सीबीआई की चार्जशीट में बताया गया है कि रिश्वत की बात पेड़, गमला, समान और प्रसाद जैसे कोड वर्ड के जरिए की गई। हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का कोड वर्ड 'मंदिर' था। हवाला लेन-देन के लिए 'दस रुपए का नोट' कोड वर्ड का इस्तेमाल किया गया।
बालिका गृह से गायब दाे किशोरियॉं आखिर कहॉं गईं? जिन दो बच्चियों की हत्या की बात उनके साथियों ने कही थी, उनके शव ब्रजेश ठाकुर एंड कंपनी ने कहॉं ठिकाने लगाया? दो बड़े सवाल जिनका सीबीआई नहीं दे पाई जवाब।
111 पन्नों की उस रिपोर्ट के 6 पन्ने इतने भयावह दास्तानों से भरे पड़े थे कि पूरा देश उबल पड़ा। यौन शोषण, प्रताड़ना, जानवरों से भी बदतर हालात में रहने की मजबूरी। जिम्मेदार बताए गए 71 अधिकारियों पर गाज गिरेगी या फिर होगी लीपापोती?
कारनेशन ने 2009 में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से 170 करोड़ रुपए का लोन लिया था। लेकिन साल 2015 में ये लोन एनपीए घोषित हो गया। इससे पीएनबी को 110 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इस मामले में पीएनबी ने आपराधिक षडयंत्र और धोखाधड़ी का केस दर्ज करवाया।
1991 के बाद यह पहला मामला है जब CJI ने एक CBI को हाई कोर्ट में कार्यरत किसी न्यायमूर्ति के खिलाफ FIR दर्ज करने की अनुमति दी। जस्टिस एस एन शुक्ला पर PIMS के पक्ष में निर्णय देने के लिए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं।
इन सभी पर यह आरोप लगाया गया कि 30 जून 2009 से 06 जुलाई 2017 तक मणिपुर डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष के रूप में काम करते हुए अभियुक्तों ने अन्य लोगों के साथ षड्यंत्र रचते हुए सरकारी धन क़रीब 518 करोड़ रुपए की कुल राशि में से लगभग 332 करोड़ रुपए का गबन किया है।
एमनेस्टी इंडिया ख़ुद को मानवाधिकार के लिए कार्य करने वाला संगठन बताता है लेकिन यह एक प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी है। इसे यूनाइटेड किंगडम स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल से फंड्स मिलते हैं। इन फंड्स का इस्तेमाल जम्मू कश्मीर पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए किया जाता है, जिसे...
पंजाब नेशनल बैंक में 13,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी और नीरव मोदी-मेहुल चौकसी के मामलों के बाद केंद्र सरकार ने सीबीआई को बैंक धोखाधड़ी करने वालों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
सीबीआई ने अपनी FIR में हरीश रावत के अलावा जिन लोगों को नामजद किया है वे हैं पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक रावत, और समाचारपत्र 'समाचार प्लस' के सम्पादक उमेश शर्मा। इसके अलावा......
साल 2017 में अक्टूबर के महीने में कथित सेक्स टेप वायरल हुआ था, जिसमें छत्तीसगढ़ के एक मंत्री का नाम सामने आया था। बाद में इस मामले में एक की गिरफ़्तारी भी हुई थी। मामले को तूल पकड़ता देख राज्य सरकार ने यह मामला CBI को सौंप दिया था।