देश के पूर्व प्रधानमंत्री व दिवंगत भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह लेखक-गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) को करारा जवाब देते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल, यह वीडियो 1998 का है। ‘फेस ऑफ’ पर प्रीतीश नंदी और को-होस्ट जावेद अख्तर ने अटल बिहारी वाजपेयी का इंटरव्यू लिया था। इस दौरान जावेद अख्तर ने बातचीत के लगभग 17:26 मिनट पर पूछा था, “बहुसंख्यक समुदाय के लिए राष्ट्रवाद और सांप्रदायिकता की क्या परिभाषा है?”
इस पर अटल बिहारी वाजपेयी ने जवाब दिया था, “अगर हिंदू हिंदुस्तान में ये माँग करें कि वे 82 फीसदी हैं और उनके कुछ विशेष अधिकार होने चाहिए और बाकी की तादाद कम है, इसलिए उनके अधिकार कुछ कम होने चाहिए, तो मैं यह कहूँगा कि वो कम्युनल हैं।”
उन्होंने जोर देकर कहा, “अगर अधिकार बराबर हैं और बराबर अधिकारों की गारंटी संविधान में है। संविधान की व्याख्या करने के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका है, अगर जनता द्वारा चुनी गई पार्लियामेंट है। अगर विजिलेन्स प्रेस है, तो फिर अल्पसंख्यकों के साथ बेइंसाफी के मौके बहुत कम हो जाते हैं। बेइंसाफी के लिए कोई गुंजाइश ही नहीं रहती है। अब तो ह्यूमन राइट कमीशन भी बन गया है। अल्पसंख्यक आयोग है। ये सब कदम एक देश ने उठाए हैं और ऐसे देश ने जहाँ हिन्दू बहुसंख्यक हैं। किसी ने एतराज नहीं किया।”
वाजपेयी ने यह भी कहा था, “पाकिस्तान बनने के बाद भारत को एक हिन्दू राष्ट्र घोषित कर दिया जाए… ये माँग हो सकती है, लेकिन हुई नहीं। किसी ने भी हिंदू राज की माँग नहीं की। कोई ऐसी माँग नहीं की गई है कि जिसमें मजहब के आधार पर मुस्लिम के साथ भेदभाव होना चाहिए। इस देश में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ और मैं आपको भरोसा दिलाता हूँ कि आगे भी ऐसा कभी नहीं होगा। राष्ट्र की उनकी अलग कल्पना है, क्योंकि भारत 1947 में पैदा नहीं हुआ। ये एक पुराना राष्ट्र है और पुराने राष्ट्र को हिन्दू राष्ट्र कहते हैं। मैं इसे भारतीय राष्ट्र कहना ज्यादा पसंद करता हूँ। लेकिन हिंदू राज की माँग किसी ने भी नहीं की। किसी ने भी ये नहीं कहा कि हिंदुस्तान को एक हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया जाए। कभी-कभी देश में धर्म निरपेक्षता को बनाए रखने के लिए हिंदू समुदाय को धन्यवाद दिया जाना चाहिए। “
Watch this and have a good morning! ABV rocks !! Fake atheist got his answer! pic.twitter.com/BOLUwyAwBN
— exsecular (@ExSecular) March 23, 2023
जावेद अख्तर ने पाकिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा था कि जिन्ना ने 1947 में एक स्पीच दी थी। उन्होंने (जिन्ना) कहा था कि पाकिस्तान बन रहा है और वो धर्म निरपेक्ष होगा। उसमें हिन्दू, मुस्लिम, पारसी और ईसाई सब बराबर होंगे। लेकिन ऐसा तो कुछ हुआ नहीं पाकिस्तान में। इसलिए, क्योंकि जिन्ना ने देश को बनाने के लिए जिन लोगों को चुना था, वो उसे धर्म निरपेक्ष नहीं बनने देना चाहते थे। बीजेपी की नीयत भले ही भारत को धर्म निरपेक्ष रखने की हो, लेकिन पावर हासिल करने के लिए उसने जिन लोगों को चुना है, क्या वो लोग उन्हें धर्म निरपेक्ष समाज बनाने की इजाजत देंगे।
इस पर अटल बिहारी ने करारा जवाब देते हुए कहा था, “देखिए, भारत धर्मनिरपेक्ष है। भाजपा या आरएसएस के कारण नहीं।” अख्तर ने यह कहते हुए बीच में टोकने की कोशिश की कि ‘इनके बावजूद यह धर्मनिरपेक्ष है।’ लेकिन वाजपेयी ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, “भारत धर्मनिरपेक्ष है क्योंकि इसकी 82% आबादी हिंदू है। यह हिंदुओं के सोचने का तरीका है। हिंदू किसी एक किताब से जुड़ा हुआ नहीं है। एक पैगम्बर से जुड़ा हुआ नहीं है। जो ईश्वर को नहीं मानता वो भी हिन्दू है। ये हमारी संस्कृति का हिस्सा है।”
पूर्व पीएम और आडवाणी के बीच दरार डालने की कोशिश
बातचीत के लगभग 10 मिनट बाद, जावेद अख्तर ने अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के बीच यह पूछकर दरार पैदा करने की कोशिश की, कि क्या उनकी विचारधारा अल्पसंख्यकों के लिए समान थी। वाजपेयी ने जवाब दिया, “वे अलग नहीं हैं। हम दोनों एक ही चीज में विश्वास करते हैं। वास्तव में, हमारी पार्टी एक ही चीज़ में विश्वास करती है… अल्पसंख्यक भारत के नागरिक हैं और वे भी समान अधिकारों के हकदार हैं।”
आरएसएस के साथ संबंध पर बोले वाजपेयी
जावेद अख्तर ने जब आरआरएस को एक कट्टरपंथी हिंदू संगठन के रूप में बताने का प्रयास किया, तो उनके दावों का खंडन करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, “सभी संगठन अलग-अलग हैं। उनके सोचने का तरीका भी अलग है। लेकिन मैं इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता हूँ कि कोई भी संगठन ऐसा सोचता है कि मुस्लिम इस देश के कम नागरिक हैं।” गीतकार ने दावा किया कि ऐसा विचार केबी हेडगेवार, एमएस गोलवलकर और अन्य के लेखन में मौजूद है। इस पर पूर्व पीएम ने कहा था, “उसमें स्पष्ट रूप से लिखा है कि जो लोग भारत में रहते हैं और देश से प्यार करते हैं उनके साथ बराबर का व्यवहार किया जाएगा। किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।”