Sunday, November 17, 2024
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‘कैसा लगा मेरा मजाक’: हरियाणा में कॉन्ग्रेस की ही नहीं, Exit Polls की भी लग गई लंका… जम्मू-कश्मीर में भी चुनावी वैज्ञानिक फेल, सोशल मीडिया में मीमबाजों की चाँदी

सोशल मीडिया पर लोगों ने एग्जिट पोल्स को लेकर खूब चुटकुले और व्यंग्य किए, और इन्हें मनोरंजन का बहाना बना लिया है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 और एग्जिट पोल्स को लेकर अब सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा हो रही है। एग्जिट पोल्स की भविष्यवाणी और वास्तविक परिणामों में बड़े अंतर ने जनता को चौंका दिया है। एग्जिट पोल्स में जहाँ कॉन्ग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलता दिखाया गया था, वहीं चुनाव के वास्तविक नतीजों ने पोल्स को गलत साबित कर दिया। यही नहीं, एग्जिट पोल्स में बीजेपी को भी कमजोर दिखाया गया था, लेकिन नतीजे इससे एकदम विपरीत निकले।

इसी तरह जम्मू-कश्मीर के चुनावों में त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन यहाँ भी एग्जिट पोल्स गलत ही साबित हुए। आइए जानते हैं कि आखिर कैसे एग्जिट पोल्स ने गलत अनुमान लगाया और इसका राजनीतिक परिणाम क्या रहा।

हरियाणा में एग्जिट पोल्स की बुरी हालत

इस बार, हरियाणा विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल्स ने साफ-साफ यह संकेत दिया था कि कॉन्ग्रेस राज्य में बड़े बहुमत से सरकार बनाएगी। अधिकांश पोल्स के अनुसार कॉन्ग्रेस को 50 से 60 सीटों का अनुमान था, जबकि बीजेपी को मात्र 20-28 सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी। कई एग्जिट पोल्स ने दावा किया कि हरियाणा में बीजेपी का प्रभाव कम हो चुका है और कॉन्ग्रेस एक दशक बाद सत्ता में वापसी करने जा रही है। यह अनुमान मतदान के बाद जनता की प्रतिक्रिया और जमीनी रिपोर्ट्स के आधार पर लगाए गए थे।

ऑपइंडिया टीम द्वारा तैयार

हालाँकि, जब चुनाव परिणाम सामने आए, तो यह साफ हो गया कि एग्जिट पोल्स बुरी तरह गलत थे। बीजेपी ने न सिर्फ चुनाव में जबरदस्त वापसी की, बल्कि कॉन्ग्रेस को कड़ी टक्कर दी। बीजेपी ने खुद को मजबूत स्थिति में रखा और कई सीटों पर कब्जा किया। यह देखकर चुनाव विशेषज्ञ और राजनीतिक पंडित भी हैरान रह गए, क्योंकि एग्जिट पोल्स के मुकाबले हकीकत कुछ और ही थी।

जम्मू-कश्मीर में भी फेल रहे एग्जिट पोल्स

जम्मू-कश्मीर को लेकर भी एग्जिट पोल्स पूरी तरह से गलत साबित हुए। अधिकांश पोल्स ने जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना जताई थी, जहाँ किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल रहा था। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कॉन्ग्रेस के गठबंधन को थोड़ी बढ़त दिखाई गई, लेकिन यह बढ़त निर्णायक नहीं मानी गई थी। बीजेपी को भी कुछ सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन किसी भी पार्टी के लिए पूर्ण बहुमत का दावा नहीं किया गया था।

असल में जब चुनाव के परिणाम आए, तो कॉन्ग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने जोरदार जीत हासिल की, जबकि बीजेपी को उम्मीद से कम सीटें मिलीं। यहाँ भी एग्जिट पोल्स का अनुमान गलत साबित हुआ और चुनाव परिणाम एकतरफा रहे।

अब सवाल उठता है कि आखिर एग्जिट पोल्स इतने गलत क्यों साबित होते हैं? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:

सैंपल साइज और गलत अनुमान: एग्जिट पोल्स में सीमित सैंपल लिया जाता है, यानी कुछ चुने हुए मतदाताओं की प्रतिक्रिया के आधार पर पूरे राज्य का अनुमान लगाया जाता है। ऐसे में यदि सैंपल साइज सही न हो या विश्लेषण में गलती हो जाए, तो परिणाम गलत आने की संभावना बढ़ जाती है।

सीक्रेट वोटिंग पैटर्न: कई बार मतदाता अपने असली इरादे सार्वजनिक रूप से नहीं बताते। हो सकता है कि वे पोल्स में एक बात कहें, लेकिन वोट कुछ और डालें। इसे ‘साइलेंट वोटर’ का प्रभाव कहा जाता है। खासकर बीजेपी के पक्ष में यह देखा गया है कि कई बार लोग खुलकर समर्थन नहीं करते, लेकिन वोटिंग में वे उसे ही चुनते हैं।

स्थानीय मुद्दों की उपेक्षा: एग्जिट पोल्स में कई बार राष्ट्रीय मुद्दों या बड़े दलों के आधार पर अनुमान लगाया जाता है, जबकि स्थानीय स्तर पर मुद्दे और समीकरण पूरी तरह अलग हो सकते हैं। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के मामलों में भी यह देखने को मिला, जहाँ स्थानीय जातिगत समीकरण, उम्मीदवार की छवि और अन्य कारक पोल्स में सही तरीके से शामिल नहीं किए गए थे।

एग्जिट पोल्स को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या इन पर भरोसा किया जा सकता है? पिछले कुछ वर्षों मे नतीजों से एग्जिट पोल्स की साख पर बट्टा लगने लगा, और सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर मजाक बनाया। कुछ लोग तो यह कह रहे हैं कि एग्जिट पोल्स एक ‘कॉमेडी शो’ बन गए हैं। इन ट्वीट्स और मेम्स की बाढ़ से यह साफ है कि लोग एग्जिट पोल्स पर अब गंभीरता से यकीन नहीं कर रहे हैं।

सागर नाम के यूजर ने लोकप्रिय वेब-सीरीज की एक तस्वीर शेयर की और कुछ अलग अंदाज में चुटकी ली।

एग्जिट पोल्स को लेकर ट्विटर और फेसबुक पर लोगों के व्यंग्यपूर्ण टिप्पणियों ने यह साबित किया है कि अब लोग इन भविष्यवाणियों को हल्के में लेने लगे हैं। एग्जिट पोल्स को सिर्फ एक मनोरंजन के रूप में देखा जा रहा है, और असली खेल चुनावी नतीजों के साथ ही शुरू होता है। चाचा मॉन्क नाम के यूजर ने कुछ ऐसी ही चुटकी ली।

एक यूजर ने लिखा, “एग्जिट पोल्स से ज्यादा भरोसेमंद तो मेरे दोस्त की भविष्यवाणी है, जिसने कभी सही जवाब नहीं दिया!” #ElectionLaughs

एक ट्वीट में कहा गया, “लगता है एग्जिट पोल्स के पंडितों ने कॉन्ग्रेस की जीत के लिए पहले ही मिठाई बांट दी थी।” एक और ट्वीट में लिखा गया, “कॉन्ग्रेस की 55 सीटों का जश्न मनाने से पहले बीजेपी की 30 सीटों पर सोचिए, खेल तो वहीं हो गया था।”

एक एक्स यूजर ने लिखा, “अब तो एग्जिट पोल्स का भी एग्जिट हो जाना चाहिए। 55 सीटें, 25 सीटें… कुछ भी हो सकता है।” इसी तरह एक और ट्वीट में कहा गया, “एग्जिट पोल्स भी अब मौसम की भविष्यवाणी जैसे हो गए हैं, कभी सही तो कभी गलत।”

जमीनी हकीकत से जुड़ना जरूरी

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनावों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि एग्जिट पोल्स पर पूरी तरह से भरोसा करना सही नहीं है। यह केवल एक ट्रेंड बताने का माध्यम हैं, लेकिन अंतिम नतीजे मतदाताओं के वास्तविक वोटों पर निर्भर करते हैं। इस बार हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में एग्जिट पोल्स की गलतियों ने यह साफ कर दिया है कि जमीन पर असली माहौल क्या है, इसे समझने के लिए गहन विश्लेषण और जमीनी हकीकत से जुड़े रहना जरूरी है।

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
Shravan Kumar Shukla (ePatrakaar) is a multimedia journalist with a strong affinity for digital media. With active involvement in journalism since 2010, Shravan Kumar Shukla has worked across various mediums including agencies, news channels, and print publications. Additionally, he also possesses knowledge of social media, which further enhances his ability to navigate the digital landscape. Ground reporting holds a special place in his heart, making it a preferred mode of work.

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