Saturday, July 27, 2024
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सब पर चाय वाले की नजर: पूर्व जज और उनके साथी कोड वर्ड में करते थे डीलिंग

"चायवाले की सरकार की हरेक पर नजर है। इसलिए 'कैप्टन' आपसे सीधे नहीं मिल सकता। लेकिन पैसा देने पर आपका काम हो जाएगा।"

बहुचर्चित मेडिकल कॉलेज रिश्वत मामले में सीबीआई की चार्जशीट से कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इसके मुताबिक आरोपित आपस में पेड़, गमला, समान और प्रसाद जैसे कोड वर्ड के जरिए बात करते थे। घूस का एक बड़ा हिस्सा “कैप्टन” को गया। न्यायिक भ्रष्टाचार के इस मामले में सितंबर 2017 में ओडिशा हाई कोर्ट के पूर्व जज आईएस कुद्दुसी को गिरफ्तार किया गया था।

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जॉंच एजेंसी ने बीते साल जुलाई में चार्जशीट दायर की थी। इसमें कुद्दुसी सहित अन्य लोगों के नाम हैं। चार्जशीट में ओडिशा के कारोबारी विश्वनाथ अग्रवाल जो कथित तौर पर न्यायपालिका में ऊँचे संपर्क होने का दावा करता था के अलावे भावना पांडे, सुधीर गिरि, राम देव सारस्वत और प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट के शीर्ष अधिकारी बीपी यादव तथा पलाश यादव का उल्लेख है।

एजेंसी के अनुसार गड़बड़ी की बात सामने आने के बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने लखनऊ स्थित प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में 2017-18 और 2018-19 के सत्र में छात्रों के एडमिशन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद राहत पाने के लिए यादव ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। चार्जशीट के हवाले से रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सीबीआई ने कुद्दुसी और उसके सहयोगियों के 80 टेलीफोन इंटरसेप्ट हासिल किए जिससे पूरे मामले से पर्दा उठा। इसके अनुसार गिरि, बीपी यादव और अग्रवाल ने 23 अगस्त, 2017 को कुद्दुसी के साथ उनके घर पर बैठक की थी। इसके दो दिन बाद ही इलाहाबाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने अगली सुनवाई तक कॉलेज को डिलिस्ट करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। बेंच में जस्टिस नारायण शुक्ला भी थे।

इस आदेश को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। चार्जशीट के अनुसार इस बीच कुद्दुसी और पांडे ने बीपी यादव को भरोसा दिलाया की शीर्ष अदालत में वे उसका काम करवा देंगे। इसके बाद सीबीआई ने प्रसाद मेडिकल कॉलेज के पक्ष में फैसला सुनाने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में जस्टिस शुक्ला के खिलाफ नया मामला दर्ज किया। 2018 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने मामले का संज्ञान लेते हुए जस्टिस शुक्ला से इस्तीफा देने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने को कहा। बहरहाल जस्टिस शुक्ला ने मुख्य न्यायाधीश की सलाह को नज़रंदाज़ कर दिया। इसके बाद सीजेआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को जस्टिस शुक्ला को न्यायिक मामले नहीं सौंपने को कहा।

चार्जशीट में इस बात का भी उल्लेख है कि पूर्व जज कुद्दुसी ने अग्रवाल से 3 करोड़ रुपए में डील फाइनल की। इसमें से 2.5 करोड़ रुपए “कैप्टन” को गए। अग्रवाल कुद्दुसी से कहता है, “अभी जो हमारा कैप्टन है न, उसका ऑल ओवर इंडिया है, जो भी काम हो करने के लिए तैयार है।” चार्जशीट में इस बात का भी उल्लेख है कि एक मौके पर बीपी यादव से अग्रवाल कहता है, “चायवाले की सरकार की हरेक पर नजर है। इसलिए ‘कैप्टन’ आपसे सीधे नहीं मिल सकता। लेकिन पैसा देने पर आपका काम हो जाएगा।”

चार्जशीट के अनुसार कुद्दुसी यादवों के इशारे पर काम कर रहा था और अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट से पक्ष में फैसला करवाने का भरोसा दिलवाया था। रिपोर्ट के अनुसार आरोपित ने सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के लिए ‘मंदिर’ कोड वर्ड का इस्तेमाल किया। हवाला लेन-देन को लेकर भी चर्चा हुई। अग्रवाल से कहा गया कि चॉंदनी चौक के एक हवाला ऑपरेटर से से ‘दस रुपए का नोट’ कोड वर्ड इस्तेमाल कर वह पैसा ले ले।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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