अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को नवनिर्मित राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इससे पहले एक वीडियो वायरल हो रहा है। यह वीडियो पुरातत्व विशेषज्ञ केके मुहम्मद का है। केके मुहम्मद बाबरी ढाँचे में हुई खुदाई में शामिल थे। राम मंदिर के सच को बाहर लाने में उनका बड़ा योगदान माना जाता है।
India is secular only because it is a Hindu majority country. This is the greatness of Hinduism. If Rama and Krishna are not your Itihasa purusha, your national heroes, you are not a perfect Muslim. – Dr KK Muhammed, suspended for discovering that a temple once stood under Babri. pic.twitter.com/Q4jfNl3d4o
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) January 17, 2024
केके मुहम्मद का जो वीडियो वायरल हो रहा है, वह लगभग चार साल पुरानी है। उन्होंने साल 2019 में एक लिट फेस्ट में बोलते हुए राम मंदिर में हुई खुदाई के साथ ही देश में मंदिरों को तोड़कर बनाई गईं कई मस्जिदों के बारे में बताया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि कैसे वामपंथी इतिहासकार इस पर बोलने का कभी साहस नहीं जुटा सके।
केके मुहम्मद ने बताया था कि हिंदुत्व में कोई भी व्यक्ति किसी भी तरीके से रह सकता है। उन्होंने कहा था, “मैं मुस्लिम विद्वानों से बताता हूँ कि पाकिस्तान नाम का मुस्लिम देश बनाने के बाद भी भारत सेक्युलर है तो ये हिन्दुओं के कारण ही संभव है।” केके मोहम्मद ने इस वीडियो में भारतीय मुस्लिमों के भारतीय संस्कृति से सम्बन्ध के विषय में भी बात की।
उन्होंने कहा कि यदि भारत में मुस्लिमों के लिए राम और कृष्ण उनके लिए हीरो नहीं हैं तो वे परफेक्ट मुस्लिम नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि मलेशिया और इंडोनेशिया में भी मुस्लिम राम और कृष्ण को मानते हैं, जबकि वे उनके देश में नहीं हुए। इसी तरह भारत के मुस्लिमों को भी यही करना था, लेकिन वे समझ नहीं पाए।
उन्होंने ईरान का उदाहरण देते हुए कहा कि ईरान के आज भी राष्ट्रीय हीरो रूस्तम और सोहराब हैं। ये दोनों पर्शिया, जो अब मुस्लिम शासन होने के बाद ईरान बन गया है, के हीरो थे। ये मुस्लिम भी नहीं थे, फिर भी इन्हें ईरान अपना नेशनल हीरो मानता है। इस बातचीत को आप यहाँ 14 मिनट के बाद सुन सकते हैं।
इस वीडियो में केके मुहम्मद को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि साल 1990 में राम मंदिर के विषय में सच बोलने के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया था। हालाँकि, बाद में निलंबन को स्थानांतरण में बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि बाबरी को खाली जमीन पर बनाया गया था, लेकिन बाद में हुए सर्वे ने स्पष्ट कर दिया कि यहाँ एक बड़ा मंदिर था।
उन्होंने बताया कि वहाँ कई स्तंभ मिले। ढाँचे वाली जगह से 263 मूर्तियाँ मिलीं। इनमें वराह समेत अन्य कई प्रतीक मिले, जो एक मस्जिद में से कभी नहीं मिल सकते। उन्होंने एक शिलालेख के विषय में भी बताया, जिसमें लिखा था कि यह मंदिर उस अवतार को समर्पित है, जिसने बालि को मारा था। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिमों के लिए बाबरी कोई बहुत बड़े महत्व की नहीं थी।
केके मुहम्मद ने यह भी कहा कि यदि मुस्लिमों ने इस जगह को हिन्दुओं को दे दिया होता तो ये मामला शांति से निपट जाता। इस दौरान एक दर्शक ने उनसे पूछा कि राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ऐसा दिखाया गया कि इसमें किसी की हार नहीं हुई है। हिन्दू-मुस्लिम एक है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी हार मार्क्सवादियों की हुई। इस पर दर्शक ने उनकी राय पूछा।
केके मुहम्मद ने इसका जवाब देते हुए कहा कि 34-35 साल की लड़ाई के बाद मार्क्सवादी और वामपंथी इतिहासकारों की बड़ी हार हुई है। उन्होंने कुछ कम्युनिस्टों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये लोग अच्छे होते हैं, मगर इरफान हबीब जैसे कुछ इतिहासकार बिल्कुल इसके विपरीत अपना नैरेटिव गढ़ते हैं, जो कि अब पूरी तरह से फेल हो चुका है।