ट्रांसजेंडरों के साथ भेदभाव रोकने वाले और उनके अस्तित्व को क़ानूनी मान्यता प्रदान करने वाला एक ऐतिहासिक बिल राज्य सभा ने आज पास कर दिया है। ‘ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ़ राइट्स) बिल, 2019’ नामक इस अधिनियम को संसद के उच्च सदन ने निचले सदन लोक सभा द्वारा पारित मसौदे के हूबहू स्वरूप में, बिना किसी संशोधन के पास कर दिया है। यानी अब राष्ट्रपति का हस्ताक्षर होते ही बिना किसी देरी के यह कानून का रूप ले लेगा।
बिल को राज्य सभा में मोदी सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने पेश किया। इसमें उनके लिए कल्याणकारी योजनाओं का भी प्रावधान है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि लोक सभा की प्रवर समिति के सुझाए गए संशोधन भी मसौदे में शामिल कर लिए गए हैं।
The #Transgender Persons (Protection of Rights) #1 Bill, 2019, was moved for consideration and passage in the Rajya Sabha by Social Justice and Empowerment Minister Thawar Chand Gehlot on November 20.https://t.co/TYfL9NPSa1
— The Hindu (@the_hindu) November 26, 2019
इस बिल के मुताबिक शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, निवास आदि 8 स्पष्ट क्षेत्रों में ट्रांसजेंडर लोगों के साथ भेदभाव करने को अपराध घोषित किया गया है। इसके अलावा ट्रांसजेंडर की परिभाषा भी इस अधिनियम में तय की गई है। इसके अनुसार ऐसे सभी व्यक्ति जिनका जेंडर (लिंग) उनके जन्म के जेंडर से मेल नहीं खाता, ट्रांसजेंडर की परिभाषा में आएँगे।
Transgender Persons (Protection of Rights) Bill 2019 Passed by Rajya Sabha, Here’s All That The Bill Says #Transgender #TransgenderPersons #RajyaSabha #TransgenderPersonsBill https://t.co/MLCOcYZSvj
— LatestLY (@latestly) November 26, 2019
बिल पास कराने में सहयोग को लेकर विपक्ष का रवैया मिश्रित रहा। जहाँ वाईएसआर कॉन्ग्रेस जैसे कई छोटे दलों ने इसमें सहयोग किया और सरकार को बहुमत के लिए ज़रूरी आँकड़े को छूने में सहायता की, वहीं विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कॉन्ग्रेस ने एक बार फिर निराश किया। बिल में सौ नुक्स बताते हुए कॉन्ग्रेसी नेता इसे प्रवर समिति (स्टैंडिंग कमिटी) के ठंडे बस्ते में डाल देने की हिमायत करते नज़र आए।
On behalf of @YSRCParty , supported the Transgender Persons (Protection of Rights) Bill, 2019 in RS. A much needed law that will help lessen discrimination & also provide education, health & employment to the Transgender community. pic.twitter.com/CcRhGDZCDm
— Vijayasai Reddy V (@VSReddy_MP) November 26, 2019
यह साफ नहीं हो पाया है कि आखिर स्टैंडिंग कमिटी में भेजने की लॉबिंग की जगह कॉन्ग्रेस ने अपने सुझावों को सदन में ही पेश क्यों नहीं किया। छोटे विपक्षी दलों के सांसदों ने उसी जगह बिल पर मतदान भी किया है, और अपने हिसाब से उसकी खामियों को भी सदन में ही उजागर भी किया।
Bill also states that a person will be recognised as ‘transgender’ on the basis of “Certificate of Identity” issued by a DM, however it makes unclear the recognition and enforcement of “self-perceived” transgender identity in the same case. #TransgenderBill
— Vijayasai Reddy V (@VSReddy_MP) November 26, 2019
वहीं कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर केवल ट्विटर पर ही बिल को लेकर सारी बहस करते नज़र आए। यहाँ याद करना ज़रूरी है कि जिस समय (अगस्त के मानसून सत्र में) यह बिल पास हो रहा था, शशि थरूर और उनकी पार्टी कॉन्ग्रेस कश्मीर और अनुच्छेद 370 के मुद्दे को लेकर संसद ठप करने की कोशिशों में लगे थे। इसका कोई जवाब अभी तक कॉन्ग्रेस या थरूर ने नहीं दिया है कि जो बातें वे अब कर रहे हैं, वह बातें उन्होंने और उनकी पार्टी ने उस समय की थीं या नहीं।
These are totally just arguments against the BJP Govt’s version of Transgender Rights. I stand with those who oppose the bill in its present form. https://t.co/pQo42CLyvh
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) November 23, 2019