उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने तय समय से करीब 2 महीने पहले ही धान खरीद का कार्यकारी लक्ष्य पूरा करके अपने नाम एक नया रिकॉर्ड दर्ज किया है। जानकारी के मुताबिक योगी सरकार के सामने 55 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य था। लेकिन उन्होंने 60 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद कर रिकॉर्ड कायम किया।
लक्ष्य से अधिक हासिल करने के बाद भी सरकार ने कहा कि वह धान खरीद को जारी रखेंगे। बता दें कि अब तक की धान खरीद पिछले वर्ष इस अवधि के मुकाबले हुई धान खरीद से लगभग डेढ़ गुना ज्यादा है। वहीं यूपी कार्यकारी लक्ष्य पूरा करने वाला पहला राज्य बन गया है।
गेहूँ और धान किसानों को योगी सरकार ने किया कितना भुगतान?
सरकारी आँकड़ों के मुताबिक राज्य सरकार ने लगभग 8 लाख धान किसानों को अब तक लगभग ₹7800 करोड़ का भुगतान किया। वहीं पिछले चार सालों की बात करें तो धान किसानों को कुल ₹32000 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है।
योगी सरकार ने अपनी इसी निरंतरता के साथ गेहूँ किसानों को भी भुगतान करने के मामले में पिछली सरकारों को पीछे छोड़ दिया है। 4 साल के कार्यकाल में राज्य सरकार ने 33 लाख से ज्यादा गेहूँ किसानों की फसल के लिए ₹29017.45 करोड़ का भुगतान किया है।
कुल मिलाकर राज्य सरकार ने 14 दिसंबर तक प्रदेश के गेहूँ और धान किसानों को ₹60922.23 करोड़ का भुगतान किया है। ये आँकड़ा बताता है कि योगी सरकार ने 4 साल में प्रदेश के धान और गेहूँ किसानों को अब तक का सबसे अधिक भुगतान किया है।
किसानों की फसल के दाने-दाने का भुगतान करने की नीति के तहत राज्य सरकार ने कार्यकाल के पहले वर्ष 2017-18 में 42.90 लाख मीट्रिक टन धान खरीद के लिए ₹6663.32 करोड़ का भुगतान किया। 2018-19 में 48.25 लाख मीट्रिक टन के लिए ₹8449.39 करोड़ का भुगतान। वर्ष 2019-20 में 56.47 लाख मीट्रिक टन के लिए ₹10274.25 करोड़ का भुगतान किया गया।
किसानों के बदलते हालात और योगी सरकार की नीतियाँ
बता दें कि योगी सरकार ने किसानों को उनकी ऊपज की बेहतर कीमत देने के लिए सत्ता में आते ही कई कदम उठाए थे। यही वजह है कि धान और गेहूँ किसानों को खाद्यान्न की सीधी, पारदर्शी और त्वरित भुगतान प्रक्रिया के पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों को बड़ा कारण माना जा रहा है।
उन्होंने बिचौलियों की भूमिका को खत्म करते हुए किसानों से सीधे खरीद प्रक्रिया को शुरू किया। ई-उपार्जन पोर्टल बनाया गया और किसानों को सीधे पंजीकृत किया गया। इसके बाद इसे राजस्व पोर्टल से लिंक कराया गया।
सीमांत एवं लघु किसानों के लिए कदम उठाए गए। 100 क्विंटल तक खरीद को राजस्व विभाग के सत्यापन से मुक्त रखा गया और 100 क्विंटल से अधिक बिक्री करने वाले किसानों को राजस्व विभाग से सत्यापन की सुविधा दी गई। लघु व सीमांत किसानों को खाद्यान्न बेचने के लिए दो दिन योगी सरकार ने आरक्षित किए। महिला किसानों को खाद्यान्न बेचने में योगी सरकार ने प्राथमिकता दी।
याद दिला दें कि इससे पहले गन्ना किसानों को भी योगी सरकार ₹111063.34 करोड़ का भुगतान करके नया रिकॉर्ड बना चुकी है। अखिलेश सरकार के कार्यकाल में गन्ना किसानों के ₹10659.42 करोड़ के बकाए का भुगतान भी योगी सरकार ने किसानों को किया ।
बुंदेलखंड में शुरू हुई स्ट्रॉबेरी की खेती
यूपी के बुंदेलखंड में स्ट्रॉबेरी की खेती भी योगी शासनकाल में दर्ज की गई नई उपलब्धि है। सीएम योगी ने इसके लिए किसानों को बधाई दी। उन्होंने स्ट्रॉबेरी महोत्सव का वर्चुअल शुभारंभ करते इस नए प्रकार की खेती को चमत्कार जैसा बताकर दावा किया कि इससे न के केवल बुंदेलखंड को नई पहचान मिलेगी बल्कि यहाँ के लोगों का पलायन भी रुकेगा।
उन्होंने कहा कि स्ट्रॉबेरी महोत्सव पूरे बुंदेलखंड के किसानों के लिए नई प्रेरणा का केंद्र बिंदु बनेगा। यह किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ाने के साथ ही मार्केट की माँग के अनुरूप आपूर्ति करने में सहायक साबित होगा।
बता दें कि झाँसी में पहली बार स्ट्रॉबेरी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से स्ट्रॉबेरी महोत्सव का शुभारंभ करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “आज यह भी तय हो ही गया कि बुंदेलखंड में सब कुछ है। झाँसी में स्ट्रॉबेरी का उगाया जाना तो हमारे बुंदेलखंड के किसानों के परिश्रम का परिणाम है। मैं इसके लिए सभी किसान बंधुओं को हृदय से बधाई देता हूँ।”
उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन कार्य घर की छत से प्रारम्भ किया गया था। इसके बाद इसे वहाँ के खेतों में रोपित किया गया। किसानों की मेहनत का यह परिणाम, अब यह एक महोत्सव के रूप में पूरे झाँसी व बुंदेलखंड में एक नई पहचान दिलाने का काम करेगा।
सीएम ने बुंदेलखंड के नागरिकों में कार्य करने की दृढ़ इच्छाशक्ति को सराहा और वहाँ की उर्वरा भूमि की तारीफ की। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले तक इस प्रतिभा को उचित मंच नहीं मिल पा रहा था। जिसके चलते वहाँ के लोगों को पलायन करना पड़ता था। लेकिन सरकार ने वहाँ उचित माहौल देने का बीड़ा उठाया।
बुंदेलखंड की पिछड़े क्षेत्र के रूप में स्थापित छवि को समाप्त कर विकास की नई धारा शुरु की। वर्षों से रुकी पड़ी सिंचाई परियोजनाओं को शुरू कराया। कोरोना काल में प्रदेश भर के किसानों की दिक्कतों को दूर किया और उन्हें बीज से लेकर बाजार तक उपलब्ध कराया।