Monday, November 18, 2024
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खाड़ी देशों में हिंदुओं को फँसाने का खेल: संघी और इस्लामोफोबिक बताओ, जेल भिजवाओ

तबलीगी जमात जैसे संगठनों की आलोचना के लिए हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, जिनके इस्लामी कट्टरवाद ने पूरे देशों के लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है। एक खास संगठन की आलोचना को इस्लामोफोबिया के रूप में चिह्नित नहीं किया जा सकता है।

इन दिनों ट्विटर पर दूसरे मजहब के भारतीय के एक खास वर्ग द्वारा हिंदुओं को निशाना बनाने का भयावह प्रयास चल रहा है। ये वर्ग खास तौर पर खाड़ी देशों में रहने वाले हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं।

हाल ही में ये लोग यूएई में एक हिंदू व्यक्ति को मजहब विशेष के द्वारा बनाए गए टिकटॉक वीडियो पर कमेंट करने पर मुसीबत में डालने पर सफल हो गए। बता दें कि गुरुवार (अप्रैल 9, 2020) को राकेश बी कित्तूरमठ नाम के एक भारतीय नागरिक को दुबई में नौकरी से इसलिए निकाल दिया गया, क्योंकि उन्होंने फेसबुक पर भ्रम के शिकार कुछ मजहब विशेष के लोगों पर टिप्पणी की थी। दरअसल कुछ टिक टॉक यूजर्स ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि कोरोना वायरस को हराने के लिए पाँच टाइम का नमाज पढ़ना काफी है। राकेश ने इसी पोस्ट पर आपत्ति जाहिर की थी। राकेश Emrill Services नामक कंपनी में जॉब करते थे, जिसका मुख्यालय दुबई में है। 

कट्टरपंथियों का दावा था कि राकेश ने इस्लाम का अपमान किया है, जबकि उन्होंने इस्लाम का अपमान नहीं किया था, बल्कि उनलोगों का मजाक उड़ाया था जो टिक टॉक पर कहते हैं कि कोरोना से बचने के लिए 5 टाइम का नमाज पढ़ना पर्याप्त है।

Islamists are creating a ‘hitlist’ documenting Indian Expats

इतना करने के बाद भी इस्लामवादियों की रुह को संतुष्टि नहीं मिली। वो और भी अधिक के लिए तरस रहे हैं। रिजवान नाम का एक ट्विटर यूजर ‘इस्लामिक देशों में रहने वाले इस्लामोफोबिक एक्सपैट की सूची’ तैयार कर रहा है। दूसरे शब्दों में, यह विदेशों में भारतीयों के स्वास्थ्य को खतरे में डालने का एक ठोस प्रयास प्रतीत होता है, जो इस्लाम के लिए महत्वपूर्ण है। रिजवान का ट्विटर यूजरनेम @RizwanRzaKhan है।

Islamists compile list of emails where Hindus can be reported to

इतना ही नहीं, ये इस्लामी मध्य पूर्व में काम कर रहे ‘हिंदुत्व आतंकवादियों’ की जानकारी इकट्ठा करने के लिए ओवरटाइम कर रहे हैं। इस कड़ी में संबंधित देशों के अधिकारियों के प्रासंगिक ईमेल की सूची एकत्रित की गई है, ताकि मध्य पूर्व में ‘छिपे हुए हिंदुओं’ को जेल भेजा जा सके या धमकी दी जा सके।

दिल्ली का रहने वाला 21 साल का रिजवान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का समर्थक है। उसने इस रिपोर्ट को लिखने के समय तक केवल 58 ट्वीट किया था। रिजवान का इसी यूजरनेम के साथ उसका इंस्टाग्राम हैंडल है। उसने दिसंबर 2012 में ट्विटर ज्वाइन किया था।

Rizwan retweeted a tweet that called Arvind Kejriwal the best Chief Minister in the world

रिजवान ने अपने ट्वीट में जिस @DeadZedb नाम के यूजर को टैग किया है, उसने UAE में रहने वाले बालकृष्ण नक्का को फेसबुक पर तालिबान और तबलीगी जमात का मजाक उड़ाते हुए मीम्स साझा करने के लिए नौकरी से निकलवा दिया। उसने दावा किया बालकृष्ण द्वारा शेयर किए गए कार्टून में समुदाय विशेष को आत्मघाती हमलावर के रूप में दिखाया गया था और कहा गया था कि इन्होंने कोरोना वायरस को एक साजिश के तहत फैलाया। जबकि कार्टून में स्पष्ट रूप से तबलीगी जमात और तालिबान का उल्लेख किया गया था।

Islamists are engaging in targeted attacks against Hindus in the Middle East
A cartoon shared by Balakrishna that got him terminated from his job

इसके अलावा यूजर @DeadZedb जामिया मिल्लिया इस्लामिया के खिलाफ सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों के लिए हिंदुओं पर खाड़ी देशों में पुलिस को एकजुट करने का भी प्रयास कर रहा है। उसने मजहब के लोगों से उसे नौकरी से निकाल दिए जाने के लिए कंपनी के मालिक के पास यूजर के ट्वीट का स्क्रीनशॉट भेजने की भी अपील की। साथ ही उसने पुलिस को भी टैग किया ताकि उसे जेल भेजा जा सके।

The user wants to send Hindus to jail for criticizing Jamia Milia Islamia University

रिजवान के पोस्ट में जो दूसरा शख्स टैग किया है, वह @brumbyoz है। यह एक इस्लामवादी कट्टरपंथी है, जो हिंदुओं को ‘cow people’ के रूप में संदर्भित करता है। @brumbyoz भी मध्य-पूर्व में रहने वाले हिंदुओं के खिलाफ घृणा अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। वह इस्लामिक देशों को सभ्य कहता है, इसके अलावा हर दूसरे देश का अपमान करता है। उसका कहना है कि केवल इस्लामिक देशों को जहालत से मुक्त माना जा सकता है।

brumbyoz calls Hindus ‘cow people’

ऐसे लोगों के अलावा, पूर्व पत्रकार इरेना अकबर जैसे अन्य लोग भी मध्य पूर्व में हिंदुओं के खिलाफ घृणा अभियान में शामिल हैं। मध्य-पूर्व के अलावा भारत में भी हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। जो भी हिंदू कोरोना वायरस के अत्यधिक तेजी से फैलने में तबलीगी जमात की भूमिका की ओर इशारा करता है, उसे निशाना बनाया जाता है।


यहाँ सोचने वाली बात यह है कि तबलीगी जमात जैसे संगठनों की आलोचना के लिए हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, जिनके इस्लामी कट्टरवाद ने पूरे देशों के लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है। एक खास संगठन की आलोचना को इस्लामोफोबिया के रूप में चिह्नित नहीं किया जा सकता है। यह बात काफी स्पष्ट हो गया है कि यह इस्लामोफोबिया से लड़ने की आड़ में हिंदुओं के खिलाफ इस्लामी देशों के राज्य तंत्र को उकसाने की एक पहल है।

ऐसे परिदृश्य की कल्पना करना कोई बड़ी बात नहीं है, जब इस्लामवादियों द्वारा इस तरह की हरकतों से भारत में रहने वाले हिंदुओं और दूसरे मजहब के बीच सांप्रदायिक सद्भाव की भावना को ठेस पहुँची हो। यदि भारत में रह रहे मजहब विशेष का एक वर्ग मध्य-पूर्व में रहने वाले हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए ओवरटाइम करता है, तो इसका मतलब है कि भविष्य में भारत में इसके कुछ भयावह परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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