कोर्ट ने कहा कि यह याचिका मात्र लड़की और उसके परिवार की छवि खराब करने के उद्देश्य से डाली गई है और इससे याचिकाकर्ता उन पर दबाव डाल कर अपने मन का निर्णय करवाना चाहता है।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जिस तरह आरोपितों ने अपने सहयोगियों के साथ मिल कर दिन-दहाड़े सार्वजनिक स्थल पर भगवान राम के जीवन के घटनाक्रम से संबंधित ग्रन्थ का अपमान किया, उससे सामाजिक आक्रोश स्वाभाविक है।