जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक बंदियों की रिहाई जैसे विश्वास बहाली के उपायों की कमी से निराशा है। बैठक में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल होने के बाद ही विधानसभा चुनाव हों।
उपराज्यपाल ने 20 जून को ऐलान किया था कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन पूरी तरह से ई-ऑफिस व्यवस्था अपना चुका है और इस तरह साल में दो बार 'दरबार स्थानांतरण’करने की प्रथा समाप्त हो गई है।
रमणीक सिंह मान ने याद दिलाया कि कैसे 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और उन्हें घाटी से भगाए जाने के बाद 2000 में चित्तसिंहपुरा में 35 सिखों को मार डाला गया था।
उनकी सास ने दावा किया कि उन्होंने 2007 के बाद से ही अपने पति के साथ शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाए हैं, क्योंकि वो कैंसर की मरीज थीं। ससुर के साथ निकाह के लिए जबरदस्ती की जाने लगी।
इस मामले को सरना ने पहले शर्मनाक बताते हुए कहा था कि इसके ख़िलाफ़ सारी कौम को एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए। हालाँकि आज उन्होंने अपने सिरसा के बयान पर माफी माँगी।