आज के बदलते दौर में कई बार ऐसे मौक़े आते हैं जब समाज में बेटी-बेटे के फ़र्क को मिटाने का भरपूर प्रयास किया जाता है। ऐसा करने के पीछे दुनिया को एक संदेश देना भी होता है कि बेटियाँ किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं होतीं। अपनी इन्हीं कोशिशों को प्रेरणा का रूप देते हुए गुजरात के एक परिवार ने मिसाल क़ायम करने का अनूठा काम किया।
दरअसल, गुजरात के सूरत में रविवार को (मार्च 17, 2019) एक ऐसी बारात बड़ी धूमधाम से निकाली गई, जिसे देखकर लोगों को यही लगा कि कहीं किसी शादी का अवसर है और ये बारात वहीं जा रही है। बैंड-बाजे के साथ सजी बग्घी के आसपास लोग नाचते-गाते बड़ी खुशी के साथ एक घर पहुँचे। जहाँ इस बात का ख़ुलासा हुआ कि यह कोई शादी का समारोह नहीं था बल्कि दो बेटियों (जुड़वाँ) के जन्म पर उन्हें उनके ननिहाल से अपने घर लाया जा रहा था।
ख़बर के अनुसार, आशीष जैन की पत्नी प्रतिमा ने जुड़वाँ बेटियों को जन्म दिया, जिसके बाद वो अस्पताल से अपने मायके गईं थीं। लेकिन बात जब बेटियों को घर लाने की हुई तो अपनी ख़ुशी को ज़ाहिर करने के लिए उनके पिता आशीष जैन ने कुछ ऐसे अनोखे अंदाज़ में स्वागत किया कि वो समाज में एक अमिट छाप छोड़ने के साथ-साथ पिता के भावुकता वाले पहलू को भी दर्शाता है। आशीष का कहना है कि बेटियों का इस तरह स्वागत करने का मक़सद यह था कि वो समाज को यह बता सकें कि बेटी और बेटे में कोई अंतर नहीं होता।
बता दें कि इस बारात पर बेटियों के पिता ने ₹15 लाख खर्च किए। घर को दुल्हन की तरह सजाया गया और एयर कंडीशन बग्घी का इस्तेमाल किया गया, जिससे बच्चियों को किसी तरह की असुविधा न हो। इसके अलावा नाते-रिश्तेदारों को आमंत्रित किया गया, जिन्होंने इस विशेष मौक़े पर जमकर नाच-गाना भी किया।
सच पूछें तो बेटियों को लेकर इस तरह की सोच और भव्य स्वागत तालियों की हक़दार है। इसकी जितनी प्रशंसा की जाए वो कम है। यदि आज इस तरह की सकारात्मक सोच हर किसी की हो जाए तो दुनिया के किसी कोने में कन्या-भ्रूण हत्या जैसी तमाम समस्याएँ खत्म हो जाएँगी।