प्रकाशक ब्लूम्सबरी इंडिया ने मोनिका अरोरा, सोनाली चितलकर और प्रेरणा मल्होत्रा की की पुस्तक ‘Delhi Riots 2020: The Untold Story’ के प्रकाशन को वापस लेने का फैसला किया है। उन्होंने इसके पीछे का एक कारण उनकी जानकारी के बिना लेखकों द्वारा आयोजित किए गए वर्चुअल प्री-पब्लिकेन इवेंट लॉन्च करने को बताया। प्रकाशक ब्लूम्सबरी इंडिया ने यह बातें एक प्रेस रिलीज जारी करके कहा।
ब्लूम्सबरी इंडिया ने कहा कि उन्होंने लेखकों द्वारा की गई जाँच और इंटरव्यू के आधार पर सितंबर 2020 में पुस्तक को जारी करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब उन्होंने अपने फैसले को रद्द कर दिया है।
Breaking: Bloomsbury India is withdrawing publication of the book ‘Delhi Riots 2020: The Untold Story’. Publishing house issues a fresh statement after yesterday’s controversy. @newslaundry @nlhindi
— akankshakumar (@akanksha_kumar3) August 22, 2020
पब्लिकेशन हाउस ने आगे कहा, “लेखकों द्वारा हमारी जानकारी के बिना आयोजित एक वर्चुअल प्री-पब्लिकेन इवेंट लॉन्च सहित हाल ही की घटनाओं को देखते हुए, हमने पुस्तक के प्रकाशन को वापस लेने का फैसला किया है।”
Bloomsbury India: However, in view of very recent events including a virtual pre-publication launch organised without our knowledge by the authors, with participation by parties of whom the Publishers would not have approved, we have decided to withdraw publication of the book.
— akankshakumar (@akanksha_kumar3) August 22, 2020
पुस्तक के प्रकाशन को वापस लेने का निर्णय सोशल मीडिया पर प्रमुख ’बुद्धिजीवियों’ के नेतृत्व वाली वामपंथी उग्र भीड़ के विरोध के बाद आया, जिसने पब्लिकेशन हाउस पर ऐसा निर्णय लेने के लिए पर दबाव डाला था। आक्रोशित वामपंथी भीड़ में विवादास्पद अभिनेत्री स्वरा भास्कर और अन्य प्रख्यात ‘पत्रकारों’ और ‘बुद्धिजीवियों’ जैसे कई व्यक्तित्व शामिल थे।
#ShameOnBloomsburyIndia
— meena kandasamy || இளவேனில் (@meenakandasamy) August 22, 2020
You cannot wash your hands by claiming that you are not organising this event. The fact that the chief instigator of rioting, Kapil Mishra, the man asking for violence against Muslims and Dalits endorses the book shows your fascist platforming https://t.co/Mvu1BIgYmv
Just well done, @BloomsburyIndia, absolutely well done. My regard for you has gone down the gutter. Please invite some war criminals and serial killers as well and fete them as guests of honours. @BloomsburyBooks @BloomsburyPub look at your reprehensible Indian division. https://t.co/MVZDW7g7b8
— Areeb Ahmad | 🌈 | He/Him (@Broke_Bookworm) August 21, 2020
facebook changes standards in india to cater to the Modi govt, but this is way beyond, one of the main perpetrators of the violence against muslims in delhi is the guest of honour? from promoting hate to promoting murder @BloomsburyIndia? @BloomsburyBooks @BloomsburyPub? https://t.co/FSUNTcfNPZ
— Hartosh Singh Bal (@HartoshSinghBal) August 21, 2020
Hi @BloomsburyPub , your concern in #India @BloomsburyIndia has announced a book on #DelhiRiots2020 and a guest of honour at the launch is one of the people who is accused on instigating the pogrom, (there is video evidence to support the same accusation) 1/2 https://t.co/I3piEG3iVO
— Swara Bhasker (@ReallySwara) August 21, 2020
दक्षिण एशिया सॉलिडैरिटी इनिशिएटिव ने भी ब्लूम्सबरी इंडिया को पुस्तक का प्रकाशन वापस लेने के लिए धमकी दी। बता दें कि दक्षिण एशिया सॉलिडैरिटी इनिशिएटिव के इस्लामवादियों से संबंध हैं। इसने हाल ही में न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में राम मंदिर भूमि पूजन के अवसर पर ‘हिंदू फासीवादियों’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।
.@BloomsburyIndia – you are platforming Hindutva Nazis. Kapil Mishra directly instigated the pogrom against Muslims earlier this year and now he will be speaking at this fascist book launch to distort history? SHAME ON YOU. https://t.co/132ok77VZ3
— South Asia Solidarity Initiative (@SASIinNYC) August 21, 2020
कॉन्ग्रेस समर्थकों ने भी ब्लूम्सबरी इंडिया को किताब वापस लेने के लिए उकसाया।
All authors across the world working with @BloomsburyBooks & @BloomsburyPub should know that their India division propagates fake communal propaganda & tries to justify a pogrom.
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) August 21, 2020
To give a platform to hate speech in India while virtue signaling overseas is the new tactic.
बता दें कि पुस्तक के प्रकाशन को वापस लेने के कारणों में से एक के रूप में उद्धृत किए जाने वाले कार्यक्रम में भाजपा नेता कपिल मिश्रा और ऑपइंडिया इंग्लिश की एडिटर-इन-चीफ नूपुर शर्मा ने भाग लिया था, जिससे वामपंथी भीड़ के बीच भारी रोष था।
ब्लूम्सबरी इंडिया ने लिबरलों, कॉन्ग्रेस समर्थकों और इस्लामवादियों की उग्र भीड़ के दबाव में रहते हुए दावा किया कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करता है। उनका कहना है कि उन्होंने पुस्तक के प्रकाशन का फैसला इसलिए वापस ले लिया, क्योंकि वो ‘समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को लेकर काफी सचेत हैं।’