लोगों को पाकिस्तान में पैसा लगाने के लिए हर तरीके से मनाने में नाकाम पाकिस्तान अब उन्हें belly dance से लुभाने की कोशिश कर रहा है! पाकिस्तान पिछले कुछ समय से कटोरा लेकर अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के चौराहे पर है, लेकिन...
नीतियाँ लम्बे समय तक के लिए होती हैं, इसलिए सरकारों को सोच समझ कर बोलना चाहिए ताकि बिजनेस करने वालों के बीच यह भरोसा रहे कि यह सरकार जो बोलती है, वो करती है। अगर नीतियाँ तीन महीने में घोषणा के बाद बदलती रहेंगी, जो कि मोदी सरकार में कई बार हो चुका है, तो इंडस्ट्री उसे सही सिग्नल नहीं मानती।
31 अगस्त को रिकॉर्ड 49,29,121 आईटीआर फाइल हुए। CBDT के मुताबिक हर सेकेंड अधिकतम 196 आईटीआर। अगर पीक फाइलिंग दर प्रति मिनट की बात करें तो यह संख्या 7447 थी और हर घंटे अधिकतम 3,87,571 आईटीआर फाइल किए गए।
जितिन प्रसाद ने सभी राजनीतिक दलों से अपील करते हुए कहा कि उन्हें जनसंख्या नियंत्रण जैसे गंभीर मुद्दे पर एकसाथ खड़े होना चाहिए। बता दें कि इस साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसंख्या का मुद्दा उठाया था।
भारत में चीन की तुलना में उन्हें एक-तिहाई वेतन (₹9,000) कर्मचारियों को देना पड़ता है, और राज्य सरकार भी अपने स्तर पर हर-सम्भव सहयोग कर रही है, लेकिन समस्याएँ फिर भी कम नहीं हैं।
पाकिस्तान ऐसे आर्थिक संकट से गुज़र रहा है कि वहाँ सरकारी दफ्तरों में केवल एक ही समाचारपत्र रखने, नई गाड़ियों की खरीद पर रोक जैसे कदम उठाने पड़ रहे हैं। इसके बाद भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री आर्थिक हालत सुधारने की बजाय हिंदुस्तान को परमाणु हमले की धमकी दे रहे हैं।
लोग इस मामले में बात छिपा रहे हैं कि बिमल जालान को सरकार में लाने वाले मोदी नहीं, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी हैं। 1970 के दशक में इंदिरा गाँधी ने 4-5 उभरते हुए आर्थिक और सार्वजनिक नीति (पब्लिक पॉलिसी) के विद्वानों को सरकारी तंत्र का हिस्सा बनाया था।
सरकार वित्तीय घाटे को जीडीपी का 3.3% रखने का लक्ष्य लेकर चल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस रेकॉर्ड ट्रांसफर से सरकारी बैंकों में कैपिटल डाले जाने की उम्मीद है। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर और शेयर बाजार को भी बूस्ट मिलने की संभावना है।
"मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले समय में केंद्र इस पर (आर्थिक मंदी पर) ठोस कदम उठाएगा। जो भी कदम केंद्र उठाएगा, दिल्ली सरकार का उन्हें पूरा समर्थन मिलेगा। मैं नौकरियों के खोने को लेकर व्यक्तिगत रूप से चिंतित हूँ।"
कश्मीर में अनुच्छेद-370 के कुछ प्रावधानों के निष्क्रिय होने के बाद से पाकिस्तानियों को ज़ाहिर तौर पर सदमा लगा है। और इसी सदमे की प्रतिक्रिया में इमरान खान सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनका आखिर में नुकसान हमेशा की ही तरह उन्हें ही उठाना पड़ेगा।