दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को क़रीब दो दिन पहले ख़ुफ़िया विभाग से इस तरह की जानकारी मिली है। जानकारी मिलने के बाद हिन्दू नेताओं, आरएसएस के पदाधिकारियों और राजनेताओं की सुरक्षा की समीक्षा शुरू कर दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (24 अक्टूबर) को जम्मू-कश्मीर प्रशासन से कहा कि वे राष्ट्र हित के नाम पर पाबंदियाँ लगा सकते हैं। लेकिन, समय-समय पर इनकी समीक्षा भी होनी चाहिए। न्यायमूर्ति एनवी रमण की अगुआई वाली एक पीठ को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसके जवाब में बताया कि प्रशासन रोज़ाना इन प्रतिबंधों की समीक्षा कर रहा है।
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती की बेटी ने दावा किया है कि उनकी माँ समेत बहुत से नेता केवल केंन्द्र सरकार का शांति बनाए रखने वाले बॉन्ड न भरने के कारण अभी भी नज़रबंद हैं। उन्होंने बॉन्ड के औचित्य और...
केंद्र ने ₹2,000 करोड़ के एक "वन-टाइम सेटेलमेंट" पैकेज की घोषणा की थी। उसे भी यह शरणार्थी इसलिए नहीं ले पाए क्योंकि उनके पास डोमिसाइल सर्टिफ़िकेट नहीं था। एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 1.5 लाख परिवार, यानी 10 लाख शरणार्थी आज भी शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं।
सरकार कॉन्ग्रेस के साथ कोई सहयोग नहीं कर रही है, जबकि पार्टी ने चुनाव के समय और राज्य के हालात को लेकर शंकाओं के बावजूद सरकार के साथ सहयोग की इच्छा प्रकट की थी।
DMCH में कार्यरत डॉक्टर प्रशांत वत्स 5 दिन कश्मीर में गुजार कर हाल ही में लौटे हैं। ऑपइंडिया ने उनसे बातचीत की, वहाँ का हाल जाना। डॉक्टर वत्स ने मीडिया के तमाम प्रोपेगेंडे को ध्वस्त करते हुए कुछ ऐसी बातें बताई, जिन्हें आप लोगों तक पहुँचाना ज़रूरी है।
अमेरिकी एजेंसी से मिले इनपुट के मद्देनज़र सुरक्षा एजेंसियाँ हाई अलर्ट पर हैं, जिसमें कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 निष्क्रिय किए जाने के बाद आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISI) प्रायोजित आतंकी हमले हो सकते हैं।
'गे फॉर जेके' के कार्यकर्ताओं ने कविता कृष्णन सहित अन्य वामपंथियों को आइना दिखाते हुए उन्हें बताया कि भारत का संविधान उन्हें मान्यता देता है कि जम्मू कश्मीर के संविधान में उनके लिए कोई जगह नहीं थी।
कुलभूषण जाधव का केस मात्र 1 रुपए की फीस में लड़ने वाले हरीश साल्वे ने हैदराबाद के निज़ाम वाले मामले में ब्रिटेन कोर्ट के द्वारा भारत के पक्ष में सुनाए गए फ़ैसले की भी तारीफ़ की। उनका कहना था कि पाकिस्तान के द्वारा इस मामले पर अब तक जो दावा किया जा रहा था, वो पूरी तरह से ग़लत था।
जम्मू-कश्मीर पर अफवाह फैलाने वालों में कई अन्तरराष्ट्रीय न्यूज़ पोर्टल्स भी शामिल हैं और कई बार उनके प्रोपगेंडा की पोल खुल चुकी है। अब दिन के समय प्रतिबंधों के हटते ही जम्मू-कश्मीर में आम जनजीवन पूरी तरह सामान्य हो जाएगा।