खुफिया एजेंसियों ने जैश-ए-मोहम्मद के 8 से 10 आतंकियों वाले एक मॉड्यूल को लेकर अलर्ट जारी किया है। आशंका है कि ये आतंकी भारतीय वायु सेना के ठिकानों को तबाह करने के लिए जम्मू-कश्मीर के आसपास आत्मघाती हमले को अंजाम देने की कोशिश कर सकते हैं।
डोभाल ने कहा कि सेना द्वारा किसी को प्रताड़ित करने का सवाल ही नहीं उठता। सेना की भूमिका आतंकियों से निपटने तक सीमित है। कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य पुलिस और कुछ केंद्रीय बलों के हाथ में है। आर्टिकल 370 हटाए जाने का वही विरोध कर रहे जो शांति नहीं चाहते हैं।
जिन पूर्व सांसदों ने अभी अपना सरकारी आवास खाली नहीं किया है, उनकी संख्या अब घटकर केवल 109 रह गई है। एक अधिकारी ने बताया कि अगले कुछ दिनों में 90% सरकारी आवास खाली होने की संभावना है।
डोवाल का बकरीद के ठीक पहले लगभग 98% मुस्लिम जनसंख्या वाले अनंतनाग जाना न केवल सीमा-पार से हिंसा भड़काने वालों बल्कि स्थानीय जिहादियों और कट्टरपंथियों के लिए भी स्पष्ट संदेश है कि सरकार संवेदनशील इलाकों को सीधे 'हैंडल' कर रही है।
अजित डोभाल आज ही जम्मू-कश्मीर के दौरे पर जाएँगे और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेंगे। वहाँ की स्थितियों को देखते हुए वो रुक भी सकते हैं और स्थितियाँ सामान्य होने तक सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखेंगे।
"साइबर एक सीमाविहीन युद्धक्षेत्र है। यहाँ एक बार घुसपैठ कर लेने पर दुश्मन की विद्युत, आर्थिक, नागरिक उड्डयन, संचार आदि सभी क्षमताओं को एक ही झटके में ध्वस्त कर सकते हैं। इस लिए इलेक्ट्रॉनिक्स दुश्मन के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार भी और हमारी सबसे बड़ी कमजोरी भी।"
महत्वपूर्ण निर्णय के लिए डोभाल पण्डित नेहरू के कश्मीर मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने का उदाहरण देते हैं। उनके अनुसार उस निर्णय के कारण ही पीओके को पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त नहीं कराया जा सका और कश्मीर ही भारत की सभी आतंकवादी समस्याओं के मूल में है।