ये वही अरुण शौरी हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले को ही त्रुटिपूर्ण करार दिया था, जिसमें मोदी सरकार को राफेल मामले में क्लीनचिट दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद भी उन्होंने समीक्षा याचिका दायर की थी और अधिकारियों पर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया था।
रमा लक्ष्मी के लिए हिन्दुओं के धर्म पर हुए हमले का सबूत लाना इतना बड़ा 'पाप' है कि ऐसे 'पापी' अरुण शौरी के लिबरलों के चहेते बनने से उन्हें दुःख हो रहा है।
कल उन्हें 'तानाशाह' पसंद था, अब विकेन्द्रीकरण का बहाना मारते हैं। कल एक आँख के बदले दो आँख की बात करते थे, अब सेना के शौर्य को 'फ़र्ज़ीकल' स्ट्राइक बताते हैं