"भारत से करतारपुर आने वाले सिखों के लिए दो बातें जरूरी हैं। पहला उन्हें पासपोर्ट की जरूरत नहीं है केवल एक वैध पहचान पत्र चाहिए और दूसरा उन्हें 10 दिन पहले रजिस्ट्रेशन कराने की कोई आवश्यकता नहीं है।"
चीन ने आरोप लगाया है कि भारत और अमेरिका FATF का राजनीतिकरण करने में लगे हुए हैं। यह बयान चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ़ से दो दिन पहले ही दिया गया है। चीन की इस तिलमिलाहट की असल वजह पाकिस्तान में अरबों डॉलर निवेश है, जो अब उसे ख़तरे में दिखाई दे रहे हैं।
दुबई में दिवाली समारोह के इस अनूठे कार्यक्रम में काफ़ी संख्या में लोग मौजूद थे। जैसे ही पुलिस बैंड ने लोगों के लिए ‘जन-गण-मन’ बजाया, भीड़ खड़ी हो गई और जब राष्ट्रगान ख़त्म हुआ उस वक़्त लोगों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई, वातावरण तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा।
ये पहली बार है किसी विकासशील राष्ट्र के लिए ब्राजील ने अपने वीजा नियमों में बदलाव किया हो। इस बदलाव के साथ ही भारत के पर्यटकों और व्यापारियों को वीजा की भाग-दौड़ से छुटकारा मिलेगा।
ख़ान और बिस्मिल की दोस्ती की आज भी कसम खाई जाती है। दोनों ही कविताओं के शौक़ीन थे और दोनों के ही मन में भारत को आज़ाद कराने का जज्बा था। दिसंबर 19, 1927 को क्रूर ब्रिटिश सरकार ने दोनों को अलग-अलग जेलों में फाँसी पर लटका दिया।
एक शख्स हाथ में पानी से भरे लौटे को पकड़ता है। दूसरे हाथ से उसमें नमक डालता है। इस दौरान वह अपनी जुबान से एक वादा या वचन देता है, जिसे पूरा करने की वो कसम खाता है। लौटे में नमक डालने के बाद वो किसी भी सूरत में अपने वचन को पूरा करने से पीछे नहीं हट सकता है। यही प्रथा कहलाती है- लूण लोटा। हिमाचल प्रदेश के कई भागों में यह प्रथा आज भी प्रचलित है।
दलाई लामा ने कहा कि 1974 में हमने तय किया था कि चीन से आज़ादी की माँग नहीं करेंगे। तिब्बती सिर्फ़ अपनी संस्कृति के संरक्षण के लिए कुछ अधिकारों की माँग कर रहे हैं। हम नालंदा दर्शन का अनुसरण कर रहे हैं।
भारत सरकार इसे 2030 तक राष्ट्रीय प्राथमिकता में रखकर हकीकत का रूप देने पर विचार कर रही है। जिसके लिए 26 मिलियन हेक्टेयर भूमि को प्रदूषण मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित करने पर विचार किया जा रहा है।
"ब्रिटिश राज के शुरुआत में भारत की अर्थव्यवस्था सम्पूर्ण वैश्विक इकॉनमी का 23% थी। जब आज़ादी मिली तो यह मात्र 4% रह गई थी। ब्रिटेन का औद्योगीकरण भारत के डी-इंडस्ट्रियलाइजेशन पर आधारित था। ब्रिटिश भारत से कच्चा माल ले जाते और अपने देश में कपड़े बना पूरी दुनिया में माल कमाते थे।"
इस कार्यक्रम में फ्रांस के सांसदों के नहीं पहुँचने की आशंका की वजह से पाकिस्तानी राजदूत को मसूद ख़ान के सम्मान में आयोजित डिनर को भी रद्द करना पड़ा। ये डिनर नेशनल असेंबली के कार्यक्रम की पूर्वसंध्या यानी 23 सितंबर को आयोजित होना था।