मद्रास हाई कोर्ट ने कह़ा कि निजी स्थान पर पोर्न देखना अपराध नहीं माना जा सकता। हाई कोर्ट ने इसे क्रूरता मानने से मना किया और कहा कि यह तलाक का आधार नहीं बन सकता।
गज सेवा समिति ने आरोप लगाया है कि हाथियों पर रोक लगाने की माँग करने वाले कथित एक्टिविस्ट हिन्दुओं की 2 हजार साल से अधिक पुरानी परमपराएं बंद करवाना चाहते हैं।
केंद्र सरकार की तरफ से इस मामले में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के रुख का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि कोई भी हाई कोर्ट या उसके जज कभी भी लोकपाल कानून, 2013 के दायरे में नहीं आ सकते।