व्याख्याता परीक्षा का मुद्दा राजस्थान में गरमा गया है। छात्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री इसे इगो का मुद्दा बना रहे हैं। गौर करने लायक बात यह है कि ज्यादातर नाराज़ छात्र मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक हैं।
विधायक रामकेश मीणा ने विधानसभा में संघ की शाखाओं में जाने वाले सरकारी कर्मचारियों के बारे में जानकारी मॉंगी थी। ऐसे कर्मचारियों पर कार्रवाई को लेकर भी उन्होंने पूछा था। इसके बाद ही यह कवायद शुरू हुई है।
इन 21 के अलावा ज़िला कलेक्टर ने यह भी बताया कि 28 अन्य पाकिस्तानी प्रवासियों ने भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया है और उसके लिए प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा 63 अन्य मामलों में भी जाँच हो रही है और जल्द से जल्द उन सभी को भारतीय नागरिकता देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
गृह मंत्रालय के इस क़दम से ये हिन्दू शरणार्थी भारत में रह पाएँगे। पाकिस्तान में हिन्दुओं व सिखों की स्थिति काफ़ी बदतर है और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। वहाँ अल्पसंख्यकों पर फ़र्ज़ी ईशनिंदा क़ानून लगा कर उन्हें सज़ा देने की कई घटनाएँ...
याचिका में गहलोत सरकार के ऊपर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले को क्रियान्वित नहीं किया, जिसके तहत कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी खर्चे पर आजीवन सुविधाएँ नहीं उठा सकेंगे।
सतीश पूनिया को समझने में समय लगेगा। वे नए-नए मुल्ला हैं, जो नया मुल्ला होता है, वो जोर से बांग देता है। उनकी अभी वहीं स्थिती बनी है। उन्हें अमित शाह और नरेंद्र मोदी के इशारे मिले हैं।
वसुंधरा राजे ने मीसा बंदियों के लिए पेंशन शुरू किया था। राजे ने उन्हें लोकतंत्र सेनानी का दर्जा दिया था। मीसा बंदियों को 20 हजार रुपए मासिक पेंशन, निशुल्क बस यात्रा और निशुल्क चिकित्सा सुविधा देने की योजना लागू थी।
सांगोद से विधायक भरत सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर खनन विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। राष्ट्रीय राजमार्ग-27 की क्षतिग्रस्त सड़क के लिए ठेकेदार काे अनुमति नहीं दिए जाने की बात कही है।
गहलोत ने विवादित बयान देते हुए कहा कि गुजरात में आज़ादी के बाद से ही शराब पर प्रतिबन्ध है लेकिन शराब की सबसे ज्यादा खपत गुजरात में ही होती है। उन्होंने गुजरात के बारे में आगे दावा किया कि राज्य में घर-घर में शराब पी जाती है।
विधायक राजेसंदर सिंह गुढ़ा ने कहा कि 10 साल पहले भी वे बसपा विधायक दल के नेता थे और तब भी उन्होंने राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द बनाने के लिए क़दम उठाया था। उन्होंने कहा कि आज फिर हालात ऐसे ही हैं और इसीलिए फिर से वैसा क़दम उठाना पड़ा।