कार चलाने के अलावा उन पर कार चलाना सीखने और लाइसेंस बनवाने का भी आरोप है। इसे चर्च ने 'grave violations' (गंभीर उल्लंघन') की संज्ञा दी है। उन पर ऐसे ही कुल 14 आरोप लगाए गए हैं, जिन्हें उन्होंने जाबूझकर अपनी छवि खराब करने की साजिश के रूप में ख़ारिज कर दिया है।
केरल के साइरो मालाबार चर्च ने ईसाई समुदाय की केरल की जनसंख्या में घटती हिस्सेदारी पर चिंता प्रकट की है। इसके लिए एक कारण समुदाय के एक लाख से भी अधिक अविवाहित पुरुषों का होना बताया गया है। चर्च के मुताबिक इन 1,00,000 पुरुषों की उम्र 30 वर्ष के ऊपर है।
2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने मलंकरा चर्च के 1934 के संविधान को बरक़रार रखा था जिसके तहत केरल में 1100 पैरिश और चर्चों के नियंत्रण को ऑर्थोडॉक्स समूह के नियंत्रण में देना था, लेकिन अधिकांश चर्चों को नियंत्रित करने वाले जैकबाइट्स इस बात के लिए तैयार नहीं थे।
जैकोबाइट ईसाई ने विरोध में धरना दिया, जिसमें केरल सरकार और विपक्ष के कई नेता शामिल हुए। जैकोबाइट धड़े ने आरोप लगाया कि ऑर्थोडॉक्स उनके मृत रिश्तेदारों की अंतिम क्रिया में भी बाधा पहुँचा रहे हैं और यहाँ तक कि मरे हुए लोगों को भी शांति से नहीं रहने दे रहे।
तस्वीरें सामने आने के बाद लोग डेरेक पर हिंदुओं को गुमराह कर के उनका धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगा रहे हैं और इस वजह से डेरेक के इस रूप का विरोध किया जा रहा है। कई ईसाइयों ने ट्विटर पर बिशप की ऐसी गतिविधियों को लेकर उन्हें चेतावनी दी, कुछ ने इसे ईशनिंदा भी करार दिया।
'चर्च ऑफ इंग्लैंड' के सबसे वरिष्ठ पादरी वेबली ने कहा कि जलियाँवाला बाग़ में जो अपराध हुआ था, उसके लिए वह शर्मिंदा हैं और एक धार्मिक नेता होने के तौर पर वह इस त्रासदी की निंदा करते हैं। उन्होंने माफ़ी माँगते हुए कहा कि इसकी यादें हमेशा रहेंगी।
पुलिस उपायुक्त चेतन सिंह राठौर ने कहा, "हमने दोनों पक्षों से ज़मीन के मालिकाना हक़ से संबंधित दस्तावेज़ प्रस्तुत करने को कहा है। दस्तावेज़ बताते हैं कि वर्ष 1860 के दौरान ब्रिटिश शासन में इस सार्वजनिक संपत्ति के मालिक मैसूरु के वोडेयार शासक थे।"
सारा का परिवार जैकोबाइट ईसाई है लेकिन ऑर्थोडॉक्स गुट उनके तरीके से अंतिम क्रिया-कर्म की प्रक्रिया नहीं होने देने पर अड़ गया। तनाव को देखते हुए परिवार ने मृतक के देह-दान का निर्णय करते हुए रिसर्च के लिए उसे मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया।
सेंट थॉमस चर्च के विक्टर फादर जोसेफ मलयिल ने इससे इनकार करते हुए कहा है कि अंतिम संस्कार मानवता की बात है। लेकिन, जेकोबाइट पक्ष के एक सूत्र ने बताया कि ऐसे कई उदाहरण हैं, जब ऑर्थोडॉक्स समूह ने दूसरे गट के ईसाइयों को दफ़न करने से मना कर दिया।
"चर्च के पादरियों ने हमें बहलाया-फुसलाया और धर्म परिवर्तन कराने को कहा। पादरियों ने कई अन्य प्रकार के प्रलोभन देते हुए हमारी बीमारी ठीक कर देने का भी आश्वासन दिया था। पादरियों ने हमें बताया कि ईसाई चंगाई सभा में जाने से बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं।"