यूट्यूबर मनीष कश्यप उर्फ त्रिपुरारी कुमार तिवारी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टालिन सरकार से सवाल किया। तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने प्रदेश में आप्रवासी बिहारी मजदूरों के खिलाफ हिंसा की खबरों को फर्जी बताते हुए कश्यप पर कई केस दर्ज किए थे।
इस मामले में तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने उनसे सवाल पूछा, “मिस्टर सिब्बल, इसके लिए NSA क्यों? इस आदमी से इतना प्रतिशोध क्यों?”
दरअसल, मनीष कश्यप पर लगाए गए NSA को हटाने की माँग करते हुए उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि रासुका क्यों लगाया गया है।
Sibal : See what is he doing. He is making fake videos saying Biharis are getting attacked in Tamil Nadu. #SupremeCourt #TamilNadu
— Live Law (@LiveLawIndia) April 21, 2023
इस सिब्बल ने कहा कि वह फर्जी वीडियो बनाकर तमिलनाडु में बिहारियों पर हमले का झूठ फैला रहा था। सिब्बल ने कहा कि सोशल मीडिया पर उसके 60 लाख फॉलोअर्स हैं। वह एक राजनेता है और चुनाव लड़ चुका है। मनीष कश्यप पत्रकार नहीं है।
मनीष कश्यप की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि तमिलनाडु में कार्रवाई द्वेषपूर्ण है। उन्होंने पटना वाली प्राथमिकी के साथ ही तमिलनाडु में दर्ज सभी प्राथमिकी को जोड़ने की माँग की। हालाँकि, कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया।
वहीं, बिहार सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि मनीष कश्यप आदतन अपराधी है। उसकी हरकतें सिर्फ वीडियो बनाने तक ही सीमित नहीं हैं। उसके खिलाफ गंभीर मामले भी हैं, जिनमें भारतीय दंड संहिता की धारा 307 भी शामिल है। उन्होंने केसों को बिहार हस्तांतरित करने का भी विरोध किया।
इसके साथ ही दवे ने यह भी अनुरोध किया कि मनीष कश्यप को प्रोडक्शन वारंट पर तमिलनाडु के अन्य स्थानों पर नहीं ले जाया जाए। इस पर खंडपीठ ने निर्देश दिया कि अगली पोस्टिंग तिथि (28 अप्रैल 2023) तक मनीष कश्यप को केंद्रीय कारागार मदुरै से स्थानांतरित नहीं किया जाए।
बता दें कि कथित फर्जी वीडियो के जरिए तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों के खिलाफ हिंसा की खबरें दिखाने के लिए बिहार पुलिस ने कई मुदकमें दर्ज किए हैं। वहीं, तमिलनाडु में भी कई मुकदमें दर्ज हैं। दोनों राज्यों में कुल 5 मुकदमें दर्ज किए गए हैं।