न्यूयॉर्क में सलमान रुश्दी पर हुए हमले के बाद दुनिया भर के बुद्धिजीवी इस घटना पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इस बीच कुछ इस्लामी कट्टरपंथियों ने उनपर हुए हमले का जश्न मनाना शुरू कर दिया है। वहीं कुछ को दुख है कि उन्होंने अब तक दम क्यों नहीं तोड़ा।
सोशल मीडिया पर जगह-जगह ट्वीट देखने को मिल रहे हैं जिनमें कहीं कट्टरपंथी इस हमले का स्वागत कर रहे हैं तो कहीं कह रहे हैं कि ये डर अच्छा है।
हमले से पहले सलमान रुश्दी ने एक इंटरव्यू में कहा था- जिंदगी पहले की तुलना में सामान्य चल रही है…https://t.co/PN9aX3QszX pic.twitter.com/XjbOA2avmg
— BBC News Hindi (@BBCHindi) August 13, 2022
बीबीसी पर प्रकाशित एक रिपोर्ट, जिसमें बताया गया था कि सलमान ने रुश्दी ने कहा था कि उनका जीवन सामान्य चल रहा है। उसके नीचे शोएब अली ने लिखा, “हाँ अब जिंदगी डर में चलेगी।” वहीं सोहेल रजा ने कहा, “अभी है? कि…”
सलमान रुश्दी पर हुए हमले के वीडियो के नीचे भी इस्लामी कट्टरपंथियों की रुश्दी के विरुद्ध घृणा देखी जा सकती है। एक यूजर पूछता है, “मरा क्या कमीना?” तो आतिफ असलम नाम का मुस्लिम रुश्दी के जिंदा होने पर लिखता है, “कमीना जिंदा है अब तक।”
Kamina zinda hai ab tak
— Atif Alam (@AtifAlam9314093) August 12, 2022
इसी तरह शीबा लिखती है, “बढ़िया है! मर जाता तो ठीक था।”
अब्दुल माजिद कहता है, “देर आए दुरुस्त आए”
शाहिद कहता है, “पहले तो ये लोग जानबूझ कर इस्लाम के खिलाफ बोलते है, गलियाँ देते है या अल्लाह और उसके रसूल की शान में गुस्ताखियाँ करते हैं, फिर कुछ होता है तो विक्टिम कार्ड खेलते हैं। ऐसे गुस्ताख लोग अपने ऊपर होने वाली हिंसा के लिए खुद जिम्मेदार है। अगर ये गुस्ताखी न करता तो ऐसा न होता।”
पहले ये लोग जानबूझ कर इस्लाम के खिलाफ बोलते है गलियां देते है या अल्लाह और उसके रसूल की शान में गुस्ताखियां करते है फिर कुछ होता है तो विक्टिम कार्ड खेलते है।
— Er_shahid_X² (@1651Shahid) August 13, 2022
ऐसे गुस्ताख लोग अपने ऊपर होने वाली हिंसा के लिए खुद जिम्मेदार है।
अगर ये गुस्ताखी न करता तो ऐसा न होता#SalmanRushdie https://t.co/g5lOzehsFq
इरफानुल्ला कहता है, “खुदा की लाठी बड़ी बेआवाज होती है।”
खुदा की लाठी बड़ी बेअवाज होती है। https://t.co/Su7gSBlwqb
— Irfanulla (Turkei) (@IrfanTurkei) August 12, 2022
बता दें कि रुश्दी पर हुए हमले के बाद वह अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। इस बीच ये हमला देख भारत में जहाँ नुपूर शर्मा को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं। वहीं बांग्लादेश से भागीं लेखिका तस्लीमा नसरीन भी घबराई हुई हैं। उन्होंने ट्वीट में ध्यान दिलाया है कि कैसे इस्लाम की आलोचना करने वाले 7वीं सदी में भी मारे जाते थे और आज 21वीं सदी पर भी उनपर हमला हो रहा है।
तस्लीमा नसरीन ने आज ट्वीट किया, “इस्लाम के आलोचक पहली दफा 7वीं शताब्दी में मारे गए ते और 21वीं सदी में भी वह मारे जाते हैं। ये लोग तब तक मारे जाते रहेंगे जब तक इस्लाम सुधरता नहीं, उसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अनुमति नहीं मिलती, हिंसा की निंदा नहीं की जाती, कट्टरपंथियों के बनने की जमीं नहीं ध्वस्त होती और कोई किताब पाक मानी जानी बंद नहीं होती। “