"प्रकाश आंबेडकर के इस कदम पर कोई आश्चर्य नहीं है। इससे पहले वह 'औरंगजेबी' पार्टी AIMIM के सहयोगी रहे हैं। वे ऐसा ही करते रहे तो बचे हुए समर्थक भी उन्हें छोड़कर चले जाएँगें।"
यह शिवसेना नहीं, मराठी मानुष और हिंदुत्व को तोड़ने का षडयंत्र है। जिसको कभी गली का कुत्ता भी नहीं पूछता था, आज वो उन्हें तोड़ने की प्लानिंग कर रहे हैं।