सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (13 फरवरी 2024) को कहा कि दिल्ली के राउज़ एवेन्यू स्थित आम आदमी पार्टी (AAP) का राजनीतिक कार्यालय कब्जा की हुई जमीन पर बनी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस जमीन पर यह राजनैतिक कार्यालय बनाया गाय है, वह जमीन दिल्ली हाई कोर्ट को आवंटित की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हैरानी की बात है कि दिल्ली हाईकोर्ट की जमीन पर एक राजनीतिक दल का दफ्तर चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह जमीन दिल्ली हाईकोर्ट को लौटाई जाए। कोर्ट दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव, पीडब्ल्यूडी सचिव और वित्त सचिव अगली तारीख से पहले हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के साथ एक बैठक करें और मामले का समाधान निकालें।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोई भी कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता। उन्होंने सवाल किया, “कोई राजनीतिक दल उस पर कैसे बैठ सकता है? हाईकोर्ट को कब्जा दिया जाना चाहिए। हाई कोर्ट इसका उपयोग किस लिए करेगा? केवल जनता और नागरिकों के लिए करेगा।”
CJI ने कहा कि सभी अतिक्रमण हटाए जाएँगे और आगे के निर्देशों के लिए इस मामले में सोमवार (19 फरवरी 2024) को होगी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में न्यायिक बुनियादी ढाँचे से संबंधित एक मामले से निपटान के दौरान इस मुद्दे पर ध्यान दिया और ये बातें कहीं।
Supreme Court was shocked 😳
— Shashank Shekhar Jha (@shashank_ssj) February 13, 2024
Why: A Political Party illegally occupied the plot of Delhi High Court.
Not only occupied but constructed its office.
But @LiveLawIndia & @barandbench didn’t name the “Political Party”.
The name is Aam Aadmi Party 😅 pic.twitter.com/PONJSNMfOK
दरअसल, CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को मंगलवार (13 फरवरी 2024) को एमिकस क्यूरी के परमेश्वर ने सूचित किया कि उच्च न्यायालय के अधिकारी आवंटित भूमि पर कब्जा करने गए थे, लेकिन वहाँ एक राजनीतिक दल का कार्यालय बनाया गया है। इसलिए वे जमीन पर कब्जा नहीं ले सके।
दिल्ली सरकार के कानून सचिव भरत पाराशर ने अदालत को यह भी बताया कि उक्त जमीन 2016 से आम आदमी पार्टी के पास है। इस पर मुख्य न्ययाधीश ने कहा कि यह जमीन दिल्ली हाई कोर्ट को लौटानी होगी। उन्होंने इसके लिए दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव, पीडब्ल्यू सचिव और वित्त सचिव को बैठक कर समाधान निकालने के लिए कहा।
पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने दिल्ली जिला न्यायपालिका में बुनियादी ढाँचे के लिए धन उपलब्ध कराने के प्रति उदासीन रवैये के लिए दिल्ली सरकार की आलोचना की थी। उस समय सीजेआई ने कहा था कि मार्च 2021 तक चार में से तीन परियोजनाओं के लिए मंजूरी दी गई, लेकिन इन परियोजनाओं के लिए धन जारी नहीं किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि 5 दिसंबर 2023 तक 887 न्यायिक अधिकारियों की स्वीकृत संख्या को समायोजित करने के लिए 118 अदालत कक्षों या 813 न्यायिक अधिकारियों की वर्तमान कार्यशील शक्ति को समायोजित करने के लिए 114 अदालत कक्षों की आवश्यकता थी। तब सरकार की ढुलमुल रवैये की आलोचना की थी।