Sunday, November 24, 2024

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हिन्दू मंदिर

जहाँ माँ दुर्गा को देते हैं गन सैल्यूट, जो है माता शक्ति का स्थायी निवास: मेघालय का नर्तियांग मंदिर

मेघालय के पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले में स्थित है नर्तियांग दुर्गा मंदिर। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।

निष्कलंक महादेव मंदिर: पांडव जहाँ हुए थे अपने पापों से मुक्त, डूब जाता है जिसका 5 स्वयंभू शिवलिंग समुद्र में

गुजरात में अरब सागर तट पर स्थित निष्कलंक महादेव मंदिर, जहाँ भगवान शिव ने पाँचों पांडवों को निष्कलंक बनाया। यहाँ स्थित हैं 5 स्वयंभू शिवलिंग।

हैदराबाद का करमनघाट मंदिर: मंगल नहीं… रविवार को होती है हनुमान पूजा, मंदिर तोड़ने आया औरंगजेब काँपा था डर से

प्रतिमा के भीतर से भगवान राम के जाप की आवाज सुनाई दे रही थी। इसके बाद राजा राजधानी लौट आए और हनुमान जी के इस अद्भुत मंदिर की स्थापना की।

बाबा बासुकीनाथ जो करते हैं भक्तों के फौजदारी मामलों की सुनवाई, बैजनाथ धाम की यात्रा इनके बिना है अधूरी

झारखंड स्थित बाबा बैजनाथ के बाद अधिकांश श्रद्धालु बासुकीनाथ मंदिर ही पहुँचते हैं। मान्यता भी है कि जब तक बासुकीनाथ के दर्शन न किए जाएँ तब तक बाबा बैजनाथ की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी।

सनातन और जनजातीय संस्कृति का अनूठा संगम: शक्तिपीठों में से एक दंतेश्वरी माता मंदिर, जिसके नाम से प्रसिद्ध हुआ एक जिला

होली से पहले दंतेवाड़ा के दंतेश्वरी माता मंदिर में नौ दिवसीय फाल्गुन मड़ई नामक त्यौहार का आयोजन होता है। इस त्यौहार के दौरान हर दिन माता दंतेश्वरी की डोली लगभग 250 देवी-देवताओं के साथ नगर भ्रमण पर निकलती हैं।

पलनि का मुरुगन स्वामी मंदिर: 9 बेहद जहरीले पदार्थों से बनी मूर्ति, जहाँ पूजे जाते हैं भगवान के साथ आयुर्वेद के ज्ञाता भी

अरुल्मिगु दंडायुधपाणी मंदिर भगवान शिव के पुत्र भगवान मुरुगन अथवा कार्तिकेय को समर्पित है, यह उनका सबसे प्रसिद्ध एवं सबसे विशाल मंदिर।

चार धाम यात्रा पर रोक: उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को रावत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, बताया- राज्य के लिए जरुरी

उत्तराखंड में चार धाम यात्रा को लेकर विवाद अब भी जारी है। अब उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

कैलाश मंदिर: आज भी इंजीनियरों को चौंकाती है, औरंगजेब कई जतन के बाद भी नहीं कर सका नुकसान

महाराष्ट्र के औरंगाबाद की एलोरा की गुफाओं में स्थित है कैलाश मंदिर। इसे मात्र एक चट्टान को काट और तराशकर बनाया गया है।

विष्णुपद मंदिर: जहाँ हैं भगवान के पदचिह्नों वाली धर्मशिला, जाने क्यों गया में पिंडदान से पितरों को मिलती है मुक्ति

गया में पिंडदान करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। यहीं स्थित है अतिप्राचीन विष्णुपद मंदिर।

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