Monday, November 4, 2024
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लक्षद्वीप में कानून का विरोध कर रहे मुस्लिमों के समर्थन में उतरे एक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन, कहा- इन्हें सुनने की जरूरत है

सोशल मीडिया पर 'लक्षद्वीप बचाओ अभियान' को लेकर वहाँ के प्रशासक को घेरा जा रहा है। दिसंबर 2020 में, भाजपा नेता प्रफुल खोड़ा पटेल लक्षद्वीप के नए प्रशासक बने थे। इन पर आरोप लगाया जा रहा है ​कि वह कानून लाकर अपने लोगों के जीवन को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।

केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में कुछ कानूनों को मंजूरी देने के बाद से विवाद गहरा गया है। इस समय लक्षद्वीप के लोग इन कानूनों को लेकर विद्रोह पर उतर आए हैं। इसी बीच मलयाली फिल्म अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन ने विरोध कर रहे लक्षद्वीप के मुस्लिमों का समर्थन किया है।

सोशल मीडिया पर ‘लक्षद्वीप बचाओ अभियान’ को लेकर वहाँ के प्रशासक को घेरा जा रहा है। दिसंबर 2020 में, भाजपा नेता प्रफुल खोड़ा पटेल लक्षद्वीप के नए प्रशासक बने थे। इन पर आरोप लगाया जा रहा है ​कि वह कानून लाकर अपने लोगों के जीवन को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। पृथ्वीराज ने कहा कि लक्षद्वीप के लोगों को सुनने की जरूरत है और वे जो चाहते हैं उससे बेहतर कोई नहीं जानता।

अभिनेता पृथ्वीराज ने फेसबुक पोस्ट के जरिए लक्षद्वीप के साथ अपने संबंध और अनुभवों को साझा किया है। उन्होंने लिखा है, “द्वीपों के इस खूबसूरत छोटे समूह की मेरी पहली यादें स्कूल के समय से है, जब मैं 6ठी कक्षा में पढ़ता था। मैं डायरेक्टर सैची की फिल्म ‘अनारकली’ की शूटिंग के दौरान इस द्वीप पर आया था। मैंने यहाँ कवरती (Kavaratti) में 2 महीने सुखद पलों को जिया था। दो साल पहले मैं फिर से वहाँ फिल्म करने गया, जो मेरे निर्देशन में बनी पहली फिल्म लूसिफेर (LUCIFER) थी। इनमें से कुछ भी संभव नहीं होता, यदि लक्षद्वीप के लोग उग्र होते।”

बता दें कि मलयालम फिल्मों के मशहूर डायरेक्टर-राइटर के आर सच्चिदानंदन उर्फ सैची का पिछले साल 48 साल की उम्र में निधन हो गया था। उन्होंने बतौर डायरेक्टर साल 2015 में अपनी पहली मलयालम फिल्म ‘अनारकली’ बनाई थी। इस फिल्म में पृथ्वीराज सुकुमारन ने अहम भूमिका निभाई थी।

डायरेक्टर सैची साल 2015 में फिल्म ‘अनारकली’ के कलाकारों और अपनी टीम के साथ लक्षद्वीप द्वीप समूह के लिए उड़ान भरने ही वाले थे कि उन्हें एक हैरान कर देने वाली खबर मिली। दरअसल, उस दौरान लक्षद्वीप में अगाती, कवरती, बांगरम और थिन्नाकारा पर दृश्यों को शूट करने की अनुमति द्वीप के प्रशासक राजेश प्रसाद ने वापस ले ली थी।

सुन्नी स्टूडेंट्स फेडरेशन नामक एक समूह ने स्थानीय मस्जिद के इमाम द्वारा हस्ताक्षर की हुई एक याचिका प्रशासक को सौंपी थी, जिसमें कहा गया था कि सिनेमा गैर-इस्लामिक है। सैची ने कहा था, ”मुझे बताया गया है कि अगर शूटिंग शुरू हुई तो सांप्रदायिक दंगे हो सकते हैं।”

सैची ने आगे का था, “अगर मैंने (फिल्म की कास्ट) पृथ्वीराज, बीजू मेनन, प्रियल गोर और मिया जॉर्ज को इस प्रॉब्लम के बारे में बताया, तो वे तुरंत अपनी अगली फिल्मों के लिए रवाना हो जाएँगे। इसलिए मैं इस मुद्दे पर शांत रहा, केवल निर्माता राजीव नायर और प्रोडक्शन कंट्रोलर रोशन चित्तूर के साथ ​ही इस पर चर्चा की।”

टीम को अगले दिन कवरती पहुँचना था, लेकिन सैची को इस फैसले पर विचार करने के लिए और समय चाहिए था। इसलिए उसने कप्तान को जहाज की यात्रा की दिशा बदलने के लिए मना लिया। नाव अब बित्रा, किल्टन और अन्य द्वीपों को पार करते हुए अगले दिन कवरती पहुँचती।

फिर से एक प्रभावशाली संपर्क के माध्यम से सैची ने विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को सूचित किया। अधिकारी ने तुरंत प्रशासक को दिल्ली आने को कहा। इसलिए राजेश ने हेलीकॉप्टर से कवरती से कोच्चि के लिए और फिर दिल्ली के लिए उड़ान भरी।

बता दें कि इन कानूनों को मंजूरी देने के बाद से लक्षद्वीप विपक्षी नेताओं द्वारा भाजपा सरकार और लक्षद्वीप के प्रशासक की आलोचना की जा रही है। भारतीय द्वीप समूह के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ विपक्षी नेता और वहाँ स्थानीय लोग विद्रोह कर रहे हैं। इन कानूनों में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए दो संतान का नियम, गाय और बैल के अवैध कत्ल पर बैन और पर्यटन को बढ़ाने के लिए शराब की बिक्री शुरू करने की बातें शामिल है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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