केरल हाई कोर्ट के जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने फैसले में कहा कि मजहबी विश्वास व्यक्तिगत होते हैं और उन्हें दूसरों पर थोपने का अधिकार किसी को नहीं है।
जो चैतन्य महाप्रभु की भूमि थी, उसे पहले 1946 के नरसंहार के बाद खंडित किया गया और अब भी वहाँ शरिया ही चलाया जा रहा है। सीरिया से लेकर तमिलनाडु तक ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं। मोपला से लेकर चोपरा तक, खून हिन्दुओं का ही बहता है।