ ही 24 मार्च 1971 के बाद देश में प्रवेश करने वाले घुसपैठियों को देश से बाहर कर दिया जाएगा। इस कानून को बनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि बिना सरकारी वैध कागज के कोई पड़ोसी मुल्क के लोग भारत में नहीं रह सकते हैं।
विवाद की वजह
सदन में इस बिल को पास होते ही एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) अपने आप ही प्रभावहीन हो जाएगा। कांग्रेस ने इस बिल को 1985 के असम समझौते के ख़िलाफ़ बताकर ख़ारिज किया है। इस समय एनआरसी बनने की प्रक्रिया जारी है। ऐसे में यदि सदन में यह बिल पास हो जाता है, तो देश के सुरक्षा के ख्याल से बेहतर होगा।