राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट कर कहा है कि कॉन्ग्रेस और जेडीएस अभी भी गुटबाजी में फॅंसी है। उन्होंने पैसे और सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल से नतीजों पर असर डाले जाने की बात भी कही है।
राजदीप सरदेसाई कॉन्ग्रेस परिवार के प्रति वफ़ादार रहे हैं। इस साल फरवरी में, उन्होंने इंडिया टुडे टीवी में अपने एक शो के दौरान वाड्रा को बेगुनाह साबित करने पर तुले नज़र आए। उन्होंने अपने कार्यक्रम में यह दावा किया था कि......
राजदीप सरदेसाई के इस बदले सुर से सभी हैरान हैं। अपनी ही बात से पलट गए हैं। पहले उन्होंने जल्दी सुनवाई ख़त्म करने का स्वागत किया था, अब वह पूछ रहे हैं कि इतनी जल्दी भी क्या है? उन्होंने गिरगिट की तरह रंग बदला है। राजदीप जजों को ही खरी-खोटी सुनाने लगे।
वीडियो में 5:30 से 5:40 तक आप सुन सकते हैं, जहाँ सीधा-सीधा हमला धर्म पर ही था- किसी विचारधारा, किसी राजनीतिक दर्शन या व्यक्ति पर नहीं, सीधे धर्म पर। और राजदीप सरदेसाई को उस पर मौन सहमति देते देखा जा सकता है। न कोई सवाल, न टोकना, न कोई स्पष्टीकरण। उनकी मूक सहमति ऐसे थी जैसे...
राजदीप सरदेसाई ने कश्मीर में सरकारी गतिविधियों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि गैर-स्थानीय निवासियों को घाटी छोड़ देने की सरकारी सलाह से उनके होटल मालिक मित्र का बिज़नेस चौपट हो गया है।
राजदीप ने अपना 30 साल का कैरियर जिस तरह के प्रोपेगेंडा से बनाया है उसे देखते हुए यह बहुत आश्चर्यजनक नहीं है। वह अफस्पा के खिलाफ भी भ्रम पैदा करते पकड़े गए थे।
कॉन्ग्रेस के निष्ठावान राजदीप सरदेसाई ने भी एग्जिट पोल के आंकड़ों के बाद ईवीएम फ़र्जीवाड़े की झूठी ख़बर उठाने के लिए विपक्षी नेताओं की खिंचाई की थी। राजदीप ने तर्क दिया था कि विपक्षी नेताओं द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं और विशुद्ध रूप से राजनीतिक कारणों से बनाए गए हैं।
राजदीप ने यहाँ तक कहा कि मोदी के यहाँ से चुनाव लड़ने की वजह से वाराणसी की सीट VVIP संसदीय सीट में बदल चुकी है। जिसका असर वहाँ पर हो रहे परिवर्तन के रूप में देखा जा सकता है।
सरदेसाई पर इस तरह से सीधा अटैक करने के बाद, कॉन्ग्रेस के लिए तमाम तरह से जीवन भर पैडलिंग करने के बावजूद, राजदीप के पास ऐसा एक भी काम नहीं था कॉन्ग्रेस का जिसे वो बनारस की जनता को गिना सकें। वहाँ बैठे बनारसियों ने उन्हें पानी पीला दिया और दुकान पर बैठे लोगों ने इस सन्नाटे को चीरने के लिए माहौल मोदी मय कर दिया। साथ ही यह भी बता दिया कि बनारस किसी के भड़कावे में नहीं आने वाला, वह विकास के साथ है, मोदी के साथ है।
2019 के लोकसभा चुनावों के रुझानों से पता चलता है कि एनडीए सरकार सत्ता में वापस आ रही है, कॉन्ग्रेस समर्थित मीडिया पारिस्थितिकी तंत्र नरेंद्र मोदी के साथ तालमेल बिठाने का मौका खोजने की कोशिश में अपने पुराने आकाओं गिरोहों को छोड़ने का यह एक संकेत है। या इस बात का डर कि अब और कॉन्ग्रेसी या देश विरोधी एजेंडा चलाना संभव नहीं।