तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके पार्टी के नेता एमके स्टालिन इस नीति के खिलाफ जोर-शोर से आवाज उठा रहे हैं। उनका कहना है कि ये नीति तमिलनाडु पर हिंदी थोपने की साजिश है।
प्रवेश वर्मा ने आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक प्रोपेगेंडा बताया। उन्होंने कहा कि यह रकम उनकी संस्था 'राष्ट्रीय स्वाभिमान संस्था' के जरिए जरूरतमंद महिलाओं की मदद के लिए दी जा रही है।