ट्विटर ट्रोल स्वरा भास्कर ने एक बार फिर सस्ती लोकप्रियता के लिए फ़ूड डिलीवरी एप्लीकेशन जोमैटो (Zomato) को सोशल मीडिया वेबसाइट ट्विटर पर इसलिए घेरने प्रयास किया क्योंकि उसका प्रचार के बहाने समाचार चैनल रिपब्लिक टीवी (Republic TV) पर आ रहा था।
स्वरा भास्कर के मुताबिक़, रिपब्लिक भारत ‘लव-जिहाद’ के विषय पर चर्चा करके समाज में घृणा फैलाता है और उस पर जोमैटो का विज्ञापन नज़र आने का मतलब है कि जोमैटो कथित तौर पर घृणा के प्रचार में रिपब्लिक टीवी का समर्थन करता है। इस पर नेटिज़न्स ने स्वरा भास्कर को उनके उन दिनों की याद दिलाई, जब दिल्ली दंगों के दौरान वह उपद्रवी और उग्र दंगाई मजहबी भीड़ को सड़कों पर उतरने के लिए उकसा रही थी।
इस पर ‘Defund the Hate’ नाम के ट्विटर हैंडल ने भी एक ट्वीट किया और अपने ट्वीट में रिपब्लिक भारत पर आने वाले ‘जोमैटो’ के विज्ञापन पर टिप्पणी की। टिप्पणी में उसने लिखा, “जोमैटो और दीपिंदर गोयल ने फीडिंग इंडिया (feeding india) का आर्थिक सहयोग किया क्योंकि उन्हें उस पर भरोसा था। क्या हम यह मान सकते हैं कि आप (जोमैटो) इस हेट स्पीच का समर्थन करते हैं क्योंकि आपका विज्ञापन रिपब्लिक भारत पर आता है? अगर हम गलत हैं तो अपने विज्ञापन आज ही वापस लीजिए।” इस ट्वीट में रिपब्लिक भारत में हुई पैनल चर्चा का छोटा सा हिस्सा दिखाया गया था जिसमें एक संत तर्कों के साथ लव जिहाद के मुद्दे पर अपने विचार रख रहे थे।
Hey @zomatoin @zomato @deepigoyal I’m your regular customer.. do u plan to #DefundTheHate & pull your ads from hate espousing channels like @Republic_Bharat ? I’m not okay with my money even indirectly funding this kind of communal bigoted hate! Pls let your consumers know.. https://t.co/mMacP8IawZ
— Swara Bhasker (@ReallySwara) November 18, 2020
इस ट्वीट का जवाब देते हुए स्वरा भास्कर ने ‘विवाद के बहाने चर्चा’ में आने का एक और अवसर लपक लिया और अपने ट्वीट में लिखा, “मैं जोमैटो की रेगुलर ग्राहक हूँ, क्या आप नफरत (उनके मुताबिक़ हेट स्पीच) को डीफंड (Defund) करने की योजना बना रहे हैं? क्या आप इन नफ़रत फैलाने वालों चैनलों (रिपब्लिक भारत) से अपना विज्ञापन बंद करवा सकते हैं। मैं इस बात से सहमत नहीं हूँ कि मेरे द्वारा दिए गए रुपयों से इस तरह के सांप्रदायिक उन्माद को बढ़ावा दिया जाए। कृपया अपने ग्राहकों को इस बारे में स्पष्ट जानकारी दें।”
इस मुद्दे पर चर्चा और विवाद का दायरा बढ़ने के बाद जोमैटो ने स्वरा भास्कर का जवाब दिया। जोमैटो ने अपने ट्वीट में लिखा, “हम अपने कंटेंट के अलावा किसी के भी कंटेंट को बढ़ावा नहीं देते हैं। फ़िलहाल हम इस मुद्दे को देख रहे हैं।”
लेकिन यहाँ तक पूरे मुद्दे के सिर्फ एक पहलू पर चर्चा हो रही थी, इसके बाद ट्विटर की जनता ने स्वरा भास्कर के साम्प्रदायिक कारनामों की लिस्ट सामने रख दी। दिल्ली दंगों के दौरान स्वरा भास्कर ने तमाम ट्वीट किए थे, जिसमें लोगों को सड़कों पर इकट्ठा होने से लेकर भारी संख्या में पहुँच कर उग्र होने की बात तक शामिल थी।
एक ट्विटर यूज़र ने तो स्वरा भास्कर से पूछा कि देश की राजधानी में दंगों जैसे हालात के वक्त वह भीड़ को उकसा रही थीं। अगर रिपब्लिक नफरत फैला रहा है तो स्वरा की हरकतों को प्रेम फैलाना नहीं कहा जा सकता है।
Hi @zomato, do you endorse Swara Bhaskar who was openly inciting mobs, which led to Riots like situation in Delhi? If you agree to her on @republic spreading hate, she wasn’t spreading love either. pic.twitter.com/14jYHhP0GH
— INFERNO (@TheAngryLord) November 18, 2020
इसके बाद एक और ट्विटर यूज़र ने लिखा कि राष्ट्रवादियों और देशभक्तों की आबादी का एक बड़ा ग्राहक वर्ग जोमैटो से भी जुड़ा हुआ है। वह वर्ग अर्णब को देखता है और पूरे दिल से पसंद करता है, ये सभी लोग इंतज़ार में हैं कि जोमैटो इस मुद्दे पर क्या कदम उठाता है।
The large nationalistic & patriotic customer base of @zomato @zomatoin, who adores Arnab like anything and watches @republic @Republic_Bharat with passion, is also looking forward keenly as to what step Zomato will be taking..
— Keh Ke Peheno (@coolfunnytshirt) November 18, 2020
एक ट्विटर यूज़र ने तो स्पष्ट तौर पर लिखा कि जोमैटो को अच्छी भली संख्या में अनइनस्टॉल करने के लिए तैयार रहिए। कोई भी रैंडम स्वरा किसी संस्थान पर अपना हुकुम नहीं चला सकती है, हम इस मुद्दे को बहुत करीब से देख रहे हैं।
Obviously, if this is done by Zomato, lets be ready to uninstall Zomato App in large number… some random Swara can’t dictate organizations.. We r also watching closely @KapilMishra_IND @TajinderBagga
— Globalsingh (@Globalsingh3) November 18, 2020
यह पहला ऐसा मौक़ा नहीं है जब जोमैटो इस तरह के सांप्रदायिक विवाद की वजह से सुर्ख़ियों में बना हुआ है। ऐसे ही हलाल-झटका का विवाद ज़ोमैटो विवाद के दौरान खुल कर सामने आया था। इसमें रेस्टोरेंट से घर पर खाने की डिलीवरी सर्विस देने वाली,ऐप-आधारित कंपनी पर आरोप लगा था कि एक तरफ वह ‘खाने का कोई मज़हब नहीं होता’ जैसी नैतिकता का ज्ञान बाँचती है, दूसरी ओर मुस्लिमों का तुष्टिकरण करने के लिए,
उनकी ‘हलाल माँस ही चाहिए’ की माँग पूरा करने के लिए वह हर तरीके से तैयार रहता है। गौरतलब है कि हलाल माँस, अपनी मूल प्रकृति से ही भेदभाव वाली प्रथा है, जो गैर-मुस्लिमों को रोजगार के अवसर से वंचित करती है। यानि, हलाल माँस को वरीयता देने वाले ज़ोमैटो, मैक्डॉनल्ड्स आदि कॉर्पोरेट खुल कर कार्यस्थल पर भेदभाव (वर्कप्लेस डिस्क्रिमिनेशन) को बढ़ावा देते हैं, और बराबर के अवसरों (ईक्वल ऑपर्च्युनिटी) के सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं।